अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुद्वारे पर आतंकी हमले की खबर है। मीडिया रिपोर्टों में अफगान आंतरिक मंत्रालय ने काबुल में हुए इस हमले की पुष्टि की है। बताया जा रहा है की पहले फिदायीन हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। हमले में 4 लोगों के मरने की खबर है।
आत्मघाती धमाके के बाद बंदूकधारी गुरुद्वारे में दाखिल हो गए। अफगानी मीडिया रिर्पोटों के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया है कि सुरक्षा बलों ने गुरुद्वारे के पहले तल को खाली करा लिया है। मुठभेड़ जारी है। अंदर फॅंसे कई लोग सकुशल बाहर निकाल लिए गए हैं।
https://twitter.com/ANI/status/1242687925441024000?ref_src=twsrc%5Etfwअल जजीरा के मुताबिक ने सांसद नरेंद्र सिंह खालसा ने बताया कि जब यह हमला हुआ, तो वह घटनास्थल के पास ही थे। उनके अनुसार, धमाके की आवाज सुनते ही वे गुरुद्वारे की ओर भागे और देखा कि वहाँ कम से कम 4 सिखों की मृत्यु हुई थी। अभी तक किसी ने भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन इस महीने की शुरुआत में राजधानी काबुल में ही IS (दाएश) ने अल्पसंख्यक शिया समुदाय के एक समूह पर हमला किया था, जिसमें 32 लोग मारे गए थे। अब इस हमले को भी उससे जोड़कर देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में लंबे समय सिखों को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है और कई बार आतंकवादियों ने भी उन्हें निशाना बनाया है। हालिया दिल्ली दंगों के बाद भी काबुल में सिखों की दुकान पर हमला हुआ था। अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस घटना का विडियो अपने ट्विटर पर भी शेयर की था जिसमें अधेड़ उम्र का सिख दुकानदार हाथ जोड़कर हताश खड़ा था और उसकी दुकान का सामान जमीन पर बिखरा था।
बता दें, अल्पसंख्यक सिखों पर यह पहला हमला नहीं है। पहले भी अफगानिस्तान में उनपर हमले होते आए हैं और डरकर वे भारत आने को मजबूर हुए हैं। 2018 में भी जलालाबाद में आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें 13 सिख मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी। हमले से सिख समुदाय इतना डर गया था कि उन्होंने देश छोड़ने का फैसला कर लिया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान में अब 300 से भी कम सिख परिवार बचे हैं। इनके पास दो ही गुरुद्वारा है। एक जलालाबाद और दूसरा काबुल में।