अपने हॉस्टल के कमरे में मृत मिली मेडिकल छात्रा नमृता चंदानी को इंसाफ दिलाने के लिए पाकिस्तान गंभीर नहीं है। एक पाकिस्तानी अदालत ने इस मामले की न्यायिक जॉंच की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। प्रशासन पहले से ही इस मामले को आत्महत्या बता रफा-दफा करने की कोशिश में लगा है।
पाकिस्तान के लरकाना जिले के सत्र न्यायाधीश ने मृतका की मौत पर न्यायिक जाँच कराने से इनकार कर दिया है। नमृता सिंध के घोटकी शहर से थी, जहाँ हाल ही में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। उसका शव 17 सितंबर को हॉस्टल के कमरे में चारपाई पर संदिग्ध हालत में मिली थी। कमरा अंदर से बंद था और गले में रस्सी बंधी थी।
सिंध पुलिस ने 20 सितंबर को इस मामले में 2 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनकी पहचान उसके सहपाठी अली शान मेमन और मेहरान अब्रो के तौर पर की गई थी। इनमें से एक नमृता का क्रेडिट कार्ड भी इस्तेमाल करता था।
https://twitter.com/TimesNow/status/1176071223865856000?ref_src=twsrc%5Etfwऐसा माना जा रहा है कि धर्मपरिवर्तन से इनकार करने पर नमृता की हत्या की गई थी। नमृता के भाई विशाल जो खुद मेडिकल कंसलटेंट हैं शुरुआत से इसे हत्या बता रहे हैं। उन्होंने नमृता की गर्दन पर तार के निशान देखने की बात कही थी। ऐसे ही निशान उसके हाथ पर थे। लेकिन नमृता की दोस्त का दावा है कि उसके गले में दुपट्टा बॅंधा था।
लेकिन, फिर भी स्थानीय पुलिस और प्रशासन इसे आत्महत्या साबित करने की कोशिश करता रहा। जबकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया था कि ‘गला घोंटने के साफ निशान दिखाई देते हैं।’ ऐसे में मामले की न्यायिक जॉंच की मॉंग अदालत द्वारा ठुकराए जाने से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान की पूरी मशीनरी अल्पसंख्यकों को लेकर कितनी गंभीर है।