इजरायल ने भारत से 1 लाख लोग माँगे थे, 60+ श्रमिकों का पहला जत्था हुआ रवाना: हमास आतंकियों के हमले के बाद रद्द कर दिए थे फिलिस्तीनियों के परमिट

इजरायल जाने वाले भारतीय श्रमिकों का पहला जत्था और इजरायली राजदूत (साभार:X/NaorGilon)

पिछले साल फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास द्वारा इजरायल पर आतंकी हमले के बाद इस यहूदी ने एक बड़ा कदम उठाया है। वहाँ की सरकार फिलिस्तीनी कामगारों की जगह अब एक लाख भारतीय श्रमिकों को अपने यहाँ नौकरी देना चाह रही है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। 60 भारतीय श्रमिकों का पहला जत्था इजरायल रवाना हो गया है।

इजरायली अधिकारियों ने मंगलवार (2 अप्रैल 2024) को बताया कि दोनों देशों के बीच सरकारी समझौते के तहत भारतीय निर्माण श्रमिकों के पहले बैच को इजरायल भेज दिया गया है। हालाँकि, इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी कि भारतीय पक्ष ने इस कदम पर हस्ताक्षर किए हैं या नहीं। दरअसल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने 8 मार्च को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि भारत श्रमिकों को इज़रायल भेजने के G2G समझौता पर अभी भी काम कर रहा है।

भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने 2 अप्रैल को सोशल मीडिया साइट X पर पोस्ट किया, “आज हमारे यहाँ G2G समझौते के तहत इज़रायल जाने वाले 60+ भारतीय निर्माण श्रमिकों के पहले बैच का विदाई कार्यक्रम था। यह NSDC (National Skill Development Corporation) सहित कई लोगों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। मुझे यकीन है कि ये लोग भारत-इजरायल के लोगों के संबंधों के ‘राजदूत’ बनेंगे।”

दरअसल, इजरायल ने भारत और अन्य देशों से हजारों श्रमिकों की भर्ती करने की घोषणा की थी। ये भर्ती फिलिस्तीनी श्रमिकों की जगह हो रही है। दरअसल, हमास के साथ संघर्ष के बाद इजरायल ने अक्टूबर 2024 में फिलिस्तीनिी श्रमिकों के वर्क परमिट को रद्द कर दिया था।

पिछले साल दिसंबर यानी दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोन इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने टेलीफोन पर बात की थी और भारत से श्रमिकों के बुलाने के प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आग्रह किया था। हालाँकि, इजरायली राजदूत के बयान के बाद विदेश में रोजगार की निगरानी करने वाले विदेश मंत्रालय सहित भारत की ओर से कोई बयान नहीं आया है।

इन दोनों राज्यों के सैकड़ों श्रमिकों ने इज़रायल के निर्माण क्षेत्र में चिनाई, बढ़ईगीरी, टाइलिंग और बार-बेंडिंग जैसे क्षेत्र में नौकरियों के लिए टेस्ट दिया था। इसके बाद भारत और इज़रायल ने 3 नवंबर 2023 को दो क्षेत्रों – निर्माण और घर-आधारित देखभाल में भारतीय श्रमिकों के अस्थायी रोजगार की सुविधा के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

बता दें कि NSDC सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत वित्त मंत्रालय द्वारा स्थापित एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी है। यह भारतीय श्रमिकों को कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करती है। NSDC ने इज़रायल में काम करने के इच्छुक श्रमिकों के की स्क्रीनिंग और साक्षात्कार के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कार्यक्रमों आयोजित किए थे।

NSDC की वेबसाइट के एक पैम्फलेट में कहा गया है कि फ्रेमवर्क वर्कर और बार-बेंडर्स, दोनों के लिए तीन-तीन हजार नौकरियाँ हैं। वहीं, टाइलिंग और प्लेटिंग के लिए 2-2 हजार नौकरियाँ हैं। इसमें कहा गया है कि इन नौकरियों के 1,37,000 रुपए मासिक वेतन दिया जाएगा। एनएसडीसी के लोगो वाले एक अन्य पैम्फलेट में कहा गया है कि श्रमिकों को अपनी यात्रा और स्थानांतरण के लिए भुगतान करना होगा।

दरअसल, पिछले साल नवंबर में विदेशी अखबार इंडिपेंडेंट ने VOA के हवाले से कहा था कि इजरायल के निर्माण क्षेत्र की कंपनियों ने कहा था कि फिलिस्तीनी श्रमकिों की जगह भारतीय श्रमिकों को काम पर रखने के लिए तेल अवीव के अधिकारियों से अनुमति माँगी थी। फिलिस्तीनियों का वर्क परमिट रद्द करने के बाद यह इंडस्ट्री बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई।

इजराइल बिल्डर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष हैम फीग्लिन ने तब कहा था, “फिलहाल हम भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं। हम इसे मंजूरी देने के लिए इजरायली सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हम पूरे बिल्डिंग क्षेत्र को चलाने और इसे सामान्य स्थिति में लाने के लिए 50,000 से 100,000 भारतीय श्रमिकों को शामिल करने की उम्मीद करते हैं।”

हमास के हमले से पहले विनिर्माण क्षेत्र के कुल वर्क फोर्स का 25 प्रतिशत सिर्फ फिलिस्तीनी थे। इसके बाद 42000 भारतीय श्रमिकों को इजरायल ले जाने के लिए वहाँ की सरकार ने भारत के साथ समझौता किया था। इनमें से 34,000 श्रमिकों को विनिर्माण क्षेत्र और बाकी के 8,000 श्रमिकों को नर्सिंग के क्षेत्र में लगाए जाने की बात कही गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया