आसिफ गफूर ने 2015 के वीडियो में छेड़छाड़ कर ढूँढा बालाकोट, सोशल मीडिया पर हुई छीछालेदर

मेजर गफ़ूर पाकिस्तान के किसी मनोचिकित्सक से इलाज कराएँ- नहीं तो मेडिकल वीज़ा पर हिन्दुस्तान के पागलखाने में स्वागत है

सलमान खान की फिल्म ‘दबंग-2’ में मनोज पाहवा का किरदार सलमान खान के किरदार को समझाता है कि ‘दबाव बने रहना चाहिए।’ ऐसा लग रहा है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के पाँच महीने बाद भी पाकिस्तानी सेना ऐसे ही ‘दबाव’ में है, और अब तक हिन्दुस्तानी वायु सेना के ‘पेड़ उखाड़ने’ वाली एयर स्ट्राइक के सदमे से बाहर नहीं आ पाई है। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने अपने ट्विटर अकाउंट से 1962 के भारत-चीन युद्ध के नायकों में एक एयर मार्शल डेन्ज़िल कीलोर का डॉक्टर्ड (छेड़-छाड़ किया हुआ) वीडियो शेयर किया है। इसमें 62 के युद्ध में हिंदुस्तानी फ़ौज को हुई कुछ ऐसी जान की हानि के किस्सों की बात की जा रही है, जिनसे शायद बचा जा सकता था।

https://twitter.com/peaceforchange/status/1155328806246408194?ref_src=twsrc%5Etfw

एयर मार्शल कीलोर इस वीडियो में कहते हुए सुने जा सकते हैं कि हिंदुस्तानी सेना को हुई जन-क्षति कुछ हद तक रणनीतिक चूक और अनुभवहीनता के कारण थी। “आप बिना अनुभव के लड़ाई नहीं लड़ सकते। इसकी हमने भारी कीमत चुकाई है।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना के पास हिन्दुस्तानियों से बेहतर हथियार थे। लेकिन यह वीडियो असल में बालाकोट से साढ़े तीन साल पहले 2015 का है।

इस वीडियो पर गफ़ूर की टिप्पणी में भी साफ तौर पर यह 27 फ़रवरी, 2019 को हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के संदर्भ में किए गए कमेंट होने का दावा किया गया है। शायद अपने देश की सेना को एयर स्ट्राइक में लगे झटके में मेजर गफ़ूर यह भूल गए कि 2015 के वीडियो में बालाकोट एयर-स्ट्राइक की बात हो ही नहीं सकती।

चार घंटे और ट्विटर पर पड़ी लताड़ के बाद जब मेजर गफूर को यह ‘समझ’ में आ गया कि उन्होंने क्या हरकत की है तो वह प्रवक्ता मोड में स्पष्टीकरण वाले ट्वीट करने लगे।

https://twitter.com/peaceforchange/status/1155397799732817920?ref_src=twsrc%5Etfw

लेकिन इसमें भी अपनी पाकिस्तानी (तुच्छ) सोच दिखाना वह जब्र नहीं कर पाए। उनके ट्वीट के मुताबिक वह कन्फ्यूज़ इसलिए हो गए क्योंकि जिन गलतियों की बात एयर मार्शल कर रहे थे, जिन हालातों की वह बात कर रहे थे, और जैसे कर रहे थे, वह एक जैसे हैं (1965 और 2019 में)। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दुस्तानी वायु सेना के लिए परिस्थितियाँ (उनके हिसाब से असफलता की) 1965 से लेकर अब तक कमोबेश समान हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया