बलूचिस्तान के 40 करोड़ टन के सोने व ताम्बे के खदान चीन को सौंपे: कंगाल Pak के खिलाफ बलूचों ने किया विरोध प्रदर्शन

बलूचिस्तान के सोना-ताम्बा खदानों पर चीनी कंपनियों का एकाधिकार

जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना वायरस संक्रमण आपदा से परेशान है, पाकिस्तान और चीन मिल कर भारत को परेशान करने में लगे हुए हैं। पाकिस्तान भले ही 100 अरब डॉलर के लोन के साथ कंगाली की ओर बढ़ रहा है लेकिन बलूचिस्तान में उसने चीन को खुली छूट दे रखी है, जिससे वहाँ के स्थानीय लोग हलकान हैं। मार्च से अब तक पाकिस्तान में 2 करोड़ नौकरियाँ जा चुकी हैं और 2000 उद्योग ठप्प हुए हैं।

पाकिस्तान में रहने वाले बलूचिस्तान के बलूच अब चीन के बढ़ते निवेश के कारण नाराज़ हैं। चीन की एक कपनी की नज़र बलूचिस्तान में सोने और ताम्बे के खदानों पर थी, जिसके बाद उसने खनन का ठेका भी ले लिया। बलूचिस्तान प्रांत के चागी जिले में स्थित सैंडक के सैंडक कॉपर-गोल्ड प्रोजेक्ट पर फिर से काम शुरू हो गया है। चीन की कम्पनी मेटालर्जिकल कॉर्पोरेशन को अगले 10 सालों के लिए ये टेंडर सौंप दिया गया है।

पाकिस्तान में चीन की इस कंपनी को सैंडक मेटल्स लिमिटेड या एसएमएल के नाम से रजिस्टर किया गया है। इससे बलूचिस्तान में गुस्सा व्याप्त हो गया है और चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत के खिलाफ विरोध जताया जा रहा है। लोगों का कहना है कि चीन उनके इलाक़े से खनिज चुरा-चुरा कर अपने देश में ले जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर 2001 से ही काम शुरू हो गया था। इसके लिए चीन को बार-बार एक्सटेंशन दिया गया।

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2002 में इस प्रोजेक्ट को 10 साल के लिए चीन की कम्पनी को सौंपा गया था। इसके बाद 2012 में 10 साल पूरे होने पर फिर से उसे 5 साल का एक्सटेंशन दिया गया। 2017 में चीन के डर से पाकिस्तान ने फिर से एक्सटेंशन दिया। अब 2020 में फिर से इस प्रोजेक्ट को 15 वर्षों के लिए आगे बढ़ाया गया था। पाकिस्तान सरकार इस प्रोजेक्ट के माध्यम से 4.5 करोड़ डॉलर के निवेश की उम्मीद कर रही है।

पाकिस्तान के लोगों का दावा है कि इस खादान में 40 करोड़ टन से भी अधिक धातुओं (सोना और ताम्बा) के भण्डार मौजूद हैं। जहाँ बलूचिस्तान को पाकिस्तान ने वर्षों से अपने मुल्क का सबसे गरीब प्रान्त बना कर रखा हुआ है, प्रान्त को पाकिस्तान से आज़ाद कराने की भी मुहीम चल रही है। 2005 में पाकिस्तान ने फ़ौज के जरिए दमनकारी अभियान चलाया था। कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हुए हमले के लिए भी बलूचिस्तान के संगठन को जिम्मेदार बताया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया