पिनराई विजयन सरकार देवास्वम बोर्ड को लौटाए ₹10 करोड़: केरल हाई कोर्ट ने कहा- मंदिर की संपत्ति पर ‘भगवान’ का हक

पिनराई विजयन सरकार को गुरुवायूर देवास्वम बोर्ड को लौटाने होंगे ₹10 करोड़

केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार (दिसंबर 18, 2020) को गुरुवायूर मंदिर देवास्वम फंड से राज्य सरकार द्वारा लिए गए 10 करोड़ रुपए की तत्काल वापसी का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने यह आदेश भाजपा नेता एन नागेश सहित कई लोगों द्वारा दायर की गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिया।

केरल उच्च न्यायालय ने मंदिर बोर्ड द्वारा मुख्यमंत्री के कोष को किए गए भुगतान को अवैध माना और कहा कि गुरुवायूर देवास्वम प्रबंध समिति को देवास्वम फंड से मुख्यमंत्री संकट राहत कोष अथवा किसी अन्य सरकारी एजेंसी को धनराशि देने की शक्ति नहीं है। भक्तों द्वारा भगवान गुरुवायप्पन के नाम पर समर्पित, सम्पोषित समस्त चल-अचल सम्पत्ति का सर्वाधिकार श्री कृष्ण मंदिर, गुरुवायुर में प्रतिष्ठित भगवान गुरुवायुरप्पा की मूर्ति में निहित होगा। मंदिर की प्रबंध समिति अपनी शक्तियाँ और कर्तव्य राज्य सरकार या किसी अन्य संस्था को नहीं सौंप सकती। अदालत ने कहा कि शासकीय निकाय केवल कानून की सीमा के भीतर कार्य कर सकता है।

बता दें कि गुरुवायूर देवास्वम बोर्ड केरल के चार देवास्वाम बोर्ड में से एक है जो राज्य भर के मंदिरों के मामलों का प्रबंधन करता है। गुरुवायूर देवास्वम बोर्ड 12 मंदिरों की अध्यक्षता करता है, जिनमें श्री कृष्ण मंदिर भी शामिल है, जो त्रिशूर से 30 किमी दूर है।

अदालत ने कहा, “आपदा राहत कोष के लिए योगदान जैसे मामले देवास्वाम बोर्ड के दायरे या अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं।” केरल राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि उसके पास देवास्वाम बोर्ड द्वारा प्रबंधित धन की आवश्यकता के लिए कोई शक्ति या अधिकार नहीं है।

आदेश में हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच को यह भी निर्देश दिया गया कि मुख्यमंत्री राहत कोष में दान की गई राशि को कैसे वसूला जाए। बता दें कि बोर्ड ने बाढ़ और COVID-19 की अवधि के दौरान मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में 10 करोड़ रुपए दिए थे।

केरल में हिंदू मंदिरों से फंड लेने पर भाजपा का वामपंथी सरकार पर हमला

गौरतलब है कि मई 2020 में केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सरकार द्वारा गुरुवायूर देवास्वाम बोर्ड से मुख्यमंत्री कोविड -19 राहत कोष के लिए पैसे लेने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। यह धनराशि गुरुवायूर देवास्वाम के अध्यक्ष केबी मोहनदास द्वारा जिला कलेक्टर एस शानावस को यह कहते हुए सौंपी गई थी कि फंड में योगदान देवास्वाम की सामाजिक जिम्मेदारी का एक हिस्सा है।

मोहनदास ने कहा था कि इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। उनका कहना था कि देवास्वाम बोर्ड ने इससे पहले 2018 में बाढ़ के दौरान भी मुख्यमंत्री राहत कोष में दान किया था। मंदिर के फंड में से मुख्यमंत्री राहत कोष में धन ट्रांसफर किए जाने को लेकर काफी विवाद हुआ था। केरल के भाजपा नेताओं ने पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार को आड़े हाथों लिया था। केरल बीजेपी अध्यक्ष के सुरेन्द्र ने केरल सरकार पर हमला करते हुए इसे देवास्वाम का गलत कदम बताया था।

सुरेंद्र ने कहा कि यह पैसा उन मंदिरों में भेजा जाना चाहिए जो दीये जलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने केरल सरकार से यह भी पूछा कि मुख्यमंत्री फंड अन्य धार्मिक संस्थानों से पैसा क्यों नहीं ले रहा है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने 47 मंदिरों को CM राहत कोष में ₹10 करोड़ रुपए देने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने 16 अप्रैल को रमजान के महीने में प्रदेश की 2,895 मस्जिदों को 5,450 टन मुफ्त चावल वितरित करने आदेश दिया था, ताकि रोजेदारों को परेशानी ना हो। 

रमजान के पर्व की शुरुआत में ही, तमिलनाडु राज्य सरकार ने कथित अल्पसंख्यकों को एक बड़ा लाभ देने की घोषणा की थी। दिवंगत सीएम जयललिता ने मजहब विशेष के दिल और वोटों को जीतने के लिए इसे शुरू किया था। तमिलनाडु सरकार ने घोषणा की थी कि इस साल दलिया तैयार करने के लिए 2,895 मस्जिदों को 5,450 टन चावल दिया जाएगा, जो कि साधारण गणना के अनुसार 2,1,80,00,000 रुपए निकल आती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया