‘कश्मीर समस्या के समाधान के बिना भारत के साथ शांति संभव नहीं’: PM की कुर्सी पर बैठने से पहले अपना रंग दिखाने लगे शहबाज शरीफ

शहबाज शरीफ (फोटो साभार: AFP)

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से इमरान खान (Imran khan) को बेदखल करने के बाद प्रधानमंत्री पद सबसे सशक्त उम्मीदवार शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) ने कुर्सी पर बैठने से पहले ही कश्मीर (Kashmir) का राग अलापना शुरू कर दिया है। रविवार को शहबाज ने कहा कि जब तक कश्मीर का मामला हल नहीं हो सकता, तब तक शांति नहीं आ सकती।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की राजनीति में घरेलू और विदेश का सबसे बड़ा मुद्दा भारत ही होता है और इसके केंद्र में कश्मीर होता है। इमरान खान सहित लगभग सभी प्रधानमंत्री कश्मीर को मुद्दा बताते रहे हैं, लेकिन उसके कब्जे वाले कश्मीर पर चुप्पी साध लेते हैं। भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अगर कश्मीर पर बात होगी तो सिर्फ पाक के कब्जे वाले कश्मीर पर होगी।

प्रधानमंत्री पद के नामांकन भरने के बाद शहबाज शरीफ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत के साथ वह शांति चाहते हैं, लेकिन कश्मीर समस्या के समाधान के बिना शांति नहीं आ सकती। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार बनाने के बाद उनकी पहली प्राथमिकता राष्ट्रीय सद्भाव बनाने की है। उन्होंने अपने बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर दर्ज केसों को लेकर कहा कि उन सभी केसों को कानूनी दायरों के तहत निपटाया जाएगा।

बता दें कि रविवार को विपक्षी दलों की ओर से शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। वहीं, इमरान खान की पार्टी की ओर पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पर्चा भरा है। शहबाज और कुरैशी के पर्चे को नेशनल एसेंबली द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।

दरअसल, शहबाज खान के पर्चे भरने को लेकर PTI नेता और एडवोकेट बाबर अवान ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि शहबाज पर कई केस दर्ज हैं। ऐसे में संविधान की धारा 233 तीन स्थानों पर ऐसे व्यक्ति का नामांकन पत्र स्वीकार या अस्वीकार करने की शक्ति देता है। उन्होंने एसेंबली के सचिव से शहबाज के नामांकन पत्र को खारिज करने की अपील की है। हालाँकि, एसेंबली के सचिव ने इसे स्वीकार कर लिया है।

इधर इमरान खान के एक ट्वीट कर कहा है कि 1947 में पाकिस्तान एक स्वतंत्र राज्य बना, लेकिन सत्ता परिवर्तन की एक विदेशी साजिश के खिलाफ आज से एक और स्वतंत्रता संग्राम फिर से शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जनता हमेशा से संप्रभुता और लोकतंत्र की रक्षा करती आई है और आगे भी करेगी।

गौरतलब है कि तीन साल सात महीने और 23 दिनों के बाद इमरान खान रविवार तड़के पाकिस्तान के नेशनल असेंबली सत्र में अविश्वास प्रस्ताव हार गए। नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए नेशनल असेंबली 11 अप्रैल को मतदान करेगी। वहीं, इमरान खान की पार्टी PTI के नेताओं ने सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया