आईएस में शामिल केरल की 4 महिलाओं को वापस नहीं लाएगी मोदी सरकार, अफगानिस्तान की जेलों में है कैद

आईएस में शामिल हुईं केरल की 4 महिलाओं को भारत वापस नहीं लाया जाएगा

अफगानिस्तान में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल हुई केरल की चार महिलाओं के भारत वापस आने की संभावना नहीं है। हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है कि केरल की ये चार महिलाएँ अफगानिस्तान की जेल में बंद हैं, जिन्हें भारत वापस लौटने की इजाजत नहीं दी जाएगी। ये महिलाएँ अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में अपने पतियों के साथ इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए गई थीं।

केरल की ये महिलाएँ 2016-18 में अफगानिस्तान के नंगरहार पहुँची थीं। इस दौरान उनके पति अफगानिस्तान में अलग-अलग हमलों में मारे गए थे। ये महिलाएँ इस्लामिक स्टेट के उन हजारों लड़ाकों में शामिल थीं, जिन्होंने नवंबर और दिसंबर 2019 में अफगानिस्तान के अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।

चारों महिलाओं की पहचान सोनिया सेबस्टियन उर्फ आयशा, मेरिन जैकब उर्फ मरियम, निमिशा उर्फ फातिमा ईसा और रफाएला के रूप में हुई है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, दो अन्य भारतीय महिलाओं और एक पुरुष ने भी अफगानिस्तान के अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।

13 देशों के इस्लामिक स्टेट के 408 सदस्य अफगानिस्तान की जेलों में बंद

इस साल अप्रैल में अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के प्रमुख अहमद जिया सरज ने खुलासा किया कि 13 देशों के इस्लामिक स्टेट के 408 सदस्य अफगानिस्तान की जेलों में बंद हैं। इसमें 4 भारतीय, 16 चीनी, 299 पाकिस्तानी, 2 बांग्लादेशी, 2 मालदीव के और अन्य शामिल थे, जो पूर्व में आईएस में शामिल हुए थे। सराज ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान सरकार ने कैदियों को निर्वासित करने के लिए 13 देशों के साथ बातचीत शुरू कर दी है।

केरल की महिलाओं का इस्लामिक आतंकवाद में गहरा विश्वास

दिल्ली में अफगानिस्तान के अधिकारियों ने इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। काबुल में वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें भारत के फैसले का इंतजार है। द हिंदू के अनुसार, चारों महिलाओं की घर वापसी को लेकर सरकार की विभिन्न एजेंसियों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है। इसकी संभावना भी बहुत कम है कि उन्हें भारत वापस लौटने की इजाजत दी जाएगी।

आत्मसमर्पण के एक महीने बाद दिसंबर 2019 में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने काबुल में अपने बच्चों के साथ जेल में बंद चारों महिलाओं से मुलाकात की थी। अधिकारी ने बताया, इन महिलाओं की वापसी और उन्हें सरकारी गवाह बनने की अनुमति देने पर विचार किया गया, लेकिन जब अधिकारियों ने इन महिलाओं का इंटरव्यू लिया, तो उन्हें पता चला कि वो बहुत कट्टरपंथी सोच रखती हैं। उनका इस्लामिक आतंकवाद पर गहरा विश्वास है, इसलिए भारत द्वारा अफगानिस्तान के अधिकारियों से उन पर मुकदमा चलाने का अनुरोध किया जा सकता है। भारत के अनुरोध पर इंटरपोल ने इन महिलाओं के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है।

ईरान से पैदल ही अफगानिस्तान पहुँचे

बता दें कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) द्वारा 2017 में दायर चार्ज शीट के अनुसार, सेबस्टियन ने 2016 में केरल के 21 पुरुषों और महिलाओं के समूह के साथ अफगानिस्तान में आईएसकेपी (ISKP) में शामिल होने के लिए भारत छोड़ दिया था। वे ईरान से पैदल ही अफगानिस्तान पहुँचे थे।

एनआईए ने कहा कि केरल के कासरगोड की सेबस्टियन 31 मई, 2016 को अपने पति अब्दुल राशिद अब्दुल्ला के साथ मुंबई हवाई अड्डे से भारत से रवाना हुई थी। जाँच एजेंसी ने कहा, “पति-पत्नी ने जुलाई, 2015 में रमजान के दौरान पडन्ना और कासरगोड में आईएस और जिहाद का समर्थन करने के लिए सिक्रेट क्लासेस आयोजित की थीं। सेबस्टियन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं।

आईएस से खासा प्रभावित एक अन्य महिला मेरिन जैकब उर्फ मरियम की शादी पलक्कड़ निवासी बेस्टिन विंसेंट से हुई थी। दोनों 2016 में आईएस के नियंत्रण वाले इलाके में रहने के लिए अफगानिस्तान भाग गए थे। इस जोड़े ने अपनी शादी के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया और विंसेंट याह्या के नाम से जाने जाने लगा। विन्सेंट को बाद में अफगानिस्तान में मार दिया गया था। विन्सेंट का भाई बेक्सन और उसकी पत्नी निमिशा उर्फ फातिमा भी उनके साथ अफगानिस्तान भाग गए थे। इन दोनों ने भी इस्लाम धर्म अपना लिया था।

रफाएला की शादी कासरगोड के 37 वर्षीय डॉक्टर इजस कल्लुकेतिया पुराइल से हुई थी। यह आईएस के सदस्यों में से एक था। इसने अगस्त 2020 में पूर्वी अफगानिस्तान के जलालाबाद की एक जेल में धावा बोल दिया था। हमले में लगभग 30 लोग मारे गए थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया