असम की 6 पिछड़ी जातियों को मोदी सरकार का तोहफ़ा, सभी जातियाँ शेड्यूल कास्ट में शामिल

भाजपा सरकार ने असम की छ: पिछड़ी जातियों को एसटी में शामिल किया ( प्रतीकात्मक तस्वीर )

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करके बताया कि असम में रहने वाली छ: पिछड़ी जातियों को शेड्यूल कास्ट का दर्जा दे दिया गया है। उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी लिखा है कि कैबिनेट की मीटिंग में इन जातियों की माँग को स्वीकार कर लिया गया है। अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में शामिल होने वाली छ: पिछड़ी जातियों में अहोम, कोच-रागबंशी, मोरान, मटक, चुटिया और चाय जनजातियाँ हैं।

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पिछड़ी जातियों की यह माँग काफ़ी पुरानी है

3 जुलाई 2017 को असम बंद का ऐलान इन सभी जातियों ने मिलकर बुलाया  था। इस बंद के दौरान अपनी माँग को मजबूती से रखते हुए इन सभी जातियों ने ‘नो एसटी, नो रेस्ट’ (No ST, No Rest) का नारा दिया था। इस बंद के दौरान इन जातियों ने एक स्वर में कहा कि जब तक उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिल जाता है, वो लोग इसी तरह आंदोलन करते रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इस मामले पर बोगई गाँव की रैली में बयान दिया था। इस मुद्दे पर मोदी ने कही था कि जल्द ही पिछड़ी जातियों की माँग मान ली जाएगी।

आंदोलन का इतिहास कुछ इस तरह है

एसटी सूची में शामिल करने के लिए पिछड़ी जातियों की माँग काफ़ी पुरानी है। साल 1996 में केंद्र ने कोच-राजबंगशीस समुदाय को 6 महीने के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया था। उस समय इस समुदाय ने एसटी कोटा से होने वाले कॉलेज के प्रवेश के अधिकांश सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया था। इसके बाद इस मामले ने विवाद को रूप ले लिया। कुछ समुदाय जिसे पहले से ही इस समुह में शामिल हैं, उन जातियों ने इन छ: जातियों के आंदोलन का विरोध किया था। इनका कहना था कि सरकार के इस फ़ैसले से इस समूह में पहले से शामिल जातियों को नुकसान होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया