जिसने की सरबजीत सिंह की हत्या, उसे ‘अज्ञातों’ ने निपटा दिया: लाहौर में सरफ़राज़ को गोलियों से छलनी किया, गवाहों के मुकरने के कारण हो गया था बरी

भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह (बाएँ) और हत्यारा अमिर सफराज (दाएँ) (साभार: दीपावली/इंडिया टुडे)

पाकिस्तान में ‘अज्ञात’ का कहर जारी है। सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे आतंकी कह रहे हैं, कुछ बदमाश तो कुछ लोग इसे ‘मानवता का पुजारी’ बता रहे हैं। दरअसल, कुछ महीनों में अज्ञात हमलावरों ने पाकिस्तान के कई कट्टरपंथियों की हत्या कर दी है। अब ताजा मामले में भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की पाकिस्तान की जेल में हत्या करने वाले शख्स की लाहौर में गोली मारकर हत्या कर दी गई है।

दरअसल, गलती से भारत की सीमा पारकर पाकिस्तान पहुँचे सरबजीत को वहाँ के कोट लखपत जेल में बंद कर दिया गया था। उसी जेल में लाहौर के अंडरवर्ल्ड डॉन अमीर सरफराज उर्फ तांबा भी बंद था। उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर सरबजीत की पीट-पीटकर और गला घोंटकर हत्या कर दी थी। उन्हें तड़पाकर मारने वाले सरफराज को ‘अज्ञात हमलावरों’ ने गोली मारकर हत्या कर दी।

‘अज्ञात हमलावरों’ ने सरफराज को एक के बाद एक करके कई गोलियाँ मारीं, जिससे घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। दरअसल, अप्रैल 2013 में अमीर सरफराज और उसके साथी कैदी मुदासिर मुनीर पर दिखावे के लिए सरबजीत सिंह की हत्या आ आरोप तय किया गया था, लेकिन 15 दिसंबर 2018 को लाहौर की जिला एवं सत्र अदालत ने सभी गवाहों के मुकरने के बाद दोनों को बरी कर दिया था।

दरअसल, पंजाब के रहने वाले सरबजीत सिंह 29 अगस्त 1990 को पाकिस्तानी सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी सेना ने उन्हें जासूस बताकर गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद साल 1991 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाके के मुख्य आरोपित बताकर मौत की सजा सुना दी गई। वहीं, सरबजीत सिंह के परिवार ने कहा था कि नशे की हालत में वे गलती से पाकिस्तानी सीमा में चले गए थे।  

भारत भी लगातार पाकिस्तान पर सरबजीत सिंह को लौटाने का दबाव बना रहा था। वैश्विक दबाव भी था। इसके बाद पाकिस्तान ने फाँसी की सजा को टाल कर दूसरा प्लान बनाया और ISI ने अमीर सरफराज के जरिए साल 2013 में ईंटों, तेज धातु की चादरों, लोहे की छड़ों और ब्लेड से हमला करके उन्हें तड़पाकर मार डाला। उनका गला भी दबाया गया था।

बताते चलें कि पाकिस्तान में छिपकर बैठे भारत के ऐसे कई दुश्मनों की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी है। ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं। यहाँ तक कहा जाता है कि भारत का वॉन्टेड दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद की भी हत्या की जा चुकी है। हालाँकि, पाकिस्तान इनको लेकर कभी कुछ नहीं बोला और ना ही भारत ने आधिकारिक रूप से इसको लेकर कुछ कहा है।

दरअसल, पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों ने इन हत्याओं के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था। इन अधिकारियों का हवाला देते हुए ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ ने 4 अप्रैल 2024 को ‘भारत सरकार ने पाकिस्तान में हत्याओं का आदेश दिया, खुफिया अधिकारियों का दावा है’ शीर्षक से यह विवादित लेख छापा था। अखबार ने अज्ञात स्रोतों, खासकर पाकिस्तानी खुफिया को आधार बनाया था।

अखबार ने इन खुफिया अधिकारियों को हवाला देते हुए पीएम मोदी को ‘अतिरिक्त-क्षेत्रीय हत्याओं’ के सूत्रधार के रूप में प्रदर्शित किया था। इस लेख के ठीक अगले दिन पीएम मोदी ने राजस्थान के चुरु में एक रैली की थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “मैंने उस दिन चुरू की धरती पर जो शब्द कहे थे, मैं आज उन भावनाओं को वीरों की धरती पर दोहराना चाहता हूँ। मैंने यहाँ कहा था- ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूँगा… मैं देश नहीं रुकने दूँगा… मैं देश नहीं झुकने दूँगा। मेरा वचन है भारत माँ को, तेरा शीश नहीं झुकने दूँगा’।”

5 अप्रैल की जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने 26 फरवरी 2019 को अपनी चुरू यात्रा को याद किया और कहा, “हमने आतंकवादियों को सबक सिखाया है।” दरअसल, 26 फरवरी 2019 वही दिन था, जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करके आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था। यह भारत के इतिहास का महत्वपूर्ण दिन है। उसी दिन उन्होंने देश नहीं ‘झुकने दूँगा’ वाली बात भी कही थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया