पाकिस्तान में संसद भंग: अमेरिका ने गिराई इमरान खान की सरकार, लीक हुई रिपोर्ट में डिटेल, भारत से भी कनेक्शन?

शहबाज शरीफ, बिलावल भुट्टो और इमरान खान (तस्वीर साभार: न्यूज18/हिंदुस्तान टाइम्स)

पाकिस्तान की राजनीति के लिए 9 अगस्त की रात बड़ी महत्वपूर्ण रही। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सलाह पर राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सभा मतलब पाकिस्तान की संसद को भंग कर दिया है और चुनाव के लिए रास्ता खोल दिया है। खास बात ये है कि शहबाज शरीफ के लिए सबसे बड़ी चुनौती माने जा रहे इमरान खान को जेल भेजे जाने के बाद अब उनके सामने कोई बड़ी चुनौती बची नहीं है। पाकिस्तान के दूसरे प्रमुख राजनीतिक दल पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी खुद शाहबाज के जूनियर पार्टनर बन कर रह गए हैं, ऐसे में शाहबाज शरीफ को उम्मीद है कि वो चुनाव के बाद फिर से सत्ता में आएँगे।

भारत की तारीफ करने पर अमेरिका को लगी मिर्ची?

इस बीच खबर ये आ रही है कि अमेरिकी दबाव की वजह से इमरान खान को सत्ता से हटाया गया। अमेरिकी दबाव के पीछे यूक्रेन-रूस युद्ध को कारण माना जा रहा है।

इमरान खान यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलेआम तारीफ करते हुए भारतीय विदेश नीति की प्रशंसा करते थे। वहीं, भारत की विदेश नीति किसी से छिपी नहीं है कि उसने यूक्रेन पर रूसी हमले के मामले में किस तरह का स्टैंड लिया है। वहीं, इमरान खान को हटाने के बाद पाकिस्तान ने खुद को न्यूट्रल दिखाया है।

इमरान खान को सत्ता से हटाने की साजिश का खुलासा

पाकिस्तान में इमरान खान कुछ समय पहले तक सत्ता में थे। उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए गहरी साजिश की जड़ों का खुलासा हुआ है। अमेरिकी दबाव के कारण ही वहाँ महँगाई बेतहाशा बढ़ाई गई। बड़े-बड़े मार्च निकाले गए। सभी विपक्षी एकजुट हो गए। इन सबके बीच इमरान खान मोदी सरकार की नीतियों (खासकर विदेश नीति) की तारीफ करते रहे।

मोदी सरकार की देखादेखी में इमरान खान सस्ते तेल के चक्कर में रूस तक पहुँच गए। अंतत: पाकिस्तान की राजनीति में वो अलग-थलग पड़ गए। उनके ही साथियों ने साथ छोड़ा, तो सरकार गिर गई। उनके खिलाफ 140 मामले चलाए जा रहे हैं। इस दौरान उन्हें गोली मारी गई। जेल में ठूँस दिया गया। जमानत लेकर बाहर निकले तो मात्र कुछ दिनों पहले ही उन्हें तोशाखाना मामले में फिर से जेल भेज दिया गया।

अमेरिका ने सत्ता से हटाने में निभाया बड़ा रोल

इमरान खान को सत्ता से हटाए जाने के मामले में कुछ पेपर लीक हुए हैं। इनसे जानकारी मिल रही है कि ऐसा अमेरिकी दबाव में किया गया, ताकि वो उक्रेन पर पाकिस्तान के स्टैंड को बदल सके।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट में लीक हुए दस्तावेजों के हवाले से लिखा गया है कि अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तानी राजनयिकों से कहा था कि इमरान खान का स्टैंड भले ही न्यूट्रल हो, लेकिन वो न्यूट्रल दिखता नहीं है। इसी रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि इमरान खान की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई।

इमरान खान को बुरी तरह से तोड़ दिया गया

अब हकीकत ये है कि इमरान खान तीन साल की सजा मिलने के बाद से जेल में हैं। इसी साल मई और अगस्त में वो दो बार जेल गए हैं लेकिन दोनों बार में बहुत अंतर आ चुका है। इमरान खान को जब 9 मई को जेल भेजा गया था, तब पूरे देश में बवाल हो गया था। उनके घर को समर्थकों ने किले में बदल दिया था। गिरफ्तारी के लिए पुलिस और सेना को लंबा अभियान चलाना पड़ा था। इसके विरोध में सेना के ठिकानों तक पर लोगों ने हमले किए थे।

अब जब इमरान खान जेल गए हैं तो स्थिति अलग है। उनकी पार्टी के लोग साथ छोड़कर चले गए हैं। इमरान अकेले से पड़ गए। विरोध का सुर दबा हुआ है। बड़े स्तर पर प्रदर्शन तो छोड़िए, उनकी गिरफ्तारी के समय 100-200 कार्यकर्ता भी उनके घर नहीं पहुँचे। अब समझिए कि किस तरह से इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई को नेस्तनाबूद करने के बाद शहबाज शरीफ ने चुनाव की घोषणा की है।

‘मुझे बाहर निकालो, मैं यहाँ नहीं रहना चाहता’

इमरान खान के वकीलों ने 8 अगस्त को 2 घंटे तक उनसे मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने अपने वकीलों से कहा कि उन्हें बाहर निकाला जाए, क्योंकि वो इस जगह पर नहीं रहना चाहते।

इमरान खान को टाइप सी जेल में रखा गया है। यहाँ उन्हें राजनीतिक कैदियों वाली अखबार, टीवी जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है, जबकि इमरान खान देश के प्रधानमंत्री रहे हैं। उनकी हिम्मत को न सिर्फ तोड़ दिया गया है, बल्कि उनके आत्मविश्वास तक को मटियामेट कर दिया गया है।

90 दिनों में पूरी होगी चुनावी प्रक्रिया, लौट पाएँगे इमरान?

शहबाज शरीफ अगले तीन दिन तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री की भूमिका में रहेंगे, तब तक पाकिस्तान में कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति हो जाएगी। पाकिस्तान के संविधान में व्यवस्था है कि सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद और संसद भंग होने की सूरत में कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति होती है, ताकि निष्पक्ष चुनाव कराए जा सकें। हालाँकि ऐसा हकीकत में कभी पाकिस्तान के साथ हुआ नहीं, क्योंकि पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव के नाम पर सेना द्वारा चुनी गई पार्टियों के लोग सत्ता में काबिज होते रहे हैं।

बहरहाल, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने कार्यकाल की 12 अगस्त की समाप्ति से पहले प्रधानमंत्री की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 51-1 के तहत संसद भंग कर दी है। अब पाकिस्तान में कोई मंत्री भी नहीं है। अगले तीन दिन में कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति हो जाएगी, जिसके पास चुनाव कराने के लिए 90 दिनों का समय होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया