नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात दो कर्मचारी 31 मई 2020 को जासूसी करते रंगे हाथ पकड़े गए थे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन्होंने खुद को भारतीय बताने के लिए फर्जी आधार कार्ड बनवा रखा था।
उच्चायोग के वीजा विभाग में कार्यरत इन जासूसों की पहचान आबिद हुसैन और ताहिर हुसैन के तौर पर की गई है। दोनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ट्रेनिंग दी थी। दोनों को उनके ड्राइवर जावेद हुसैन के साथ 24 घंटे के भीतर भारत छोड़ने को कहा गया है।
रिपोर्टों के अनुसार इन्होंने भारत छोड़ दिया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के हवाले से वाघा बॉर्डर के जरिए इनके वापस लौट आने की पुष्टि की गई है।
ISI operatives working as diplomats in Pakistan High Commission namely Abid Hussain & Tahir Khan used this official diplomatic vehicle of Pakistan for spying. Look at the broken windshield as they tried to escape while being caught red handed. PHC was in process to sell the car. https://t.co/rF6RPzZS7T pic.twitter.com/Sf4PDVagYE
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) May 31, 2020
पत्रकार आदित्य राज कौल ने एक वीडियो शेयर किया है। जिससे पता चलता है कि दोनों जासूसी के लिए पाकिस्तानी उच्चायोग के आधिकारिक वाहन का इस्तेमाल करते थे। इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर 89 CD 106 है। कार का शीशा टूटा हुआ था और पकड़े जाने के बाद इन्होंने भागने की कोशिश भी की थी।
पाकिस्तानी उच्चायोग इस कार को बेचने की फिराक में था। इसकी ब्रिकी के लिए कुछ दिन पहले उच्चायोग की ओर से लोकल न्यूजपेपर में विज्ञापन दिया गया था।
आबिद हुसैन और ताहिर खान फर्जी आधार कार्ड लेकर इसी कार से घूम रहे थे। आबिद ने नासिर गौतम के नाम से आधार बनवा रखा था। इन्हें जब पकड़ा गया तब ये करोलबाग में संवेदनशील जानकारी हासिल करने के लिए एक ‘डिफेंस कर्मचारी’ से मिलने गए थे। इनके पास से 15 हजार रुपए और दो आईफोन भी मिले हैं।
कौल ने 2.20 मिनट का एक वीडियो भी शेयर किया है। इसमें 42 वर्षीय आबिद हुसैन एक रेस्तरां में किसी से बात कर रहा है। कौल ने वीडियो में दिख रही तिथि गलत है डिस्क्लेमर के साथ इसे साझा किया है। यह वीडियो वायरल हो रहा है।
Pakistani spy Abid Hussain seen here meeting an informat at a restaurant in New Delhi. 42 year old Abid was working as Visa Assistant in Pakistan High Commission in New Delhi. Originally from Sheikhpura Pakistan. The ISI operative has been expelled from India. (Date not correct) https://t.co/hJ37e9wR6T pic.twitter.com/sK7bZYsA0K
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) June 1, 2020
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सैन्य खुफिया ईकाई को कुछ हफ्ते पहले आबिद और ताहिर हुसैन के बारे में विश्वसनीय जानकारी हाथ लगी थी। पता चला था कि वे सेना के बारे में गोपनीय जानकारी जुटाने की कोशिश में लगे हैं। उनके निशाने पर आर्मी से जुड़े लोग थे। उनसे ये नकली भारतीय पहचान के साथ संपर्क करते थे।
इसके बाद से ही सैन्य खुफिया ईकाई की इन पर नजर थी। सूत्रों के अनुसार ISI ने इन्हें ऐसे लोगों की सूची भी दे रखी थी जिन्हें अपने जाल में फॉंसना था। इनके करोलबाग जाकर किसी से मिलने की सूचना मिलने के बाद सैन्य खुफिया ईकाई ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के साथ जाल बिछाया और इन्हें धर-दबोचा।
जब इनसे इनकी पहचान को लेकर सवाल किया गया तो आबिद ने खुद को गीता कॉलोनी निवासी नासिर गौतम बताया। उसने इसकी पुष्टि के लिए आधार कार्ड भी दिया। लेकिन अधिकारियों को जल्द ही पता चल गया कि यह फर्जी है। कार्ड पर ‘Gautam’ की जगह ‘Gotam’ लिखा था। पूछताछ में दोनों ने पाकिस्तानी नागरिक होने और दिल्ली स्थित उच्चायोग में तैनात होने की बात कबूल ली।
गौरतलब है कि इससे पहले 2016 में, पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी महमूद अख्तर के पास से संवेदनशील दस्तावेज मिलने के बाद उन्हें persona non grata घोषित किया गया था।
पूछताछ के दौरान, अख्तर ने खुलासा किया था कि वह पाकिस्तान सेना की बलूच रेजिमेंट से संबंधित था और डेपुटेशन पर पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) में शामिल हो गया था। वह सितंबर 2013 से नई दिल्ली के पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात था।
पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तत्कालीन विदेश सचिव ने बुलाया और अख्तर की गतिविधियों पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। पाकिस्तान ने उसी दिन बदले की नीयत से इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के एक सहायक कार्मिक और वेलफेयर अधिकारी सुरजीत सिंह को persona non grata घोषित कर दिया था। इस बार भी अपने दो जासूसों की पोल खुलने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है।