‘सड़क का काम रोको’: नारेबाजी करते हुए मुस्लिम भीड़ ने हिन्दुओं पर किया हमला, ज़ाहिर दर्जी की छत से दनादन चले पत्थर, पीड़ितों में अधिकतर दलित

नेपाल के सर्लाही जिले में मुस्लिम बहुल इलाके से भीड़ द्वारा हिन्दुओं के घरों पर पत्थरबाजी (बाएँ) , अपनी तकलीफ बताता एक पीड़ित

नेपाल के सर्लाही जिले में साम्प्रदायिक तनाव की खबर है। यहाँ मुस्लिम भीड़ ने सरकार द्वारा करवाए जा रहे विकास काम को रोक दिया। थोड़े समय बाद जब बाधा डाल रहे लोगों को भगाया गया तो उन्होंने मुस्लिम बहुल इलाके में हिन्दुओं के घरों पर हमला कर दिया। पत्थरबाजी जाहिर दर्जी के छत से हुई है। अन्य आरोपितों के नाम नवाजुद्दीन, जाबिर, तारिक, इमामुल और गुलाम आदि हैं। पीड़ित हिन्दुओं में अधिकतर वो जातियाँ हैं जो भारत में अनुसूचित जाति (SC) वर्ग में आती हैं।

हिन्दू संगठनों ने इस घटना पर नाराज़गी जताते हुए प्रशासन पर हमलावर मुस्लिमों को संरक्षण देने और मामले को दबाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।

यह घटना नेपाल में सर्लाही जिले के गोदैता बाजार की है। यहाँ के वार्ड संख्या 8 में मंगलवार (25 जून, 2024) को एक नेपाल सरकार द्वारा पारित एक सड़क का निर्माण करवाया जा रहा था। आरोप है कि इस दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग वहाँ पहुँच गए। उन्होंने ठेकेदार और मजदूरों को धमकी देते हुए काम बंद करने के लिए कहा। बताया जा रहा है कि जिस स्थान पर मुस्लिम पक्ष काम को रोकना चाहता था वहाँ न तो उनकी कोई जमीन थी और न ही उसके पास कोई भी आधिकारिक कागजात।

इसी निर्माण को रोकने के लिए पहुँची थी मुस्लिम भीड़

कुछ देर में दोनों पक्षों में तनातनी हो गई। मजदूरों को भी धमकाया जाने लगा। इन हरकतों के बावजूद ठेकेदार ने काम बंद करने से मना कर दिया। बताया जा रहा है कि इस दौरान दोनों पक्षों में गाली-गलौज और हाथापाई भी हुई। आखिरकार लोगों ने एकजुट हो कर बाधा डालने गई भीड़ को भगा दिया। मामले की सूचना प्रशासन को भी दे दी गई। ‘हिन्दू सम्राट सेना’ का आरोप है कि तुष्टिकरण की राजनीति से प्रभावित नेपाली प्रशासन ने सरकारी काम में रुकावट डालने गए लोगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

इधर काम रुकवाने में असफल होने से मुस्लिम भीड़ नाराज हो गई। भीड़ में शामिल लोग सर्लाही के उन इलाकों में पहुँचे जो मुस्लिम बाहुल्य हैं। इसमें पासवान टोला आदि मोहल्ले शामिल हैं। आरोप है कि यहाँ पहुँच कर भीड़ ने अपना गुस्सा उन बेकसूर हिन्दुओं पर उतारा जिनका सरकारी निर्माण कार्य रोकने या चलने से कोई मतलब ही नहीं था। भीड़ ने नारेबाजी करते हुए हिन्दुओं के घरों पर पत्थरबाजी की। काफी देर तक तो पीड़ित हिन्दुओं को हमले की वजह ही समझ में नहीं आई। हमले के शिकार अधिकतर हिन्दू उन जातियों से हैं जो भारत में दलित समुदाय में गिनी जाती हैं।

अचानक हुए इस हमले में हिन्दू समुदाय के लोगों के कच्चे घरों के खपरैल टूट गए। कुछ लोगों की बाइकें क्षतिग्रस्त हो गईं। वायरल हो रहे एक वीडियो में विनोद नाम के व्यक्ति को कहते सुना गया कि उनके घर को तहस-नहस कर दिया गया जबकि उनका कोई दोष नहीं था। इस मामले को कुछ नेताओं ने साम्प्रदायिक विवाद न बता कर आपसी झगड़ा बताया है। हालाँकि, पीड़ित हिन्दू विनोद इन दावों का खंडन कर रहा है। विनोद ने कहा, “क्या हमने किसी को गाली दी थी या किसी का अपमान किया था? फिर हमारे घर को निशाना क्यों बनाया गया?” हमले में पीड़ित हिन्दुओं के नाम विनोद महतो, जय किशोर महतो, चन्दर दास और राजेंद्र दास आदि सपरिवार हैं।

ये पत्थरबाजी जाहिर दर्जी के छत से हुई है। कपड़े सिलने का काम करने वाला जाहिर सर्लाही का ही निवासी है। अन्य हमलावरों के नाम नवाजुद्दीन, जाबिर, तारिक, इमामुल और गुलाम आदि हैं। चश्मदीदों को उसके छत पर दर्जनों लोग पथराव करते दिखे। इस वीडियो में पीड़ित विनोद बता रहा है कि अचानक हुई पत्थरबाजी में वो खुद घायल हो गया था और जैसे-तैसे खुद को बचा पाया। आरोप है कि हमले के कुछ लोगों के गैस सिलेंडर तक फोड़ डाले गए। पीड़ित पक्ष का दावा है कि हिंसा में एकतरफा पीड़ित हिन्दू हैं और हमलावर मुस्लिम पक्ष से। सवाल कर रहे व्यक्ति ने किसी चालक का नाम लिया जिसके बारे में पीड़ित विनोद को जानकारी नहीं थी।

ऑपइंडिया ने इस घटना की जानकारी ‘हिन्दू सम्राट सेना’ के के एक पदाधिकारी से ली। हमें बताया गया कि अगर नेपाल के सरकारी विकास कार्य को रोकने वालों पर ही प्रशासन कड़ी कार्रवाई कर देता तो बाद में ये घटना घटित न होती। उन्होंने बताया कि नेपाल में हिन्दुओं पर लगातार हमले होने की वजह वर्तमान वामपंथी सरकार द्वारा लागू की गई मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति है। राजेश यादव का दावा है कि अभी तक हिन्दुओं के घरों पर पत्थरबाजी करने वालों पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। ‘हिन्दू सम्राट सेना’ ने मुस्लिम बाहुल्य इलाके में रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा की भी माँग की।

राहुल पाण्डेय: धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।