फ्रांस में बैन होंगे 51 इस्लामी संगठन, Twitter पर भी कसी जा सकती है नकेल: शरणार्थी बन कर आया था हत्यारे का परिवार

फ़्रांस की राजधानी पेरिस में 'मैं भी सैमुअल' का नारा लगाते हुए प्रदर्शनकारी (फोटो साभार: France24)

फ्रांस में एक शिक्षक की इस्लामी कट्टरपंथी द्वारा हत्या किए जाने के बाद वहाँ कई इस्लामी संगठनों और इस्लामी कट्टरपंथी विचार रखने वाले लोगों के ठिकानों पर लगातार छापेमारी हो रही है। इस कार्रवाई में दर्जनों कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया गया है। इतिहास के शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या के बाद हो रही कार्रवाई में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 4 छात्र हैं। इसमें एक व्यक्ति हत्यारे से सम्पर्क में भी था।

ऑनलाइन हेट स्पीच के 80 मामलों में अलग-अलग जाँच चल रही है। साथ ही 51 इस्लामी संगठनों को प्रतिबंधित किए जाने पर विचार किया जा रहा है। इनमें कई बड़े संगठन भी शामिल हैं। इनमें से एक ‘ह्यूमेनिटेरियन एसोसिएशन बराकसिटी’ भी शामिल है, जिसने फ़्रांस के गृह मंत्री को भी पागल करार दिया है और कहा है कि उसके खिलाफ कोई सबूत न मिलने के बाद इस वारदात से उपजे इमोशंस का सहारा लेकर उसे निशाना बनाया जा रहा है।

साथ ही सरकारी वाचलिस्ट में आए 213 विदेशियों को भी देश से बाहर निकला जाएगा। इनमें से 150 पहले से ही जेल में हैं। इन सभी पर इस्लामी कट्टरवादी विचारधारा के अनुसरण का आरोप है। शिक्षक के खिलाफ जिसने भी लिखा या फिर हत्यारों का जिसने भी समर्थन किया, उन सभी को ट्रैक कर के गिरफ्तार किया जा रहा है। हत्यारे के परिवार के 4 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। हत्यारे का नाम अब्दुल्लाख अँजोरोख है।

उसके मोबाइल फोन से शिक्षक सैमुअल की तस्वीर भी मिली है, जिसके साथ हत्यारे ने अपना जुर्म कबूल करते डाल रखा था। जब वो 6 साल का था, तभी वो शरणार्थी बन कर फ्रांस आ गया था। साथ ही जिस छात्र के पिता ने सोशल मीडिया पर शिक्षक के खिलाफ लिखा था और उसे बरखास्त करने की माँग की थी, उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है। अब्दुल्ला हमेशा ‘इस्लामोफोबिया’ के खिलाफ लड़ाई का दावा करता था और सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ ‘समुदाय विशेष के साथ उसके रवैये’ को लेकर लिखता रहता था।

https://twitter.com/France24_en/status/1318125969744547840?ref_src=twsrc%5Etfw

2011 में उसने बुर्के पर लगे प्रतिबंध के बाद विरोध प्रदर्शन भी किया था। साथ ही उक्त शिक्षक के खिलाफ फतवा जारी करने वाले संगठन को भी जाँच के दायरे में लिया गया है। फ्रांस के शिक्षकों का कहना है कि क्लास में मजहब के आधार पर तनाव का माहौल पहले से ही रहा है। शिक्षकों का कहना है कि वो डरेंगे नहीं और ‘सेकुलरिज्म’ के साथ-साथ ‘फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ की शिक्षा बच्चों को देते रहेंगे।

उधर वहाँ के 4 NGO ने ट्विटर के खिलाफ भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हेट स्पीच पर लगाम लगाने में विफल रहने के कारण उसे कोर्ट में घसीटा गया है। हत्यारे का सन्देश और शिक्षक के मृत शरीर के साथ तस्वीर ट्विटर पर डाली गई थी, जिससे वहाँ के कई संगठन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से खफा हैं। हत्यारे ने अपने ट्विटर अकाउंट से भी आपत्तिजनक चीजें डाली थीं। वहाँ के ये NGO सरकार के साथ खड़े हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्क्रों ने भी इस घटना पर रोष जताया था। उन्होंने कहा था, “यह एक इस्लामी आतंकवादी हमला है। देश के हर नागरिक को इस चरमपंथ के विरोध में एक साथ आगे आना होगा। इसे किसी भी हालत में रोकना ही होगा क्योंकि यह हमारे देश के लिए बड़ा ख़तरा साबित हो सकता है।” उनकी सरकार के खिलाफ इस्लामी संगठन सोशल मीडिया पर आवाज़ उठा रहे हैं और कार्रवाई की निंदा कर रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया