370 पर पड़ोसी और इस्लामिक मुल्क साथ, कहा- J&K भारत का आंतरिक मसला

अनुच्छेद 370

जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन व अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी ने सदन में भारत सरकार से पूछा कि क्या कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है? लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी तो एक क़दम और आगे बढ़ गए और कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बता दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ़ कर दिया कि जब सरकार जम्मू कश्मीर की बात करती है तब वह न सिर्फ़ जम्मू, कश्मीर और लद्दाख बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की भी बात करती है।

जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अखंड हिस्सा है, भारत इस मसले पर किसी भी प्रकार की मध्यस्तथा का सख्त विरोधी रहा है क्योंकि यह भारतीय गणराज्य का आंतरिक मसला है। अब ख़बर आई है कि कई देशों ने पाकिस्तान को झटका देते हुए मोदी सरकार के इस क़दम को भारत का आंतरिक मुद्दा बताया है। श्री लंका, यूएई और मालदीव ने इसे भारत का आंतरिक मुद्दा बताया है और दखल देने से साफ़ इनकार कर दिया है। इससे पता चलता है कि न सिर्फ़ पड़ोसी देश बल्कि यूएई जैसे इस्लामिक देश भी भारत के साथ हैं।

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मालदीव की सरकार ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि किसी भी संप्रभु राष्ट्र को अपने क़ानून व संविधान में ज़रूरी बदलाव करने का अधिकार है। बता दें कि अब जम्मू-कश्मीर विधायिका सहित केंद्र शासित प्रदेश होगा, वहीँ लद्दाख विधायिका रहित केंद्र शासित प्रदेश होगा। लद्दाख के सांसद ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए अब्दुल्ला परिवार और महबूबा परिवार को आड़े हाथों लिया।

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कई देशों द्वारा इस मामले में पाकिस्तान को झटका देने से भारत को कूटनीतिक बढ़त भी मिली है। हालाँकि, चीन अभी भी अपने रवैये से बाज नहीं आया है और उसने अनुच्छेद-370 के पर कतरे जाने और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने को लेकर चिंता जाहिर की। भारत ने भी चीन को करारा जवाब देते हुए कहा कि यह हमारा आंतरिक मसला है और उसे इसमें दखलंदाजी का कोई अधिकार नहीं है। इस निर्णय से पाकिस्तान में बौखलाहट का माहौल है और वहाँ की संसद में पाक पीएम इमरान खान भी झल्लाते हुए नजर आए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया