बच्चियों के साथ ईसा मसीह वाले क्रॉस से रेप, बच्चों को सेक्स के लिए मजबूर: चर्च में नन-पादरियों ने किया 3 लाख+ यौन शोषण

प्रतीकात्मक तस्वीर

बर्नार्ड प्रीनैट नाम का एक पादरी था। मरा नहीं है, पादरी की पदवी छीन ली गई है। फिलहाल जेल में है। नाबालिग लड़कों के साथ यौन शोषण करता था। कोर्ट में उसने खुद माना कि दशकों तक उसने चर्च के भीतर 75+ लड़कों का यौन उत्पीड़न किया है।

यह आम खबर है। हर समाज में कोई न कोई अपराधी होता है। अब खास खबर। जब बर्नार्ड प्रीनैट (Bernard Preynat) पकड़ाया और दोषी पाया गया, उसके बाद की। एक स्वतंत्र आयोग ने बर्नार्ड प्रीनैट जैसे को अकेला नहीं माना। उसने जाँच की। जाँच की रिपोर्ट आई तो पता चला कि साल 1950 के बाद से लेकर 2020 तक चर्च के भीतर पादरी, अधिकारी व अन्य लोगों ने मिलकर लगभग 3 लाख 30 हजार बच्चों का यौन शोषण किया है।

इतनी बड़ी संख्या को सुन कर चौंक गए हों तो दिल थामिए। बच्चे-बच्चियों के साथ चर्च के भीतर क्या-क्या होता था, किन-किन तरीकों से रेप किया जाता था, जरा उसे भी जान लीजिए। क्या सिर्फ पादरी और अधिकारी (मतलब मर्द लोग) ही करते थे यौन शोषण या महिला पादरी (इन्हें नन कहा जाता है) भी शामिल थीं इस गैंग में? अगर नन भी रेप करती थीं, तो उनका तरीका क्या था?

2500 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि महिला पादरी (नन) बच्चियों का रेप करने के लिए क्रूस (क्रॉस, जिस पर ईसा मसीह भी चिपके हों) का इस्तेमाल करती थी। चर्च में रहने वाले नाबालिग लड़कों को वो खुद के साथ सेक्स करने के लिए मजबूर करती थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यौन शोषण के शिकार हुए बच्चे-बच्चियों में से 80% की उम्र 10 से 13 साल के बीच थी। मतलब 2 लाख 64 हजार नाबालिगों का यौन शोषण 10 से 13 की उम्र में किया गया।

क्या होता था ननों-पादरियों का खौफ चर्च के भीतर, जानना हो तो पढ़िए ‘मैरी’ को। ‘मैरी’ (बदला हुआ नाम) नाम की एक पीड़िता ने कोर्ट में गवाही दी कि उसके साथ 11 साल की उम्र में दुर्व्यवहार किया गया था। जब उसने अपने माता-पिता से इसकी शिकायत की तो उन्होंने विश्वास करने से इनकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि एक नन ऐसा काम कर ही नहीं सकती है। अफसोस यह कि ‘मैरी’ के साथ यह दुर्व्यवहार एक और साल तक जारी रहा। ‘मैरी’ बताती हैं,

“मैं उस नन के लिए एक खिलौना थी… वह अच्छी तरह जानती थी कि उसका कुछ नहीं बिगड़ने वाला। उसने कोई भी जोखिम नहीं उठाया है।”

बच्ची और नन वाली इस खौफनाक कहानी से आगे बढ़ते हैं। अब कहानी ‘ओलिवर’ (बदला हुआ नाम) की। इनके साथ 13 साल की उम्र में वो सब हुआ, जिससे इनका भरोसा टूट गया – सदा के लिए। ‘ओलिवर’ बताते हैं:

“उस रात से पहले पादरी मेरे लिए वो हुआ करता था, जो कभी नुकसान नहीं पहुँचा सकता है। उसके बिस्तर पर आधी रात को जब मेरी नींद खुली, खुद को अधनंगा पाया और वो मुझे जगह-जगह छू रहा था… तो मैं टूट गया और यह कई सालों तक चलता रहा।”

हम सब जब इतनी बड़ी संख्या में किसी धर्म स्थान के अंदर हुए संस्थागत यौन उत्पीड़न की खबर पढ़ रहे हैं, तो उससे कुछ देर पहले – “पीड़ितों के लिए दुख, बोल कर पोल खोलने के साहस के लिए आभार” – पोप ने दुख जाहिर कर दिया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया