भारत ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को मंगलवार (जून 23, 2020) को करारा झटका दिया है। आतंकी और जासूसी गतिविधियों को लेकर भारत अब नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या घटाकर आधी कर देगा। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत सरकार ने फैसला किया है कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में 50 फीसदी कर्मचारी कम किए जाएँगे। इसी तरह इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में भी 50 फीसदी कर्मचारी कम करने का फैसला लिया गया है।
https://twitter.com/ANI/status/1275399153451855872?ref_src=twsrc%5Etfwदिल्ली स्थिति पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी अधिकारी को विदेश मंत्रालय ने फिर से तलब किया। इस दौरान उच्चायोग के अधिकारियों के जासूसी करने और आंतकी संगठने के संपर्क में रहने का मुद्दा उठाया गया। जिसमें हाल में दो अधिकारियों के रंगे हाथ पकड़े जाने का भी उदाहरण दिया गया, जिन्हें देश से बाहर कर दिया गया था।
https://twitter.com/ANI/status/1275398834093297677?ref_src=twsrc%5Etfwविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान का व्यवहार वियना कन्वेंशन के अनुरूप नहीं है। द्विपक्षीय समझौतों के तहत उनके राजनयिक, कांसुलर अधिकारियों का व्यवहार उचित नहीं है। पाकिस्तान ने समानांतर रूप से इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को उनके वैध राजनयिक कार्यों को करने से रोकने के लिए लगातार प्रयास करता रहा है।
हाल ही में पाकिस्तान में उच्चायोग में काम करने वाले दो भारतीय अधिकारियों का बंदूक की नोक पर अपहरण किया गया और उनके साथ बेहद ही बुरा व्यवहार किया गया जिसे लेकर भारत ने पाकिस्तान को फटकार भी लगाई थी।
यही नहीं पाकिस्तान की ओर से झूठे दावे किए गए कि इन अधिकारियों की गाड़ी से एक शख्स गंभीर रूप से घायल हो गया था और अधिकारी उसे छोड़कर फरार हो गए थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। हालाँकि, भारत के पाकिस्तान पर दबाव बनाने के बाद इन अधिकारियों को उनके वाहन सहित इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में पहुँचाया गया।
भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तानी एजेंसियों की बर्बरता का जिक्र करते हुए कहा कि पड़ोसी मुल्क के इस तरह के बर्ताव से साफ होता है कि वह भारतीय अधिकारियों के साथ किस तरह का सलूक करता रहा है। भारत लौटे इन अधिकारियों ने पाकिस्तानी एजेंसियों के हाथों हुए बर्बर व्यवहार का पूरा विवरण भारत सरकार को दिया है। जिसके बाद भारत ने यह फैसला किया है।