बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पूर्व आधिकारिक निवास ‘गोनो भवन’ (गण भवन) को संग्रहालय में बदलने का निर्णय लिया गया है। यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे “जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय” के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।
इस संग्रहालय का उद्देश्य शेख हसीना सरकार के पतन के समय हुई “जुलाई क्रांति” को यादगार बनाना है। इसके लिए 8 सितंबर तक एक समिति गठित की जाएगी, जिसमें वास्तुकला विशेषज्ञ और संग्रहालय अधिकारी शामिल होंगे, जो इस काम को आगे बढ़ाएँगे। डाक और दूरसंचार सलाहकार नाहिद इस्लाम ने गोनो भवन का दौरा करते हुए बताया कि समिति जल्द से जल्द काम शुरू करेगी, और सरकार संग्रहालय का उद्घाटन जल्दी करना चाहती है।
बता दें कि यह वही स्थान है जहाँ जुलाई 2024 में व्यापक हिंसक दंगे हुए थे। कट्टरपंथियों ने शेख हसीना के घर में लूटपाट की थी और सामान लूट-कर ले जाते दिखे थे। खुद को कथित छात्र आंदोलनकारी कहने वाले लुटेरों के हाथों में ब्लाउज और ब्रा देखे गए थे। इसके बाद से ही यह निवास सरकारी सुरक्षा के तहत बंद कर दिया गया था।
नाहिद इस्लाम ने कहा कि गोनो भवन में जो संरचनाएं और नुक़सान हैं, उन्हें ठीक करने के बजाय वैसा ही रखा जाएगा, ताकि क्रांति के दौरान जनता के गुस्से की छवि बरकरार रहे।
खेल और युवा सलाहकार आसिफ महमूद साजिब भुइयाँ ने कहा कि गोनो भवन में हुए नुकसान को ठीक नहीं किया जाएगा बल्कि इसे स्मारक के रूप में संरक्षित किया जाएगा। भवन को उसी स्थिति में संग्रहालय में बदला जाएगा, जैसा कि वह वर्तमान में है। संग्रहालय में प्रदर्शनकारियों की घटनाओं, क्रांति के शहीदों और घायलों की सूची भी होगी। इसके साथ ही, पिछले 16 वर्षों में अवामी लीग सरकार के दौरान हुईं कथित हत्याओं, जबरन गायब किए जाने और अन्य अत्याचारों को भी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, गोनो भवन 1975 में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन शेख हसीना इसके एकमात्र निवासी प्रधानमंत्री थीं। इस भवन का निर्माण शेख मुजीबुर रहमान ने अपने सरकारी निवास के रूप में करवाया था, लेकिन उनके जीवनकाल में इसका उपयोग नहीं हुआ। 1975 के तख्तापलट के बाद इसे सैन्य कोर्ट में बदल दिया गया। 1985 में इस भवन का पुनर्निर्माण हुआ और इसे राज्य अतिथि गृह बना दिया गया। बाद में, शेख हसीना ने अपने पहले कार्यकाल में इसे कैबिनेट की बैठकें आयोजित करने के लिए पट्टे पर लिया।
जब बेगम खालिदा जिया 1991 में पहली बार प्रधानमंत्री बनीं तो उन्होंने राष्ट्रपति कार्यालय को प्रधानमंत्री कार्यालय में बदल दिया और वे स्वयं आर्मी कैंट में ही रहती रहीं। साल 2009 में जब हसीना सत्ता में लौटीं, तो संसद ने मुजीबुर रहमान के परिवार को राज्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक कानून पारित किया और गोनो भवन को शेख हसीना का आधिकारिक निवास बना दिया या। वो साल 2010 से वह इस घर में रहने लगीं।