‘इस्लाम कबूलो वरना दर्द सहो’ : ब्रिटेन की जेलों में ‘मुस्लिम बंदी’ चला रहे गैंग, रिपोर्ट में बताया- कैदियों के सिरहाने रख दते हैं कुरान, धर्मांतरण का डालते हैं दबाव

ब्रिटेन जेल में कैदियों का धर्मांतरण (तस्वीर साभार: Alamy)

ब्रिटेन सरकार द्वारा नियुक्त स्वतंत्र ‘फेथ एडवाइजर’ कॉलिन ब्लूम ने 25 अप्रैल 2023 को एक चौंकाने वाली रिपोर्ट ‘द ब्लूम रिव्यू’ जारी की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन की जेल में रह रहे कैदियों को उनके साथ रह रहे मुस्लिम कैदी इस्लाम में परिवर्तित करवा रहे हैं और साथ ही उन्हें धर्मांतरण पर ‘सुरक्षा’ भी मिल रही है।

रिपोर्ट में लिखा है कि नए कैदियों के बिस्तर पर कुरान रखी जाती है और उन्हें विकल्प दिया जाता है कि या तो वो इस्लाम कबूल कर लें वरना दर्द सहें। ब्लूम की रिपोर्ट के अनुसार अगर जेल में कोई मुस्लिम के रूप में नहीं पहचाना जाता तो फिर उसे मुस्लिमों की गैंग कोई सुरक्षा नहीं देती और उसी कैदी को उसी गैंग की हिंसा और धमकियों का शिकार होना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि सरकार को कट्टरपंथी इस्लामवाद और इस्लाम व इस्लामी कट्टरपंथी और मुस्लिमों के बीच अंतर देखने के अपने प्रयासों को मजबूत करना होगा। 

ब्लूम की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे जेल में तेजी से धर्मांतरण करवाया जा रहा है। 2021 तक जेल में मुस्लिमों की आबादी में 18% थी। 2002 के मुकाबले यह 8% बढ़ी हुई है।

रिपोर्ट कहती है, “लंदन की जेलों में मुस्लिम पुरुष कैदियों की आबादी कथिततौर पर लगभग 30% है जो कि लंदन की सामान्य आबादी में उनकी 15% से बहुत अधिक है।”

कॉलिन ने सरकार से ऐसे दावों की तत्काल समीक्षा करने की सिफारिश की, जिसमें कैदियों को जबरन कट्टरपंथी और जेल में परिवर्तित किए जाने की बात है। साथ ही कहा कि ये मजहब आधारित गैंग से जुड़ा मुद्दा है।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जेलों में किसी भी धर्म के कैदियों के मुकाबले हिंदू निम्न स्तर पर हैं, लेकिन रोजगार के मामले में ये सबसे ज्यादा हैं।

रिपोर्ट के 159 पेज में ब्लूम ने कहा कि अभी तक मामले में ‘अपर्याप्त कार्रवाई’ की गई है। सरकार को ‘जबरन निकाह’ जैसे मुद्दों में हो रहे अन्याय को रोकने से पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके अलावा इस रिपोर्ट में कॉलिन ब्रिटेन में बढ़ रहे खालिस्तानी समर्थकों का मुद्दा भी सरकार के सामने लेकर आए।

रिपोर्ट में कहा गया, “नफरत और विभाजन को बढ़ाना, युवाओं का ब्रेनवॉश करना ताकि भारत में नफरत फैले, बहुत दुखदायी है। कुछ सिख कट्टरपंथी समूह धार्मिक स्थलों को फंड इकट्ठा करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं ताकि घृणा फैला सकें। इस तरह के संगठनों को हमारे महान देश में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया