तालिबान राज में बच्चों को कंटीली तारों के पार फेंक रहीं माँ, बर्खास्त हो रहीं महिला एंकर

तालिबान की बर्बरता (तस्वीर साभार: द सन)

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कैमरे पर ‘समान अधिकारों’ की बात करने वाला तालिबान अब अपना असली चेहरा दिखाने लगा है। काबुल एयरपोर्ट से लेकर जलालाबाद की सड़कों पर तालिबानियों का कहर देखा जा सकता है। इसके अलावा महिलाओं की आजादी को लेकर भी जो बातें तालिबान ऑन टीवी कर रहा है, जमीनी सच्चाई उसके उलट है।

अफगानी लोग, खासकर महिलाएँ वहाँ मजबूर हैं अपनी जिंदगी की भीख माँगने को। इसकी कुछ तस्वीरें काबुल एयरपोर्ट पर देखने को मिली, जहाँ महिलाएँ इतनी भयभीत थीं कि वो बदहवास हालात में विदेशी सैनिकों से अपील कर रही थीं कि उन्हें तालिबान से बचा लिया जाए। वह अपने बच्चे को काँटेदार तार के दूसरी ओर फेंक रही थीं, बिन ये सोचे कि इससे उन्हें चोट लग सकती है।

https://twitter.com/SalmaCNN/status/1428275798658752514?ref_src=twsrc%5Etfw

एयरपोर्ट पर तैनात एक अधिकारी कहते हैं, “सभी माँ(एँ) बहुत परेशान थीं, उन्हें तालिबान मार रहा था। वह चिल्ला रही थीं ‘मेरे बच्चे को बचाओ’ और इतना कहकर वह अपने बच्चे हमारे पास फेंक रहीं थीं। कुछ बच्चे कांटेदार तार पर गिर रहे थे। ये सब बहुत अजीब था। रात होते-होते स्थिति ऐसी हो गई कि शायद ही कोई एक आदमी हो जो उस समय रो न रहा हो।”

द सन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, घटना से जुड़ी वीडियोज भी सामने आई हैं। इनमें देख सकते हैं कि कैसे एक माँ अपना बच्चा तार के दूसरी ओर उछाल रही है, शायद उसे यकीन है दूसरी ओर खड़े विदेशी सैनिक उन्हें बचा लेंगे। मालूम हो कि इससे पहले तालिबानियों ने जलालाबाद में ओपन फायरिंग की थी, जिसमें कम से कम 3 लोगों के मरने और 6 के घायल होने की बात सामने आई थी। इस दौरान कई पत्रकारों से भी मारपीट की गई थी।

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महिला एंकर्स से छीनी जा रही नौकरी

गौरतलब है कि तालिबान का आतंक सिर्फ सार्वजनिक स्थलों पर ही नहीं देखने को मिल रहा, बल्कि कार्यस्थलों से लेकर न्यूज चैनलों तक में हड़कंप मचा हुआ है। हाल में तालिबान ने कहा था कि वो महिलाओं को समान अधिकार देने के पक्ष में हैं। हालाँकि, इस दावे की सच्चाई तब सामने आई जब सरकारी टीवी चैनल की एंकर खादिजा अमीन को उनके महिला होने के कारण बर्खास्त कर दिया गया और उनकी जगह पुरुष तालिबानी एंकर को बैठने को कहा गया।

खादिजा अमीन कहती हैं कि तालिबान ने उन्‍हें और अन्‍य महिला कर्मचारियों को हमेशा के लिए नौकरी से निकाल दिया है। 28 साल की अमीन ने कहा, “मैं एक पत्रकार हूँ और मुझे काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अब मैं आगे क्‍या करूँगी। अगली पीढ़ी के लिए कुछ भी नहीं है। हमने पिछले 20 साल में जो कुछ भी हासिल किया है, वह सब खत्‍म हो गया। तालिबान तालिबान हैं, उनके अंदर कोई बदलाव नहीं आया है।”

इसी तरह एक अन्य महिला एंकर शबनम दावरान ने बताया कि हिजाब पहनने और आईडी कार्ड लाने के बाद भी उनको ऑफिस में घुसने नहीं दिया गया। उनसे कहा गया कि अब तालिबान राज आ गया है और उन्‍हें घर जाना होगा। यहाँ ज्ञात रहे कि अफगानिस्तान में तालिबान की एंट्री के बाद लाखों अफगानी महिलाओं को अपना भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। उन्हें न तो बाहर निकलने की आजादी है और न ही काम करने की। अगर वह बाहर आती हैं तो साथ में कोई पुरुष होना जरूरी है। कहा जाता है कि तालिबानियों का कानून महिलाओं के लिए इतना सख्त कि अगर कोई उसे न माने तो सजा के तौर पर उस पर कोड़े मारे जाते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया