13 साल की लड़की का रेप कर इस्लाम कबूल करवाया: कोर्ट गए पिता को न्याय की जगह मिला 30000 ‘रुपए’ का जुर्माना

पीड़िता के पिता ने सुनाई अपनी व्यथा (साभार: Twitter/Rahat Austin)

पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता राहत ऑस्टिन ने रविवार (दिसंबर 20, 2020) को ट्विटर पर एक वीडियो शेयर की। इस वीडियो में 13 वर्षीय एक नाबालिग ईसाई लड़की के पिता ने अपने परिवार के साथ हुए अत्याचार के बारे में बताया। पीड़ित पिता के मुताबिक साजिद अली, सुमैरा और तारव ने लाहौर के कंजरा से उनकी बेटी महविश को अगवा कर लिया। रेप के बाद जबरन उसका धर्मांतरण किया गया।

इसी घटना के बारे में बोलते हुए पाकिस्तानी कार्यकर्ता ने आज (दिसंबर 22, 2020) लाहौर उच्च न्यायालय के आदेशों की कॉपी शेयर की, जिसने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें पीड़ित के पिता को 30,000 पीकेआर (पाकिस्तानी रुपए) का जुर्माना देने के लिए कहा गया था। 

कार्यकर्ता ने बताया कि पीड़िता के पिता ने निचली अदालत द्वारा लगाए गए 30,000 पीकेआर जुर्माना को माफ करने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था। बता दें कि पीड़ित पिता ने नाबालिग बेटी के अपहरण के बाद मदद के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया था, मगर निचली अदालत ने पीड़िता के पिता की किसी भी तरह की मदद देने के बजाय उन पर जुर्माना लगा दिया था।

https://twitter.com/johnaustin47/status/1340970059796115456?ref_src=twsrc%5Etfw

सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले पीड़िता के पिता के लिए इतनी राशि की व्यवस्था करना लगभग असंभव था। इसलिए उन्होंने लाहौर उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी कि वह उन पर लगाए गए जुर्माने को वापस ले ले। हालाँकि, पाकिस्तान HC ने उन्हें निचली अदालत द्वारा दिए गए आदेश को खारिज करने में मदद करने के बजाय तुरंत जुर्माना भरने को कहा।

पाकिस्तान में इंसाफ मिलना असंभव है: पीड़िता के पिता

हमने रविवार को बताया था कि 13 वर्षीय ईसाई पीड़ित के व्यथित पिता ने कहा था कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला को वो पूरे परिवार के साथ मरने पर मजबूर हो जाएँगे। पीड़ित पिता ने वीडियो में कहा था –

“यदि प्रधानमंत्री, मंत्री, मुख्य न्यायाधीश और सांसद मेरी पीड़ा नहीं सुनते और मेरी बच्ची की सही सलामत वापसी नहीं सुनिश्चित करवाते तो मैं पूरे परिवार के साथ मरने को मजबूर हो जाऊँगा। पाकिस्तान में इंसाफ मिलना असंभव है। न्याय तभी मिलेगा जब मेरी बेटी मेरे पास वापस आएगी। मेरी बातों को हल्के में न लें। अगर मेरी बेटी वापस नहीं आती है, तो मैं वही करूँगा जो मैंने कहा है।”

वहीं यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने किसी राजनीतिक नेताओं से मदद माँगी है, पीड़ित पिता ने दुख व्यक्त करते हुए कहा था, “शुरू में हमने दो बार मंत्री जाहज आलम घस्ती से मिलने की कोशिश की, लेकिन मिल नहीं सके। हालाँकि, बाद में 3 बार उनसे अलग-अलग मौकों पर मिले। लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें मैं क्या कर सकता हूँ।”

उल्लेखनीय है कि पिछले साल 10 अक्टूबर को 14 वर्षीय हुमा यूनुस को कराची में उसके माता-पिता के घर से पंजाब के डेरा गाजी खान निवासी अब्दुल जब्बार नामक एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा अपहरण कर लिया गया था। वहीं फरजाना (14) और सेहरिश (16) के साथ 3 मुस्लिम युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया, लेकिन परिजनों को अदालत के बाहर ही मामला सुलझाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया