2030 तक 2.6 करोड़ एकड़ बंजर जमीन का होगा कायाकल्प, 10 साल में बढ़ा 30 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र: UN वर्चुअल संवाद में PM मोदी

संयुक्त राष्ट्र में PM मोदी (फ़ाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को (14 जून 2021) को संयुक्त राष्ट्र में मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे पर उच्च स्तरीय वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने इन मुद्दों से निपटने के लिए भारत द्वारा अपनाए जा रहे हैं उपायों पर भी चर्चा की।

पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) के दलों के सम्मेलन के 14वें सत्र के अध्यक्ष हैं। सितंबर 2019 में पीएम मोदी नई दिल्ली में यूएनसीसीडी-सीओपी के उच्च स्तरीय 14वें सत्र का शुभारंभ कर चुके हैं।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के सभी पक्षों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में हमने हमेशा भूमि को महत्व दिया है और पवित्र भूमि को अपनी माँ के रूप में मानते हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूमि क्षरण के मुद्दों को उजागर करने का बीड़ा उठाया है।

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पीएम मोदी ने वर्चुअली उच्च स्तरीय कार्यक्रम में कहा कि भूमि जीवन और आजीविका के लिए मूलभूत अंग है और सभी को इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा, ”दुख की बात है कि भूमि क्षरण आज दुनिया के दो तिहाई हिस्से को प्रभावित करता है। अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो यह हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता की नींव को ही नष्ट कर देगा।”

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पिछले 10 साल में लगभग 30 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र जोड़ा गया

उन्होंने कहा कि भारत में पिछले 10 साल में लगभग 30 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र जोड़ा गया है। इसने संयुक्त वन क्षेत्र को देश के कुल क्षेत्रफल के लगभग 1/4 भाग तक बढ़ा दिया है। हम भूमि क्षरण तटस्थता की अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को प्राप्त करने की राह पर हैं।

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भारत 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने पर काम कर रहा

उन्होंने कहा कि हम 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। यह 2.5-3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता में योगदान देगा। पीएम ने कहा कि जमीन सभी के जीवन और आजीविका के लिए जरूरी है। हम सभी समझते हैं कि जीवन का जाल एक दूसरे से जुड़े हुए तंत्र के रूप में कार्य करता है।

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वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वैश्विक रूप से पृथ्वी के भूमि क्षेत्र का दो अरब हेक्टेयर से ज्यादा के क्षेत्र का क्षरण हो गया है, जिसमें कृषि भूमि का आधे से ज्यादा हिस्सा शामिल है। अगर हमने मृदा का प्रबंधन नहीं किया तो 2050 तक 90 प्रतिशत से अधिक भूमि का अवक्रमण (Land degradation) हो सकता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया