‘योग करने से हिंदुत्व के बढ़ने का खतरा’: कट्टरपंथियों के दबाव में अमेरिका के अलबामा में ‘योग पर बैन’ जारी

अलबामा में योग पर बरकरार रहेगा बैन

अमेरिका के अलबामा राज्य में बीते 28 साल से योग पर लगा प्रतिबंध आगे भी जारी रहेगा। इस पर लगे बैन को हटाने के लिए लाया गया विधेयक कट्टरपंथियों के दवाब के कारण पारित ही नहीं हो सका।

अलबामा प्रतिनिधि सभा ने योग विधेयक को 17 के मुकाबले 84 मतों से पारित करा लिया। मंजूरी के लिए इसे राज्य की सीनेट में लाया गया था। ताकि इस पर से प्रतिबंध को हटाया जा सके। लेकिन, कट्टरपंथी ईसाइयों के चलते ऐसा नहीं हो सका।

अलबामा हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव जेरेमी ग्रे ने कट्टरपंथियो को जवाब देते हुए कहा कि वो खुद बीते 10 साल से योग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने खुद 5 साल तक कक्षाओं में योग सिखाया है और हर रविवार बैप्टिस चर्च जाता हूँ।”

आपको बता दें कि जेरेमी ग्रे 2019 से योगा पर बैन हटाने के लिए प्रयासरत हैं। वह कहते हैं कि इस विधेयक का उद्देश्य केवल अलबामा के सरकारी स्कूलों में योग को ऐच्छिक विषय के तौर पर चुनने का विकल्प देना था।

हिंदूफोबिया के शिकार हैं कट्टरपंथी ईसाई

कट्टरपंथी ईसाइयों के कारण ही अलबामा की स्कूलों में 1993 से योग पर बैन लगा हुआ है। कट्टरपंथी समूहों का आरोप था कि सरकारी स्कूलों में सम्मोहन विद्या के लिए योग का इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण चरमपंथियों के दवाब में आकर अलबामा शिक्षा बोर्ड ने सम्मोहन और ध्यान को प्रतिबंधित करने के पक्ष में वोट किया था। तभी से यहाँ योग बैन है। इन ईसाइयों को इस बात का डर सता रहा है कि योग करने से लोग धर्मांतरण कर हिंदू बन सकते हैं।

योग सनातन संस्कृति का है अहम हिस्सा

योग सदियों से हिंदू संस्कृति का एक अहम हिस्सा रहा है। इसके कई चिकित्सकीय फायदे हैं। आध्यात्मिक तौर पर आत्मा को परमात्मा से मिलाने की क्रिया योग है और वैज्ञानिक दृष्टि से यह स्वस्थ जीवन का आधार है। यही कारण था कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया