भगोड़ा नित्यानंद लाया ‘रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा’, अपनी मुद्रा चलाएगा; अमेरिका सहित 3 महाद्वीपों में फैला है जाल

नित्यानंद अपनी मुद्रा और बैंक चलाएगा: 'कैलासा' में जश्न

कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया भीड़भाड़ से बच रही है। लेकिन, भारत से हजारों किलोमीटर दूर एक द्वीप पर भगोड़ा नित्यानंद अपने अनुयायियों के साथ ‘रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा’ और अपनी मुद्रा के उद्घाटन के मौके पर जश्न में डूबा हुआ है। कैलासा उसी ‘देश’ का नाम है, जहाँ का नित्यानंद खुद को प्रधानमंत्री बताता है।

उसने एनजीओ और कंपनियों का एक ऐसा नेटवर्क बिछाया है, जिससे पूरे अमेरिका से लेकर कई देशों में अपना जाल फैलाने में कामयाब रहा है। वह फंड्स को चैनलाइज करने के लिए भी इन संस्थाओं का उपयोग करेगा। उसने कहा कि लोग दान कर रहे हैं और सरकारों के साथ मिल कर काम किया जा रहा है, जिसका पूरा ढाँचा तैयार है।

‘आजतक/इंडिया टुडे’ मे प्रकाशित अंकित कुमार की एक एक्सक्लूसिव खबर में नित्यानंद से जुड़े 13 संगठनों से संबंधित जानकारियों के हवाले से बताया गया है कि कैसे सामाजिक-आर्थिक समूहों के जरिए ‘कैलासा’ का गड़बड़झाला चल रहा है। वह बैंकों और शिक्षण संस्थानों को अपने ढाँचे का आधार बना रहा है। उसका नेटवर्क 3 महाद्वीपों में फैला हुआ है। अमेरिकी अधिकारियों को बताया गया है कि वह एक हिन्दू दूतावास बना रहा है।

नित्यानंद का कहना है कि पूरी दुनिया मे वास्तविक रूप से हिंदुओं के अभ्यास के लिए कोई जगह नहीं है, इसीलिए वो ‘कैलासा’ के जरिए ऐसा करना चाहता है। ‘इंडिया टुडे/आजतक’ ने कॉर्पोरेट फाइलिंग के हवाले से जानकारी दी है कि पूरे अमेरिका में इसके फुटप्रिंटस का फैलाव है और वहाँ उसने पिछले साल ही ‘कैलासा’ से जुड़े 10 संगठनों की स्थापना की है। इनमें से 9 एनजीओ हैं और 1 घरेलू प्रॉफ़िट कॉर्पोरेशन है।

अमेरिका के सैन जोस, मिशिगन, मिनेसोटा, पेंसिल्वेनिया, पिट्सबर्ग, टेनेसी, डलास, ह्यूस्टन और सिएटल मे ‘कैलासा’ से जुड़े एनजीओ स्थापित किए गए हैं। अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष भी नित्यानंद किसी अन्य देश की तरह बातें रखता है और उसने बताया है कि वो हिंदुओं के वैश्विक प्रतिनिधित्व के लिए एक दूतावास बनाना चाहता है। वो देशों की अर्थिक व राजनीतिक स्थिति का विश्लेषण कर ‘कैलासा’ के ‘मंत्रालय’ को रिपोर्ट करेगा।

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नित्यानंद ध्यानपीठम और नित्यानंद मिशन उर्फ ​​यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा के साथ निगम ने अपनी संबद्धता स्वीकार की है। यहाँ तक कि हॉन्गकॉन्ग के ग्लोबल फाइनेंशियल हब में एक प्राइवेट कंपनी ‘कैलासा लिमिटेड’ के नाम से पंजीकृत कराया गया है। अप्रैल 2020 में ब्रिटेन में भी उसने कुछ संगठनों को इनकॉर्पोरेट किया है। ब्रिटेन में तो संगठनों को कॉम्पलिमेंट्री करेंसी के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है।

कैलासा को अब एक अलग मुद्रा बनाने की तैयारी है। कॉम्पलिमेंट्री करेंसी और प्राइवेट करेंसी पहले भी आते रहे हैं। सामाजिक, धार्मिक और पर्यावरण समूहों को ऐसी करेंसी का इस्तेमाल करने की इजाजत है। इसीलिए, नित्यानंद अपने अनुयायियों के बीच अपनी करेंसी के इस्तेमाल करने बढ़ावा दे सकता है। ये लीगल टेन्डर हो न हो लेकिन नित्यानंद इससे अपना वर्चुअल बैंक कहता रहेगा। नित्यानंद ई-पासपोर्ट भी देता रहा है।

इससे पहले जनवरी 2020 में बच्चियों से दुष्कर्म के आरोपी और हाईप्रोफाइल बाबा नित्यानंद के ख़िलाफ़ इंटरपोल ने गुजरात पुलिस के अनुरोध के बाद ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया था। हालाँकि, आरोप के बाद देश छोड़कर भागे नित्यानंद का अभी तक एजेंसियाँ सुराग नहीं लगा सकी हैं। नित्यानंद अलग देश ‘कैलासा’ बनाने वाली खबरों के बाद चर्चा में रहा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया