बच्चों की देह पर टैटू गुदवा रहे फिलिस्तीनी, ताकि मरने के बाद पहचान सकें: इस्लाम में हराम है ये, हदीस में भी आदेश – अल्लाह के बनाए शरीर को बदलना गलत

फिलिस्तीन में लोग गुदवा रहे टैटू, जबकि इस्लाम में हराम (प्रतीकात्मक चित्र साभार: Bing AI)

इजरायल-हमास युद्ध सोमवार (23 अक्टूबर, 2023) को अपने 16वें दिन में प्रवेश कर गया। हमास के इजरायल पर हमले के बाद यहूदी मुल्क की जवाबी कार्रवाई में गाजा पट्टी में नागरिकों को खतरा बना हुआ है। यहाँ के अधिकतर लोग इजरायल की सलाह के बाद भी गाजा के उत्तरी हिस्से को खाली करके दक्षिणी हिस्से में जाने में नाकाम रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया है कि गाजा में कई परिवार अपने बच्चों के शरीर पर उनके नाम के टैटू गुदवा रहे हैं, ताकि हमले में मारे जाने या घायल होने पर उनकी पहचान आसानी से की जा सके।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, माता-पिता बच्चों के हाथ-पैरों पर अरबी भाषा में नाम गुदवा रहे हैं। सोशल मीडिया पर बच्चों की लाशों और उनके अंगों पर नाम लिखे हुए कुछ वीडियो सामने आने के बाद ये खुलासा हुआ है। इस्लाम को मानने वाले फिलिस्तीनी पहचान के निशान के तौर पर टैटू बनवा रहे हैं, हालाँकि उनका मजहब इस प्रथा की इजाजत नहीं देता है।

गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए भयंकर आतंकवादी हमले के बाद इजरायल गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास के ठिकानों पर बमबारी कर रहा है। इसमें अब तक 1400 से अधिक इजरायली और अन्य नागरिकों की जान चली गई थी। अब तक दोनों तरफ से 6000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में दोनों तरफ जान माल का नुकसान हो रहा है। बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हो रही हैं।

ऐसे में हमले में मारे गए अपने परिवारों को खोजने में लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि गाजा पट्टी में लोग अपने बच्चों की पहचान करने के लिए उनके शरीर के अंगों पर टैटू गुदवा रहे हैं। अक्सर कई इस्लामी स्कॉलर और मौलवी शरीर पर टैटू बनवाने को हराम बताते हैं। उनका तर्क है कि इस्लाम शरीर को सुधारने या बदलने की मंजूरी नहीं देता क्योंकि ये अल्लाह ने बनाया है।

यह मनाही इस्लाम की मजहबी पुस्तकों, खास तौर से हदीस की व्याख्याओं पर आधारित है। भगोड़े इस्लामी मुबल्लिग़ जाकिर नाइक के मुताबिक, साहिह अल-बुखारी, हदीस 5943 में लिखा है, “अल्लाह ने उन औरतों को श्राप दिया है जो टैटू गुदवाती हैं या अपने लिए बनवाती हैं, और जो अपने चेहरे से बाल हटाती हैं, और जो खूबसूरत दिखने के लिए अपने दाँतों के बीच कृत्रिम तरीके से जगह बनाती है। ये औरतें ऐसा कर अल्लाह की बनाए नैन-नक्शों को बदल देती हैं।”

इसके अलावा, हदीस में गोदने के बारे में कई अन्य जिक्र भी हैं। साहिह अल-बुखारी, पुस्तक 72, हदीस 823 की हदीस के मुताबिक, पैगंबर मुहम्मद ने टैटू बनाने वालों और टैटू बनवाने वालों को श्राप दिया था। खास तौर से, साहिह अल-बुखारी हदीस के सबसे भरोसेमंद संग्रहों में से एक है। IIUM के साहिह अल-बुखारी से हदीस के संग्रह के मुताबिक, ऊपर जिक्र किए हदीस में लिखा है, “पैगंबर ने उस महिला को श्राप दिया है जो अपने बालों को कृत्रिम तौर से लंबा करती है और जो उसके बालों इस तरह से लंबा करता है, और उस महिला को भी जो टैटू बनाती है (खुद को या दूसरों को) ) और वह जो खुद टैटू बनवाती है।

साहिह मुस्लिम की हदीस के मुताबिक, एक और भरोसेमंद हदीस टैटू के मनाही के बारे में बताती है। हदीस संग्रह वेबसाइट के मुताबिक, साहिह मुस्लिम, पुस्तक 24, हदीस 5300 में लिखा है, “किसी के सिर पर नकली बाल लगाना या भौंहें उखाड़ना या दाँत अलग करना मना है। इब्न उमर ने बताया है कि अल्लाह के दूत ने उस महिला को श्राप दिया था जिसने नकली बाल लगाए थे और उस महिला को जिसने टैटू बनवाने के लिए कहा था।”

खासतौर से मेहंदी या अन्य किसी रंग के बने अस्थायी टैटू बनाने की इस्लाम में मंजूरी दी गई है, लेकिन केवल तभी जब उसका डिजाइन शरिया कानून का पालन करता हो।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया