म्यांमार में 1 साल के लिए आपातकाल: सेना का तख्तापलट, राष्ट्रपति समेत आंग सान सू की हिरासत में

म्यांमार में तख्तापलट (साभार: the straits times)

म्यांमार में एक बार फिर तख्तापलट की खबरें सामने आ रही हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि वहाँ की सबसे बड़ी नेताओं में शुमार आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) को सेना ने हिरासत में लेकर 1 साल के लिए देश की बागडोर अपने हाथों में ले ली है।

आंग सान सू की के अलावा राष्ट्रपति विन मिंट और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ लोगों को आज सुबह की छापेमारी के दौरान हिरासत में लिया गया। नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (National League for Democracy/ NLD) के एक प्रवक्ता म्यो न्यूंत ( Myo Nyunt) ने सोमवार (फरवरी 1, 2021) को जानकारी देते हुए कहा कि ये कदम सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच बढ़ते तनाव के बाद उठाया गया है, जो चुनाव के बाद भड़की हुई है।

उन्‍होंने कहा कि देश में जो हालात हैं, उससे यह साफ है कि सेना तख्‍तापटल कर रही है। म्‍यांमार के राजनीतिक संकट पर भारत की पैनी नजर है। हालाँकि, भारत ने इस पर अपनी प्रति‍क्रिया नहीं दी है, लेकिन वह घटना पर नजर बनाए हुए है। उन्होंने अपने लोगों से अपील की कि वे जल्दबाजी में जवाब न दें व कानून के अनुसार काम करें।

जानकारी के मुताबिक, देश में राज्य टीवी ऑफ एयर हो गया और इंटरनेट आदि भी प्रभावित हुए हैं। सेना ने मुख्य प्रदेशों में अपनी पोजीशन ले ली है। NLD नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि जिन्हें सेना ने हिरासत में लिया, उनमें हन थार माइंट भी शामिल हैं, जो कि पार्टी की केंद्रीय कार्य समिति के सदस्य हैं।

इधर, कारेन राज्य के मुख्यमंत्री व अन्य स्थानीय नेताओं को भी पकड़ा गया है। 75 साल की नोबेल प्राइज विजेता सू की भी इन्हीं नामों में शामिल हैं, जिन्होंने दशकों तक देश में लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि स्थापित की।

सू की वैश्विक छवि पर साल 2017 के बाद रोहिंग्याओं के कारण असर पड़ा था, मगर उनके देश में उनकी लोकप्रियता बराबर बनी रही। हालाँकि पिछले हफ्ते सेना से बढ़े तनाव ने उन्हें एक बार फिर चर्चा में ला दिया।

मालूम हो कि म्यांमार में नवंबर में हुए चुनावों से सेना काफी समय से अंतुष्ट थी, जिसके नतीजों में आंग सान सू की भारी बहुमत से जीती थीं। सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था। इसी के बाद से सरकार और सेना के बीच विवाद जारी था।

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इससे पहले सेना ने शनिवार को इस बात से इनकार किया था कि उसके सेना प्रमुख ने चुनाव में धोखाधड़ी की शिकायतों के बाद तख्‍तापटल की धमकी दी थी। उनका मत था कि मीडिया ने उनकी बात का गलत अर्थ निकाला है। लेकिन आज सुबह-सुबह होते-होते सभी झूठ से पर्दा उठ गया।

बता दें कि पिछले हफ्ते भी म्‍यांमार में तनाव के हालात हुए थे। उस समय सेना के प्रवक्‍ता ने कहा था कि नवंबर में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की उसकी शिकायतों पर ध्‍यान नहीं दिया गया तो तख्‍तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि म्यांमार ने 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से दो – 1962 में एक और 1988 में एक के बाद एक दो तख्तापलट देखे हैं। एक दशक पहले तक म्यांमार में सैनिक शासन ही था और चूँकि ये सैनिक शासन लगभग 50 साल तक था, इसलिए म्यांमार का लोकतंत्र अभी जड़ें नहीं जमा सका है। जब हालिया चुनावों में एनएलडी ने बड़ी जीत हासिल की तो उसको संदेह की नजरों से देखा जाने लगा। बाद में नवनिर्वाचित संसद की पहली बैठक से ठीक पूर्व ये तख्तापलट किया गया ।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया