पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सरकारी आतंकवाद के खिलाफ हर शहर और गाँव में पुरजोर विरोध हो रहा है। वहाँ के लोग करीब एक महीना पहले हुए बलूच नरसंहार और युवाओं के अपहरण के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। अब इसकी आग राजधानी इस्लामाबाद तक जा पहुँची है। इसको लेकर पूरा बलूचिस्तान बंद है। वहाँ सभी सड़कें बंद हैं।
इस्लामाबाद और डीजी खान से उठाए गए सभी प्रदर्शनकारियों की तुरंत रिहाई की माँग की जा रही। चेतावनी दी गई है कि अगर छात्रों और प्रदर्शनकारियों को रिहा नहीं किया गया तो बलूचिस्तान पूरी तरह से जाम हो जाएगा। दरअसल पाकिस्तानी पुलिस ने बलूच नरसंहार के खिलाफ लॉन्ग मार्च में शामिल चार बलूच युवाओं को गैरकानूनी तरीके से उठाकर उनकी हत्या कर दी थी।
बलूच नरसंहार के खिलाफ इस्लामाबाद में ग्वादर के सरबंदन इलाके में एक बडे़ विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बलूचों पर अमानवीय अत्याचार किया। पुलिस ने 200 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें महिलाएँ भी शामिल थीं। इन्हीं में से एक महिला को 26 घंटे के अपमान, उत्पीड़न और यातना के बाद इस्लामाबाद पुलिस ने रिहा किया। इसके बाद वहाँ विरोध-प्रदर्शनों में तेजी आ गई है।
बलूच यकजहती समिति ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया, “बलूचिस्तान में सरकारी आतंकवाद के खिलाफ बलूचिस्तान के हर शहर और गाँव में विरोध रैलियाँ हो रही हैं। इस्लामाबाद में ग्वादर के सरबंदन इलाके में बलूच माताओं-बहनों के अपमान के खिलाफ बलूच समुदाय सामने आ गया है और अपना गुस्सा जाहिर कर रहा है। पूरा बलूचिस्तान इस वक्त सरकारी आतंकवाद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है।”
बलूच यकजहती समिति ने सोशल मीडिया पर हिरासत में ली गई महिला के दर्द भरे अनुभवों को भी शेयर किया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से महिला के साथ पाकिस्तानी पुलिस ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी हैं।
वहीं, समिति ने इस्लामाबाद में बलूच प्रदर्शनकारियों के साथ किए जा रहे व्यवहार के खिलाफ अपना विरोध जारी रखने की अपील की है। समिति की इस अपील के बाद से बड़ी संख्या में बलूच पाकिस्तान के के अलग-अलग हिस्से से इस्लामाबाद कूच करने लगे।
इस दौरान बरखान, रुकनी, फोर्ट मुनरो, टौंसा, डीजी खान, क्वेटा, केच, ग्वादर, वाध, कोहलू, कलात, हब सहित कई इलाकों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बलूच महिलाओं की रिहाई के बावजूद फिक्र बनी हुई है, क्योंकि उनके 200 से अधिक पुरुष साथी अभी हिरासत में हैं। इनमें से 162 लोगों को अदियाला जेल भेज दिया गया है, जबकि 50 से अधिक लोगों इस्लामाबाद के अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में हिरासत में रखा गया है।
बलूच यकजहती समिति ने बलूच नरसंहार और गैरकानूनी अपहरण के खिलाफ आंदोलन जारी रखने का दृढ़ संकल्प जताया है। समिति ने कहा, “हम बलूच नरसंहार और गैरकानूनी अपहरण के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखेंगे। अगले कदम का ऐलान जल्दी ही मीडिया के जरिए किया जाएगा।”
बताते चलें कि ये बलूच यकजहती समिति ने बलूच नरसंहार के विरोध में लॉन्ग मार्च आयोजित किया था। ये लॉन्ग मार्च बालाच मोला बख्श की मौत से शुरू हुआ था। उन्हें 29 अक्टूबर 2023 को आतंकवाद विरोधी पुलिस उनके घर से उठा ले गई थी। केच जिले के चार युवा बलूचों को पुलिस उठाकर ले गई थी और उनकी हत्या कर दी।
इसके बाद पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में तेजी आ गई। बलूच नरसंहार के विरोध के तौर पर शुरू यह मार्च बलूचिस्तान और पंजाब के कई जिलों से होते हुए पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद तक जा पहुँचा। वहाँ पहुँचने पर मार्च में शामिल बलूच प्रर्दशनकारियों को बेहद क्रूरता का सामना करना पड़ा।
बलूच मानवाधिकार परिषद ने इस्लामाबाद पुलिस और अंतरिम सरकार की अमानवीय और क्रूर प्रतिक्रिया पर गहरी चिंता जताई है। परिषद ने पुलिसिया कार्रवाई की निंदा की है। इसके साथ ही पुलिस पर पर बलूच कार्यकर्ताओं को पीटने और गिरफ्तार करने के साथ-साथ मार्च में भाग लेने वाले बुजुर्ग पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
बलूच मानवाधिकार परिषद ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “ये लोग अपने लोगों के लिए न्याय चाहते हैं, जिन्हें पाकिस्तान के कई हिस्सों से जबरन गायब कर दिया गया है।” परिषद ने क्रूरता और जबरदस्ती की निंदा करने का आह्वान किया और पाकिस्तानी अधिकारियों से मानवाधिकार उपकरणों का सम्मान करने की अपनी प्रतिज्ञा को बरकरार रखने का आग्रह किया।