इंडोनेशिया में COVID-19 वैक्सीन भी चाहिए हलाल, उलेमा काउंसिल को भेजा गया प्रस्ताव

इंडोनेशिया में चीनी कोरोना वैक्सीन के लिए हलाल सर्टिफिकेट की माँग

इंडोनेशिया का सर्वोच्च मुस्लिम निकाय चीन के सिनोवैक बायोटेक द्वारा विकसित प्रायोगिक कोरोना वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) के लिए हलाल सर्टिफिकेट जारी कर सकता है। यह हलाल प्रमाणीकरण दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में टीकाकरण के प्रयासों में अहम फैसला बताया जा रहा है।

इंडोनेशिया के मानव विकास और संस्कृति मंत्री मुअज्जिर एफेंडी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इंडोनेशियाई उलेमा काउंसिल हलाल उत्पाद गारंटी एजेंसी और खाद्य, औषधि और प्रसाधन सामग्री के मूल्यांकन के लिए संस्थान द्वारा एक अध्ययन पूरा किया गया है जिसके बाद फतवा और हलाल प्रमाण पत्र जारी करने के लिए इसे परिषद के सामने प्रस्तुत किया गया है।

उल्लेखनीय है कि हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है- जायज़ या वैध। हलाल शब्द इस्लाम धर्म से सम्बन्धित है, जो खाने के मामले में और उसमें भी खासकर मीट के मामले में तय करता है कि वो किस तरह से तैयार किया गया है। इसी तरह ‘हराम’ भी एक अरबी शब्द है जिसे समुदाय विशेष में वर्जित या फिर मजहबी कारणों से अपवित्र मानी जाने वाली चीजों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

चीन के सिनोवैक बायोटेक द्वारा विकसित प्रायोगिक COVID-19 वैक्सीन की दस लाख से अधिक मात्रा रविवार (दिसंबर 06, 2020) शाम को इंडोनेशिया पहुँच चुकी है। इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्री तरावान अगुस पुटरान्टो ने कहा कि वैक्सीन को इंडोनेशिया में वितरित किए जाने से पहले फेज़-3 क्लिनिकल ट्रायल को सफलतापूर्वक पूरा करने की आवश्यकता है। सरकार लोगों को वही वैक्सीन प्रदान करेगी, जो सुरक्षित साबित हो और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के तहत ट्रायल पास करे।

यूनिसेफ इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रीय राजदूत हरमन सापुत्र ने कहा कि 1.2 मिलियन खुराक केवल 6,00,000 लोगों के लिए पर्याप्त हैं, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को दो खुराक की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, सापुत्र ने कहा कि सरकार को गारंटी देनी चाहिए कि टीका पूरे देश में वितरण के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगा। सापुत्र ने कहा कि यदि प्रायोगिक टीका तीसरे चरण के ट्रायल में सफल होता है, तो टीकाकरण कार्यक्रम अगले साल के मध्य में शुरू हो सकता है।

फिलहाल, इंडोनेशिया द्वारा कोरोना वैक्सीन का हलाल प्रमाणीकरण सोशल मीडिया पर बहस का विषय बना हुआ है। गौरतलब है कि हलाल प्रक्रिया अक्सर लोगों के बीच बहस का मुद्दा रहा है। कई लोग इसे मजहब विशेष द्वारा अन्य सभी समुदायों के आर्थिक बहिष्कार का भी नाम देते हैं क्योंकि हलाल कि प्रक्रिया में तैयार की जाने वाली चीज में शुरू से आखिर तक सिर्फ एक ही समुदाय के लोग भाग लेते हैं। और इसके निर्माण से लेकर पैकेजिंग और अंतिम वितरण के किसी भी चरण में यदि दूसरे समुदाय की भागीदारी होती है, तो यह हलाल नहीं रह जाता है।

दवा और कॉस्मेटिक उद्योग में हलाल प्रमाणीकरण

दवा और कॉस्मेटिक कंपनियाँ अपने उत्पाद के लिए हलाल प्रमाणपत्र इस कारण लेती हैं क्योंकि वे उसके लिए जानवरों के बाय-प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं। उदाहरण के तौर पर- परफ्यूम में अल्कोहल का इस्तेमाल किया जाता है, लिपस्टिक में कई पशुओं की चर्बी होती है। अक्सर इन चीजों को इस्लाम में हराम माना जाता है जिस कारण इनकी निर्माता कंपनियों को ये बताना होता है कि उन्होंने ऐसे किसी प्रोडक्ट का उपयोग नहीं किया है। हलाल प्रमाणीकरण का विषय अक्सर विवाद का विषय रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया