900 बच्चों के टेस्ट HIV पॉजिटिव: शहर में दहशत, आरोपित डॉ. मुजफ़्फर घनघोरो गिरफ़्तार

बाल रोग विशेषज्ञ, मुजफ़्फर घनघोरो गिरफ़्तार (तस्वीर साभार: pressfrom.info)

पाकिस्तान के छोटे शहर राटोडेरो में लगभग 900 बच्चे इस साल की शुरुआत में तेज़ बुखार से पीड़ित थे और उन्होंने इसके इलाज भी किया। लेकिन, बच्चों की बीमार दशा से माता-पिता काफ़ी चिंतित थे।

दरअसल, अप्रैल में, तेज़ बुखार का उपचार बेहद विनाशकारी साबित हुआ था। पूरा शहर HIV की चपेट में आ गया था और इससे सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित थे। शुरूआत जाँच में, स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक बाल रोग विशेषज्ञ को इस समस्या का दोषी ठहराया, क्योंकि उसने बच्चों को इंजेक्शन लगाने के दौरान एक ही सीरिंज का उपयोग बार-बार किया था।

उसके बाद लगभग 1,100 नागरिकों का टेस्ट किया गया जो HIV पॉजिटिव पाए गए। इसका मतलब यह हुआ कि प्रत्येक 200 निवासियों में से एक HIV से ग्रसित था। स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना ​​है कि पीड़ितों की संख्या इससे अधिक हो सकती है क्योंकि फ़िलहाल जिन लोगों का टेस्ट किया गया है वो कुल आबादी का एक छोटा सा हिस्सा हैं। 

अप्रैल में, एक स्थानीय पत्रकार गुलबहार शेख ने शहर में फैले इस प्रकोप की ख़बर ब्रेक की थी, उन्होंने देखा कि उनके पड़ोसी और रिश्तेदार इस वायरस के टेस्ट के लिए क्लीनिक के चक्कर लगा रहे हैं।

ख़बर के अनुसार, इस मामले की जाँच के लिए जब अधिकारियों ने राटोडेरो शहर का दौरा किया तो उन्होंने पाया कि अधिकतर संक्रमित बच्चे एक ही बाल रोग विशेषज्ञ मुजफ़्फर घनघोरो के पास गए थे, जो शहर के सबसे ग़रीब परिवारों की सेवा करते थे।

इस बात से पत्रकार शेख घबरा गए क्योंकि डॉ मुजफ़्फर घनघोरो उनके बच्चों के भी बाल रोग विशेषज्ञ थे। उन्होंने तुरंत अपने परिवार का भी टेस्ट करवाया और तब उन्हें पता चला कि उनकी 2 वर्षीय बेटी भी इस HIV वायरस से ग्रसित थी।

44 वर्षीय टीवी पत्रकार शेख का कहना है कि इस शहर की कुल आबादी 200,000 है। यहाँ के लोग पाकिस्तान के सबसे ग़रीब लोग हैं, साथ ही शिक्षा का स्तर भी बहुत गिरा हुआ है। ऐसे हालत में यहाँ के लोगों पास केवल डॉ मुजफ़्फर घनघोरो ही एकमात्र विकल्प हैं। उनके इलाज की फीस 20 सेंट थी यानि महीने भर में वो 60 डॉलर से कम कमाते थे।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ मुजफ़्फर घनघोरो ने इम्तियाज जलबानी के सभी छ: बच्चों का इलाज किया, जिनमें से चार HIV से ग्रसित थे और उनके दो सबसे छोटे बच्चे, जिनमें 14 महीने की रिदा और 3 साल की समीना की मौत हो गई।

मजदूर जलबनी के अनुसार, जब वो अपने 6 वर्षीय बेटे का इलाज कराने डॉ मुजफ़्फर घनघोरो के पास पहुँचा तो उसने देखा कि उन्होंने एक अन्य बीमार व्यक्ति अली के इंजेक्शन लगाने के लिए कचरे में से सिरिंज निकाली। यह देखकर वो सहम गया और उसने डॉ घनघोरो से इसका विरोध किया। इस विरोध पर डॉ मुजफ़्फर घनघोरो ने भड़कते हुए कहा वो एक पुरानी सिरिंज का उपयोग कर रहा है क्योंकि वो नई सिरिंज ख़रीदने में सक्षम नहीं है।

इसके आगे उन्होंने कहा, “अगर आप मुझसे इलाज नहीं कराना चाहते, तो किसी अन्य डॉक्टर के पास जाएँ।” इस पर जलबानी ने कहा, “मुझे और मेरी पत्नी को दवा की फीस देने के लिए भूखा रहना पड़ा है।”

डॉ मुजफ़्फर घनघोरो को पुलिस ने लापरवाही, हत्या और ग़ैर-क़ानूनी तरीके से नुकसान पहुँचाने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है। लेकिन उन्हें अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है। द न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए साक्षात्कार में, उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा वो निर्दोष हैं और उन्होंने कभी भी सीरिंज का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया