हनीमून के दौरान डॉक्टर ने कैंची से कर दिया पत्नी का खतना, तड़पती रही महिला, बहा काफी खून: जर्मनी में ऐसी 68000 पीड़िताएँ

जर्मनी में प्रवासियों की संख्या बढ़ते के साथ बढ़ रहे खतना जैसे अपराध (प्रतीकात्मक चित्र)

जर्मनी में एक डॉक्टर ने सामान्य कैंची से हनीमून के दौरान ही अपनी पत्नी का खतना कर डाला। एक आँकड़ा कहना है कि जर्मनी में ऐसी 68,000 पीड़िताएँ हैं, जिनके जननांगों का खतना कर दिया गया। ताज़ा घटना हेल्मश्टेट शहर से आई है, जहाँ जहाँ आरोपित डॉक्टर पर जोर-जबरदस्ती करने और मारपीट का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि होटल के कमरे में ही डॉक्टर ने ये ‘सर्जरी’ कर डाली। अनस्थीसिया तक का इस्तेमाल भी नहीं किया गया।

इससे महिला को असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ा और काफी खून भी बह गया। उस समय 31 वर्षीय महिला को डॉक्टर पति ने ये कह कर इसके लिए राज़ी किया था कि अगर उसने बात नहीं मानी तो वो तलाक दे देगा। इसके बाद उसे समाज से बहिष्कृत करने की धमकी भी दी गई थी। दोनों मुस्लिम समुदाय से हैं। जर्मनी में किसी महिला का खतना कराने पर 1 वर्ष तक की सज़ा का प्रावधान है। इसे ‘फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM)’ कहा जाता है, जिसके खिलाफ ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)’ भी अभियान चलाता रहा है।

एक आँकड़े की मानें तो दुनिया भर में 30 करोड़ महिलाओं का खतना हुआ है और अफ्रीका में तो हर साल 30 लाख लड़कियों पर खतना का खतरा मँडराता रहता है। यूरोप में प्रवासी समस्या को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। बाहर से आने वाले मुस्लिम प्रवासी समाज में इस तरह की विसंगतियाँ देखने को मिल रही हैं। खतना के दौरान आम तौर पर क्लिटोरिस समेत महिला के जननांग के बाहरी हिस्से को आंशिक या पूरी तरह हटाया जाता है, या फिर जननांगों को सिल दिया जाता है।

मुख्यतः शिशु अवस्था से लेकर 15 वर्ष तक की उम्र तक लड़कियों का खतना कर दिया जाता है। लड़कों के मामले में तो ये आँकड़े कई गुना ज्यादा हैं। साधारण ब्लेड या किसी औजार का इस्तेमाल कर के ऐसा किया जाता है। आजकल मेडिकल स्टाफ की मदद भी ली जाती है। मुस्लिम समाज के कई हिस्सों में माना जाता है कि महिलाओं की कामेच्छा को नियंत्रण में रखने के लिए खतना आवश्यक है। इससे दर्द, पेशाब में संक्रमण, बाँझपन या मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं।

2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महिला खतने को खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव स्वीकार किया था। जर्मन मीडिया एजेंसी DW के अनुसार, देश में 15,000 लड़कियाँ ऐसी हैं जिनका खतना कराए जाने की आशंका है। 2017 के मुकाबले खतना के आँकड़े में 44% की वृद्धि को प्रवासियों के बड़ी संख्या में आने को कारण बताया जा रहा है। जर्मनी की परिवार कल्याण मंत्री फ़्रांजिसका जिफ्फी ने कहा कि ये मानवाधिकार का उल्लंघन है और एक महिला के अधिकारों का हनन है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया