म्यांमार: तख्तापलट का विरोध करने वाले 1,25,900 शिक्षकों को सेना ने किया निलंबित, छात्र बोले- लोकतंत्र बहाली पर ही जाएँगे स्कूल

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का विरोध करने वाले 1,25,900 शिक्षकों को सेना ने निलंबित किया

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद इसी साल जून से स्कूलों में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत होने जा रही है। इस बीच सेना ने तख्तापलट का विरोध करते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए 1,25,000 शिक्षकों को निलंबित कर दिया है। इस बात की जानकारी म्यांमार शिक्षक संघ के एक अधिकारी ने दी है।

निलंबन की यह कार्रवाई सेना ने नया शिक्षा सत्र शुरू होने के कुछ दिन पहले की है। शिक्षकों का मानना है कि मिलिट्री तख्तापलट ने देश के लोकतांत्रिक सुधारों को संकीर्ण कर दिया है।

शिक्षक संघ के एक अधिकारी ने कहा कि शनिवार तक कुल 125,900 स्कूल शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया था। हालाँकि उन्होंने निलंबित शिक्षकों का नाम बताने से इनकार कर दिया है। दो साल पुराने आँकड़ो के मुताबिक, म्यांमार में 4,30,000 स्कूली शिक्षक थे।

शिक्षकों के समूह के अनुसार, लगभग 19,500 विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया गया है।

शिक्षक संघ के एक अधिकारी जो कि खुद भी एक शिक्षक हैं उनका कहना है कि ये सिर्फ लोगों को काम पर वापस आने की धमकी देने वाला है। क्योंकि अगर हकीकत में इतने लोगों को निलंबित कर दिया गया तो सारी व्यवस्था चरमरा जाएगी।

अधिकारी के मुताबिक, निलंबित शिक्षकों को सैन्य शासन की ओर से कहा गया था कि अगर वो आंदोलन की जगह काम पर वापस लौटते हैं तो उनपर से सभी आरोपों को हटा लिया जाएगा।

म्यांमार के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार ने शिक्षकों और छात्रों से स्कूलों में लौटने का आह्वान किया है ताकि शिक्षा प्रणाली फिर से शुरू हो सके।

वहाँ की चुनी गई नेता आंग सान सू की की गिरफ्तारी और सैन्य तख्तापलट के बाद से इस दक्षिण पूर्व एशियाई देश में अराजकता का माहौल है।

अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे पैरेंट्स

म्यामार में जून से नया शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है, लेकिन बच्चों के परिजनों ने उसका बायकॉट करने का मन बना लिया है।

तख्तापलट का विरोध कर रहे 42 वर्षीय मिंट की 14 साल की एक बेटी है, वो कहते हैं, “मैं अपनी बेटी का नामांकन नहीं करने जा रहा हूँ क्योंकि मैं उसे सैन्य तानाशाही से शिक्षा नहीं देना चाहता। मुझे उसकी सुरक्षा की भी चिंता है।”

सुरक्षा बलों द्वारा सैकड़ों लोगों की हत्या करने वाले विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहने वाले छात्रों ने भी कक्षाओं का बहिष्कार करने की योजना बनाई है।

18 साल के ल्विन ने कहा, “मैं केवल तभी स्कूल जाऊँगा जब हमें हमारा लोकतंत्र वापस मिल जाएगा।”

म्यांमार की शिक्षा प्रणाली पहले से ही इस क्षेत्र में सबसे खराब थी। पिछले साल हुए एक वैश्विक सर्वेक्षण में यह 93 देशों में से 92 वें स्थान पर थी।

म्यांमार संकट के पीछे चीन का हाथ

म्यांमार में फरवरी, 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के पीछे चीन की साजिश माना जाता है। 15 मार्च, 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के पीछे चीन का हाथ है। तख्तापलट का विरोध कर रहे लोगों को कड़ी सजा देने की वकालत चीन ने की थी। इसके अलावा म्यांमार में तख्तापलट का सारी दुनिया ने विरोध किया था, लेकिन चीन ने वहाँ सैन्य शासन का समर्थन किया था। इससे साबित होता है कि उसकी लोकतंत्र में कोई आस्था नहीं है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया