घर में घुस गर्भवती कवियित्री की हत्या से हिल गया था देश, मायावती के मंत्री से मैच हुआ अजन्मे बच्चे का DNA: 16 साल बाद अमरमणि त्रिपाठी रिहा

अमरमणि त्रिपाठी (बाएँ) मधुमिता शुक्ला (दाएँ) (साभार- One India)

 बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को रिहा कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार (24 अगस्त, 2023) को ही रिहा करने का आदेश दे दिया। गोरखपुर के जेल अधीक्षक दिलीप पांडेय ने शुक्रवार (25 अगस्त, 2023) को इसकी पुष्टि की थी। 

हालाँकि, इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई लेकिन कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया है। बता दें की कवियित्री मधुमिता शुक्ला की 2003 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा 2007 में सजा हुई थी और तब से अब तक 16 साल अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि ने सजा काटी।

अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर एक बार फिर मधुमिता शुक्ला हत्याकांड चर्चा में है। वहीं समय से पहले रिहा होने बाद उनके बेटे अमनमणि त्रिपाठी का बयान भी आया है। उन्होंने कहा, “यह ऊपरवाले का आशीर्वाद है। 20 साल से हम अपने माता-पिता के लिए इसका इंतजार कर रहे थे। आज वह घड़ी आ गई है। मैं और मेरा परिवार सभी बहुत खुश हैं। हर कोई खुश है, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।”

बीआरडी में एडमिट हैं अमरमणि-मधुमणि

कारागार प्रशासन और सुधार अनुभाग ने गुरुवार को राज्य की 2018 की रिहाई नीति का जिक्र करते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समय से पहले रिहाई संबंधी एक आदेश जारी किया था। अधिकारी मदन मोहन ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विभाग ने उनकी वृद्धावस्था और जेल में अच्छे आचरण को देखते हुए रिहा करने का निर्णय लिया है। बता दें कि इस समय पूर्व बसपा नेता अमरमणि की उम्र 66 साल और मधुमणि 61 साल की हैं। दोनों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की वजह से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। 

कैसे हुई थी मधुमिता की अमरमणि से मुलाकात

मधुमिता बहुत ही कम उम्र में अपनी कविताओं के दम पर प्रसिद्द हो चुकी थीं। मंचों पर अपनी कविताओं से मधुमिता ने खूब नाम कमाया। इसी बीच, साल 2000-2001 के बीच मंच पर ही उसकी मुलाकात तत्कालीन बसपा सरकार में प्रभावशाली मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी से हुई। इसके बाद शुरू हुआ मुलाकातों का दौर। मधुमिता और अमरमणि के बीच सम्बन्ध इतने अंतरंग थे कि मधुमिता तीन बार गर्भवती हुईं। 

2003 में हुई थी मधुमिता शुक्ला की हत्या

कवयित्री मधुमिता शुक्ला की 9  मई 2003 को पेपर मिल कॉलोनी, लखनऊ में गोली मारकर हुई थी। घटना के वक्त वह तीसरी बार गर्भवती थीं। कवयित्री की गोली मारकर हुई हत्या से तत्कालीन बसपा सरकार में हड़कंप मच गया था। दरअसल अमरमणि बसपा सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। इसी हत्या के सिलसिले में अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले की जाँच मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीआई को दी थी। बाद में देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, बाद में नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी दंपति की सजा को बरकरार रखा था। 

बसपा सरकार में मच गया था हड़कंप

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ में निषादगंज थाने से कंट्रोल रूम में जब हत्या की रात फोन की घंटी बजी कि पेपर मिल कालोनी में किसी महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। तो पहले पुलिस किसी सामान्य मामले की तरह लिया, लेकिन जैसे ही तहकीकात आगे बढ़ी, एक से बढ़कर एक खुलासे होने लगे और उत्तर प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मच गया।

क्योंकि, हत्या जिस महिला की हुई थी वह थीं मशहूर कवयित्री मधुमिता शुक्ला थीं। राजनीतिक महकमे में भी मधुमिता की अच्छी पकड़ थी। वहीं इस हत्या में जिस व्यक्ति का नाम आरोपित के रूम में आया वह कोई और नहीं बल्कि बसपा सरकार में गहरी पैठ रखने वाले बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी थे। अमरमणि त्रिपाठी का उत्तर प्रदेश की राजनीति में ऐसा दबदबा रहा है कि सरकार किसी भी पार्टी की हो, कैबिनेट में उनकी जगह पक्की रहती थी।

डीएनए रिपोर्ट से बदली जाँच की दिशा

हालाँकि, हत्या के बाद हुई किरकिरी के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस हत्याकांड की जाँच सीबीसीआईडी को सौंपी थी। मधुमिता के शव को पोस्टमार्टम के बाद गृह जनपद लखीमपुर भेजा गया। अचानक एक पुलिस अधिकारी की नजर रिपोर्ट पर लिखी एक टिप्पणी पर पड़ी, जिसमें मधुमिता के गर्भवती होने का जिक्र था। और यहीं से मामले ने एक अलग मोड़ ले लिया। मधुमिता के शव का दोबारा पोस्टमार्टम हुआ। डीएनए जाँच में इस बात की पुष्टि हुई कि बच्चा अमरमणि का था। बाद में बसपा सरकार ने मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी।

मधुमणि ने रची थी हत्या की साजिश

सीबीआई की जाँच में अमरमणि और उनकी पत्नी की संलिप्तता के पुख्ता प्रमाण मिले। इसके बाद अमरमणि को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। जबकि मधुमणि गिरफ़्तारी से बचने के लिए नेपाल भाग गईं। सीबीआई कई दिनों तक उनकी तलाश करती रही। इसी तरह मधुमिता का नौकर देशराज भी कई दिन तक फरार रहा। बाद में सीबीआई ने उसे लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। देशराज ने जब अमरमणि और मधुमिता के रिश्ते का खुलासा किया तो पूरे मामले की पर्तें उधड़ती चली गई। सीबीआई जाँच में सामने आया कि अमरमणि से मधुमिता के रिश्तों से नाराज होकर हत्या की साजिश मधुमणि ने रची थी।

सीबीआई जाँच के दौरान गवाहों को धमकाने का आरोप लगा तो मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया। कोर्ट ने मामले में 24 अक्तूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को उम्रकैद की सजा सुनाई। जबकि एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। हालाँकि, बाद में नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकाश पांडेय को भी दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया