इमाम ने मीट की बढ़ती कीमतों के लिए महिलाओं की जाँघों को बताया जिम्मेदार, कहा – नंगी होने से सस्ता हो जाता है महिलाओं का मांस

इमाम डूलोव (फोटो साभार: rferl)

सोवियत संघ (USSR) टूटने के बाद अलग देश बने मुस्लिम बहुल किर्गिस्तान (Kyrgyzstan) में एक इमाम ने देश में मांस की आसमान छूती कीमतों के लिए महिलाओं को दोषी ठहराया है। इमाम का कहना है कि महिलाएँ अपनी बहुत अधिक देह दिखाकर खुद को ‘सस्ता’ ली हैं।

राजधानी बिश्केक में में इमाम सदाबकास डूलोव ने कहा, “क्या आप जानते हैं कि आपके शहर में मांस की कीमतें कब बढ़ जाती हैं? यह तब बढ़ जाता है जब महिलाओं का मांस सस्ता हो जाता है। महिला का मांस सस्ता हो जाता है जब वह अपनी त्वचा को नंगा करती है। अपनी जांघों को अंगूठे की तरह दिखाती है।”

एक इस्लामिक विश्वविद्यालय के प्रमुख के रूप में काम कर चुके और पुरस्कार प्राप्त कर चुके इस मुल्ला ने बुजुर्ग मर्दों से ‘इस अपमानजनक’ काम को समाप्त करने कहा था। उसने महिलाओं से कम और चिपके कपड़े नहीं पहनने का आह्वान किया।

53 वर्षीय डूलोव की इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब आलोचना हो रही है। किर्गिस्तान के लोग इमाम पर महिलाओं का अपमान करने और उसके साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ आपराधिक जाँच की माँग कर रहे हैं।

हालाँकि,मदेश की सर्वोच्च इस्लामी संस्था इमाम के साथ है और उसका कहना है कि उनकी टिप्पणियों ने कोई नियम नहीं तोड़ा है। सरकार समर्थित किर्गिस्तानी मुस्लिम आध्यात्मिक प्रशासन (DUMKE) ने डूलोव के विवादास्पद भाषण की जाँच शुरू की है।

DUMK ने कहा कि जाँच में पाया गया कि डूलोव की टिप्पणी ने किसी भी इस्लामी कानून का उल्लंघन नहीं किया और ना ही किसी का अपमान है। इसके अलावा राजनीति में हस्तक्षेप भी नहीं की गई है। डूलोव को साल 2020 में DUMK के प्रतिष्ठित आइकोल पदक से सम्मानित किया गया था। DUMK के अनुसार, डूलोव के भाषण को कई लोगों ने गलत समझा।

डूलोव का कहना है कि 30 मिनट के उनकी तकरीर के दौरान की गई टिप्पणियों को संदर्भ से बाहर लेकर आलोचकों द्वारा गलत व्याख्या की गई। उन्होंने कहा कि इससे उनका मतलब नैतिक मूल्यों से था। डूलोव ने कहा, “कुछ शब्द थे कि आप मांस की (उच्च) कीमतों के बारे में क्यों बात कर रहे हैं, लेकिन जब महिलाएँ अपने नग्न शरीर के साथ घूमती हैं तो आपका सम्मान खराब नहीं होता है।”

इमाम डूलोव ने कहा कि उनका इरादा महिलाओं को नीचा दिखाने का नहीं था। हालाँकि, लेकिन कई किर्गिज़ सोशल-मीडिया यूजर ने उन पर गलतफहमी, अज्ञानता और धर्म को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया है। एक किर्गिज़ व्यक्ति ने लिखा है कि डूलोव की टिप्पणी चरमपंथी विचारों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

वहीं, एक किर्गिज़ महिला ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उसने छोटी स्कर्ट नहीं पहनी होती अगर उसे पता होता कि इसके इतने गंभीर परिणाम निकलेंगे। महिला ने लिखा, “आर्थिक संकट और खराब सड़कों के पीछे भी महिलाएँ ही हैं।”

कुछ लोगों ने कहा कि इमाम द्वारा इस्लाम की व्याख्या की भी जाँच की जानी चाहिए। कई अन्य लोगों ने चिंता व्यक्त की कि संदिग्ध विचारों वाला धार्मिक व्यक्ति आज के युवा पीढ़ी को इस्लाम सिखा रहा है।

कहा जाता है कि डूलोव ने 80-90 के दशक में पड़ोसी देश ताजिकिस्तान के मदरसे में धार्मिक शिक्षा प्राप्त की थी। वह दक्षिणी किर्गिस्तान में ओश स्टेट यूनिवर्सिटी में भाषाशास्त्र का भी अध्ययन किया। डूलोव ने किर्गिस्तान में कम से कम दो इस्लामिक स्कूलों के प्रमुख के रूप में काम किया था। वह वर्तमान में बिश्केक के स्वेर्दलोव जिले की एक मस्जिद में इमाम हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया