‘भाषा का गोमुख है काशी’: राजभाषा सम्मेलन में बोले गृहमंत्री अमित शाह, CM योगी ने हिंदी को बताया- राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा

'भाषा का गोमुख है काशी': राजभाषा सम्मेलन में बोले गृह मंत्री अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह वाराणसी के दो दिनों के दौरे पर हैं। आज गृह मंत्री वाराणसी में ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ में शामिल हुए। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे गुजराती से ज्यादा हिंदी भाषा पसंद है। हमें अपनी राजभाषा को मजबूत करने की जरूरत है।” अमित शाह ने बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन भी किया।

अमित शाह ने आज दिनाँक 13 नवम्बर 2021 (शनिवार) को वाराणसी के हस्तकला संकुल में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को सम्बोधित किया। पहले यह सम्मेलन दिल्ली में ही आयोजित होता था। इस सम्मेलन को काशी में आयोजित करके एक नई शुरुआत की गई है। इस मुद्दे पर अमित शाह ने कहा कि अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को राजधानी दिल्ली से बाहर करने का निर्णय 2019 में ही हो गया था। उस समय कोरोना के चलते इसका आयोजन नहीं हो पाया था। अमित शाह ने ख़ुशी जताते हुए कहा कि ये नई शुभ शुरुआत आजादी के अमृत महोत्सव में हो रही है।

इसी सम्मेलन में आगे बोलते हुए अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र किया। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वभर में राजभाषा हिंदी के बढ़ते गौरव की हम सभी ने अनुभूति की है। अब हमें सभी द्वेष मिटाकर एक साथ हमारी राजभाषा और स्थानीय भाषाओं की गौरवशाली विरासत को और समृद्ध करना है।

अमित शाह ने हिंदी भाषियों से संकल्प लेने की भी बात कही। उन्होंने कहा, “हम सब हिन्दी प्रेमियों के लिए ये संकल्प का वर्ष रहना चाहिए कि जब आज़ादी के 100 वर्ष हों तब देश में राजभाषा और सभी स्थानीय भाषाओं का दबदबा इतना बुलंद हो कि हमें किसी भी विदेशी भाषा का सहयोग लेने की जरूरत न पड़े। मैं मानता हूँ कि ये काम आज़ादी के तुरंत बाद होना चाहिए था।”

अमित शाह ने देशवासियों से अपने परम्परागत मूल्यों की रक्षा करने की भी अपील की। अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि जो देश अपनी भाषा खो देता है वो कालक्रम में अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है। जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं वो दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते।

हिंदी के और अधिक प्रसार – प्रचार की जरूरत पर भी अमित शाह ने जोर दिया। उन्होंने इसका मंत्र भी दिया। उनके अनुसार हिन्दी की स्वीकृति लानी है तो हिन्दी को लचीला बनाना पड़ेगा। हिन्दी के शब्दकोष को भी समृद्ध करने की जरूरत है। उनके अनुसार हिंदी भाषा बोलने में किसी भी प्रकार की शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। हिंदी हमारी राजभाषा और हमारा गौरव है। हमें अपने बच्चों से भी अपनी मातृभाषा हिंदी में बात करनी चाहिए। अमित शाह ने खुद को गुजराती से अधिक हिंदी भाषा पसंद करने वाला बताया।

इस मौके पर अमित शाह ने देश को आज़ादी दिलाने वालों को भी याद किया। उनके अनुसार स्वतंत्रता दिलाने के लिए जो हमारे पुरखों ने यातानाएं सही, सर्वोच्च बलिदान दिए उसको स्मृति में जीवंत करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने का मौका है।

अमित शाह ने काशी के इतिहास पर भी प्रकाश डाला। उनके अनुसार काशी को देश के इतिहास से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने काशी को भाषा का गौमुख बताया।

इस आयोजन को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सम्बोधित किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा, “ईश्वर ने हमें अभिव्यक्ति का माध्यम दिया है और अभिव्यक्ति का माध्यम है हमारी भाषा। देश और दुनिया में सबसे ज़्यादा बोलने वाली भाषा है हिंदी लेकिन हिंदी की उपेक्षा इससे समझ सकते हैं कि इस सम्मेलन को आयोजित करने में आज़ादी के बाद भी 75 वर्ष लग गए।”

योगी आदित्यनाथ ने हिंदी को पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा बताया। उन्होंने भक्तिकाल से वर्तमान तक हिंदी का कालखंड काशी से जुड़ा बताया। श्रीरामचरित मानस को उन्होंने भगवान शिव की प्रेरणा से अवधी में रचित बताया। इसी के साथ उन्होंने नरेंद्र मोदी के के नेतृत्व में भारत पिछले 7 वर्षों में भारत में अभूतपूर्व बदलाव होने की बात कही। इस अवसर पर आज़मगढ़ में 108 करोड़ रूपए की लागत से राज्य विश्वविद्यालय की भी घोषणा की गई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया