कौन है वो नेता जिसने उड़ा दी है CM कमलनाथ की नींद: मध्य प्रदेश में बड़ा सियासी हलचल

पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा (बाएँ) के बयान के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सकते में हैं

मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नाम बार-बार सुर्ख़ियों में आ रहा है। वो भाजपा नेता हैं। न तो वो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं और न ही फायरब्रांड नेता कैलाश विजयवर्गीय। उनके नाम है नरोत्तम मिश्रा। मिश्रा ग्वालियर के डबरा से वो 1990 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1998 और 2003 में भी वो यहाँ से विधायक बने। इसके बाद ग्वालियर के दतिया से उन्होंने विधानसभा चुनावों में हैट्रिक लगाई। वो 2008, 2013 और 2018 में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वो शिवराज सिंह चौहान के तीनों कार्यकाल में विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों का प्रभार संभाल चुके हैं।

नरोत्तम मिश्रा ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश के 15-20 कॉन्ग्रेस विधायक भाजपा से संपर्क में हैं। उनके इस बयान के बाद ख़ुद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सकते में हैं। वो भाजपा पर विधायकों की ख़रीद-फरोख्त के आरोप लगाए हैं। मिश्रा का कहना है कि विधायक जनता का काम नहीं करवा पा रहे हैं और इसीलिए उनमें अपनी ही पार्टी के प्रति असंतोष व्याप्त है। कॉन्ग्रेस अभी भी दावा कर रही है कि राज्य में उसकी सरकार पर कोई संकट नहीं है लेकिन मिश्रा का कहना है कि कई विधायक लगातार उनके संपर्क में हैं और जनता के प्रति जवाबदेही पूरी न कर पाने का कारण वो कॉन्ग्रेस से नाराज़ हैं।

मध्य प्रदेश में मंगलवार (मार्च 3, 2020) को 10 कॉन्ग्रेस विधायकों के पाला बदलने की चर्चा चलने लगी। अगर सही में ऐसा होता है तो इसके बाद कमलनाथ सरकार गिरनी तय है। पूर्व-मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने कॉन्ग्रेस के और कुछ निर्दलीय विधायकों को दिल्ली ले जाने के लिए फ्लाइट बुक कराया है। हालाँकि, बाद में दावा किया गया कि उनके 6 विधायक वापस लौट आए हैं। अगर 10 विधायक भाजपा के पाले में आ जाते हैं उसके पास 117 का संख्याबल हो जाएगा और वो आराम से सरकार बना लेगी क्योंकि बहुमत के लिए 116 का आँकड़ा चाहिए होता है।

कमलनाथ ने बजट पास कराने और डिप्टी स्पीकर का चुनाव कराने का जिक्र करते हुए दावा किया है कि ये दोनों घटनाएँ ये साबित करती हैं कि कॉन्ग्रेस के पास पूर्ण बहुमत है। लेकिन, ग्वालियर स्थित जीवाजी यूनिवर्सिटी से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले नरोत्तम मिश्रा के दावों से उनकी नींद उड़ी हुई है। शिवराज का ये कहना कि दिग्विजय सिंह कमलनाथ को डराने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं, ने मुख्यमंत्री को और भी चिंता में डाल दिया है। मध्य प्रदेश में 3 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में लोकसभा चुनाव हार चुके दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा जाने की फ़िराक़ में हैं।

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2 विधायकों का निधन होने के बाद अभी मध्य प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में फ़िलहाल कॉन्ग्रेस के 114 विधायक हैं और वो निर्दलीयों के समर्थन से सरकार चला रही है। 4 निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक के सहारे कमलनाथ की सरकार चल रही है। बसपा का एक विधायक पार्टी से निलंबित किया जा चुका है। भाजपा के पास 107 विधायक हैं और कॉन्ग्रेस के पास 121 विधायकों का समर्थन है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया