हथिनी नूरजहाँ की मौत, 9 दिन तक जमीन पर पड़ी रही: पाकिस्तान सरकार पर बरसे मुल्क के ही लोग, कहा – आप तय करते रहो कौन मुस्लिम और कौन नहीं

मृतक नूरजहाँ (साभार: Gulf News)

पाकिस्तान की कराची चिड़ियाघर की हथिनी नूरजहाँ ने आखिरकार दम तोड़ दिया। चिड़ियाघर प्रशासन की घोर लापरवाही के कारण वह विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हो गई थी और दो दिन की बुखार के बाद आखिरकार शनिवार (22 अप्रैल 2023) को दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद पाकिस्तान की दुनिया भर में आलोचना हो रही है।

यह हथिनी लंबे समय से बीमार थी। इसको देखते हुए इसका ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद देखरेख में घोर लापरवाही की वजह से नूरजहाँ की स्थिति बिगड़ती चली गई। सोशल मीडिया पर लोगों की आलोचना के बाद चिड़ियाघर प्रशासन ने कहा कि बचाने के हरसंभव कोशिश की गई, लेकिन सब बेकार रहा।

कराची चिड़ियाघर के डायरेक्टर कंवर अयूब ने कहा कि नूरजहाँ का स्वास्थ्य नवंबर 2022 से बिगड़ रहा था। कुछ महीने पहले उसका ऑपरेशन किया गया था। 5 अप्रैल 2023 को शरीर से ट्यूमर निकालने के नए ऑपरेशन के बाद उसे चलने में कठिनाई हो रही थी। प्रशासन ने कहा कि कुछ दिन पहले नूरजहाँ गिर गई, उसके बाद वह उठ नहीं पाई।

नूरजहाँ के हालात बाद में इतने बिगड़ गए कि ड्रिप के जरिए खाना-पानी दिया जाता था। उसे ठंडा करने के लिए नियमित तौर पर पानी भी डाला जाता था। नूरजहाँ का इलाज करने के लिए पशुओं के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘फोर पॉज इंटरनेशनल’ के विदेशी पशु चिकित्सक कर रहे थे। हालाँकि, पिछले 9 दिनों से वह जमीन पर पड़ी हुई थी।

पेट एनिमल वेलफेयर सोसाइटी नाम के एनजीओ की टीम कराची आ रही है। वह 17 साल की इस अफ्रीकी हथिनी के शव का पोस्टमार्टम करेगी। इसके बाद इसे दफना दिया जाएगा। लापरवाही के कारण हुई मौत के कारण स्थानीय नागरिक सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की आलोचना हो रही है।

नूरजहाँ की मौत के बाद उसकी 18 साल की चचेरी बहन मधुबाला को कराची चिड़ियाघर से हटाने की माँग उठने लगी है। लोगों का कहना है कि आने वाली किसी भी त्रासदी को रोकने के लिए मधुबाला को अधिक सुरक्षित जगह भेज दिया जाए। मधुबाला अभी स्वस्थ है। पिछले साल नूरजहाँ के साथ-साथ मधुबाला की दाँतों का भी ऑपरेशन हुआ था।

फातिमा सज्जाद शाह ने लिखा, “जरा-सा भी विवेक रखने वाले किसी भी इंसान को नूरजहाँ की आँखें लंबे समय तक परेशान करेंगी। वह एक दिन में नहीं मरी, बल्कि एक ऐसे मुल्क की वर्षों की लापरवाही और निर्दयता से मरीं, जो यह तय करने में बहुत व्यस्त है कि कौन मुस्लिम है और कौन नहीं।”

शोएब नाम के एक शख्स ने लिखा, “कराची में हाथी नूरजहाँ की मौत। नूरजहाँ की हालत कई दिनों से गंभीर बनी हुई थी। प्रत्येक जीव को एक न एक दिन मरना ही है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आपराधिक लापरवाही और सुविधाओं की कमी ने उसकी जान ले ली। वह केवल 14 साल की थी। हाथियों की औसत उम्र 60-70 होती है।”

फोर पॉज संस्था ने ट्वीट किया, “नूरजहाँ की दुखद कहानी उस पीड़ा की याद दिलाती है जो पाकिस्तान और दुनिया भर में बंदी जंगली जानवरों को झेलनी पड़ती है। हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान में अधिकारी इसे एक उदाहरण के रूप में लेंगे और भविष्य में बंदी जंगली जानवरों के लिए बेहतर काम करेंगे।”

अहमद हयात ने लिखा, “यह दुनिया आपके लायक नहीं थी नूरजहाँ। आप कराची चिड़ियाघर जैसी डरावनी जगह में रहने के लायक नहीं थीं। अगर नूर की कहानी हमें कुछ भी एहसास कराती है तो वह यह है कि चिड़ियाघरों को खत्म करने की जरूरत है। जानवर इस तरह जीने या मरने के लायक नहीं हैं।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया