बदले की राजनीति पर उतरी कॉन्ग्रेस, RSS से जुड़े लोगों को बर्खास्त करने की धमकी

अगर बनी कॉन्ग्रेस सरकार, क्या 'संघियों' के करियर पर लटकेगी तलवार?

लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं, कॉन्ग्रेस नेताओं के बयानों का स्तर गिरता ही जा रहा है। पूर्व में विदेश मंत्री जैसा महत्वपूर्ण और गरिमामय पद संभाल चुके फर्रूखाबाद के लोकसभा प्रत्याशी सलमान खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एफआईआर फाड़ देने की धमकी दी। अब राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष रहे सैम पित्रोदा ने सरकारी संस्थानों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे कर्मचारियों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर कॉन्ग्रेस की सरकार बनी तो प्राथमिकता से पहला काम सरकारी संस्थाओं और संस्थानों को ‘संघ-मुक्त’ करने का किया जाएगा। इसके लिए संघ से जुड़ाव रखने वाले लोगों को पहले 100 दिन के भीतर निकाल बाहर किया जाएगा।

घोषणापत्र बाद में, संघी-निकालो अभियान पहले

कॉन्ग्रेस की घोषणापत्र समिति के सदस्य पित्रोदा के अनुसार ‘संघियों’ को निकाल बाहर करना इतना जरूरी है कि कॉन्ग्रेस का घोषणापत्र लागू करना भी उसके सामने गौण है। पहले संघियों की सफाई का काम शुरू करेगी कॉन्ग्रेस, उसके बाद अपना घोषणापत्र लागू करना शुरू करेगी। उन्होंने शिकागो के भारतीय महावाणिज्य दूतावास के बारे में आरोप लगाया कि वहाँ लोगों को दिक्कत इसलिए हो रही है क्योंकि संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति को वहाँ नियुक्त कर दिया गया था

बाकी मुद्दों के लिए समय-सीमा,अफस्पा-राष्ट्रद्रोह पर ‘मैं विशेषज्ञ नहीं’

अपनी पार्टी के घोषणापत्र के बारे में उन्होंने दावा किया कि हर मुद्दे पर किए गए वादे को पूरा करने के लिए एक समय-सीमा निश्चित की जाएगी। कुछ मुद्दों के लिए तो यह 50, 100 और 150 दिनों तक भी हो सकती है। पर जब कॉन्ग्रेस से सबसे विवादास्पद मुद्दों अफस्पा हटाने और राष्ट्रद्रोह पर ‘पुनर्विचार’ करने के बारे में पूछा गया तो पित्रोदा ने अपने को इन मामलों का विशेषज्ञ न होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया।

उन्होंने यह भी दावा किया कि कॉन्ग्रेस सरकार बनाने में सफल होगी, पर सीटों की संख्या का अनुमान लगाने से इंकार कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अंत में गठबंधन की जो भी तस्वीर उभरेगी, प्रधानमंत्री का निर्णय उसके भागीदार दल करेंगे।

पहले भी हो चुका है राज्य सरकारों में

पिछले साल तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान का विधानसभा चुनाव जीतने वाले कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री पहले भी ऐसा कर चुके हैं। शासन के महत्वपूर्ण पदों पर अपने करीबी अफसरों को बैठाने के लिए इन तीनों राज्यों की नवगठित कॉन्ग्रेस सरकारों ने बड़े पैमाने पर तबादले किए थे।

शशि थरूर ने भाजपा पर लगाया था नौकरशाही के राजनीतिकरण का आरोप

अपनी किताब ‘The Paradoxical Prime Minister’ में कॉन्ग्रेस के ही नेता शशि थरूर प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते हैं कि मोदी ने गुजरात कैडर के कुछ अफसरों को केन्द्रीय काडर में बुलाकर नौकरशाही का राजनीतिकरण करने की कोशिश की है (तीसवाँ अध्याय, ‘सिविलाइज़िन्ग द सिविल सर्विसेज़?’)। यह सवाल ऐसे में लाजमी है कि अपनी पार्टी की उस नीति के बारे में शशि थरूर क्या कहना चाहेंगे जहाँ उनकी पार्टी एक सांस्कृतिक और गैर-राजनीतिक संगठन से अतीत में रहे जुड़ाव के आधार पर लोगों को हटाने की बात करती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया