लाहौर की एक अदालत ने एक ईसाई व्यक्ति आसिफ परवेज को “ईशनिंदा” के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। मोहम्मद सईद अहमद खोखर ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें आसिफ परवेज के मोबाइल फोन से अलग-अलग तारीखों में अपमानजनक संदेश मिले थे।
वकील सैफ-उल-मलूक ने बताया कि 37 वर्षीय ईसाई समुदाय के आसिफ परवेज 2013 से उस समय से हिरासत में है जब उस पर एक पूर्व पर्यवेक्षक को “ईशनिंदा” का संदेश भेजने का आरोप लगा था।
मंगलवार (सितंबर 8, 2020) को सुनवाई के दौरान अदालत ने आसिफ परवेज की गवाही को खारिज कर दिया, जिसमें उसने आरोपों से इनकार किया था। इसके बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई। वकील सैफ उल मलूक (Saif-ul-Malook) ने कहा, “शिकायतकर्ता होजरी कारखाने में एक पर्यवेक्षक था, जहाँ ईसाई समुदाय का आसिफ उसके अधीन काम कर रहा था।”
https://twitter.com/voice_minority/status/1303241484989280256?ref_src=twsrc%5Etfwवकील सैफ उल मलूक ने बताया कि सुनवाई के दौरान आसिफ परवेज ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि सईद अहमद खोखर उस पर अपने मजहब इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए दवाब डाल रहा था। परवेज ने दावा किया कि जब उसने पर्यवेक्षक सईद अहमद खोखर के यहाँ से काम छोड़ा तो उसने उसका इसका विरोध किया और जब आसिफ ने अपना ईसाई मजहब परिवर्तन करने से इनकार कर दिया तो उसने उस पर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया।
हालाँकि, मामले में शिकायतकर्ता मुहम्मद सईद खोखर के वकील ने इस आरोप से इनकार किया है। उनका कहना है कि चूँकि आसिफ के पास खुद को बचाने के लिए धर्म परिवर्तन का आरोप लगा रहा है।
गौरतलब है कि आसिफ परवेज के पिता अनवर मसीह पर भी ईशनिंदा का आरोप लगा था। इतना ही नहीं, परिवार को प्रतिबंधित इस्लामी समूह सपा-ए-सहाबा द्वारा इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया था। हालाँकि, ईसाई समुदाय ने उन्हें गाँव से बाहर निकलने में मदद की और तब से वे छिपे रहे। आसिफ परवेज के 4 नाबालिग बच्चे हैं और वे बहुत खतरे में हैं।