पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। वो इस्लामी मुल्क के राष्ट्रपति रहे थे। जब कारगिल में पाकिस्तान ने हमला किया था और मुँह की खाई थी, तब परवेज मुशर्रफ ही इस्लामी मुल्क की फ़ौज के मुखिया थे। 79 वर्षीय परवेज मुशर्रफ को एक खतरनाक और दुर्लभ बीमारी थी। उनकी उम्र 79 साल थी। पाकिस्तानी फ़ौज के मीडिया विंग ‘अन्तर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन्स’ ने उनकी मौत पर दुःख जताया है।
एजेंसी ने दुआ की कि अल्लाह दिवंगत रूह को शांति दे और परिवार को इस दुःख को बर्दाश्त करने की क्षमता दे। जून 2022 में भी परवेज मुशर्रफ को 3 हफ़्तों के लिए अस्प्स्तल में भर्ती कराया गया था। तब उनके परिवार ने बताया था कि उनके सभी अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर रहे हैं और उनके शरीर की स्थिति उस अवस्था में पहुँच गई है, जहाँ से कुछ भी ठीक नहीं किया जा सकता। तब भी उनकी मौत की अफवाह उड़ी थी, जिसे परिवार ने नकार दिया था।
उन्होंने 2010 में ‘ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (APML)’ नाम से एक पार्टी भी बनाई थी। पार्टी ने 2018 में ही बयान जारी कर बताया था कि परवेज मुशर्रफ Amyloidosis नामक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसमें शरीर के सभी अंग (दिल, किडनी, फेंफड़े, पाचन तंत्र और लिवर और नर्वस सिस्टम) के कामकाज में गड़बड़ी होने लगती है। इस बीमारी में शरीर में Amyloid नाम का खतरनाक प्रोटीन बनने लगता है, जो टिशूज को काम करने से रोकता है।
उनके शरीर के नर्वस सिस्टम के अत्यधिक कमजोर हो जाने के बाद लंदन में उनका इलाज चल रहा था। 17 दिसंबर, 2019 को परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तान के एक स्पेशल कोर्ट ने मौत की सज़ा सुनाई थी। उन्हें गद्दार साबित किया गया था। 30 मार्च, 2014 को अदालत ने उन्हें मुल्क के संविधान को बरख़ास्त करने का दोषी पाया था। वो जून 2001 से लेकर अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे थे। मार्च 2016 में वो पाकिस्तान से दुबई चले गए थे और उसके बाद से कभी अपने मुल्क नहीं लौटे।