बांग्लादेश के चटगाँव शहर के कदम मुबारक क्षेत्र में जुम्मे के दिन यानी शुक्रवार (6 सितंबर) को भगवान गणेश की मूर्ति ले जा रहे हिंदू श्रद्धालुओं पर कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया। यह घटना गणेश चतुर्थी समारोह के आयोजन से एक दिन पहले हुई। रिपोर्ट के अनुसार, ‘बतरगली धवपरा सर्वजनिन पूजा समिति’ के सदस्य कारीगर उत्तम पाल की फैक्ट्री से एक वैन में हिंदू देवता की मूर्ति ला रहे थे।
भगवान गणेश की मूर्ति ले जा रहे हिंदू जैसे ही मोमिन रोड पर पहुँचे, वहाँ एक ऊँची इमारत पर से भगवान गणेश की मूर्ति और हिंदू श्रद्धालुओं पर गर्म पानी फेंक दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हिंदुओं पर ईंट और पत्थर आदि भी फेंके गए। यह इमारत कदम मुबारक मस्जिद के करीब स्थित है। हिंदू श्रद्धालुओं पर यह हमला जानबूझकर किया गया था।
इसको लेकर हिंदू श्रद्धालुओं और इमारत के लोगों के बीच बहस भी हुई। हमले में एक हिंदू युवक घायल हो गया है। घायल युवक ने बताया कि एक अन्य हिंदू श्रद्धालु के सिर में गंभीर चोटें आई हैं। इस हमले का निर्वासित प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने निंदा की है। आवामी लीग द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा गया, “अल्पसंख्यकों पर हमले क्यों किए जा रहे हैं?”
इस हमले की जानकारी मिलते ही सैकड़ों हिंदू चटगाँव के मोमिन रोड और जमाल खान वार्ड में एकत्र हो गए और विरोध प्रदर्शन किया। इसके तुरंत बाद किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए कदम मुबारक क्षेत्र में पुलिस और सशस्त्र बलों की एक बड़ी टीम तैनात कर दी गई। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने जिस इमारत से हमला किया गया था, उसके हर कमरे की तलाशी ली।
Hot water and stones were thrown at the Ganesh idol from the Kadam Mobarak Jam e Masjid in Chittagong while it was being taken to the Cheragi pahad area
— Nilay Mallick🇧🇩🕉️ (@nilaymallikk) September 6, 2024
When trying to find out the reason, two Hindus were detained and brutally beaten
Currently Hindus are protesting
12:40 am pic.twitter.com/SXPT0hmwWB
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले लगातार जारी
बतरगली धवपरा सर्वजनिन पूजा समिति’ के सदस्यों ने लक्षित हमले और हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर निराशा व्यक्त की है। वहाँ सत्ता परिवर्तन होने के बाद कट्टरपंथी मुस्लिम अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लगातार हमले कर रहे हैं। हाल में वहाँ के मुस्लिम छात्रों ने 60 से अधिक हिंदू शिक्षकों, प्रोफेसरों और सरकारी अधिकारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया था।