श्री लंका: आत्मघाती हमले के बाद बौद्ध भिक्षु के आमरण अनशन पर हिज़्बुल्लाह और आज़ात सैली, 2 गवर्नरों का इस्तीफा

मुस्लिम गवर्नरों के विरुद्ध आमरण अनशन पर बैठे बौद्ध सांसद (आभार: All India Radio)

श्री लंका में दो प्रांतों के मुस्लिम समुदाय के गवर्नरों ने इस्तीफा दे दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उनका यह इस्तीफा एक बौद्ध भिक्षु के आमरण अनशन करने के बाद आया। दरअसल श्री लंका में 21 अप्रैल को ईस्टर के दिन हुए जिहादी आत्मघाती हमलों के बाद से ही भारी रोष व्याप्त है। श्री लंका की संसद में जन प्रतिनिधि अतुरलिए रतना तेरो- जो कि एक बौद्ध भिक्षु भी हैं- ने शुक्रवार (31 मई 2019) को आमरण अनशन शुरू कर दिया। रतना तेरो अपनी पाँच माँगों पर अड़े थे। उनका आरोप था कि आतंकी हमलों में मुस्लिम नेताओं की मिलीभगत है और इसकी जाँच की जानी चाहिए।

रतना तेरो की माँग थी कि मंत्री रिशाद बतीउद्दीन, और दो गवर्नर- ए एल ए एम हिज़्बुल्लाह और आज़ात सैली को इस्तीफा देना चाहिए। श्री लंका में सिंहली बौद्ध तबके और भिक्षुओं की माँग है कि मुस्लिम नेताओं की आतंकवादियों से संबंध की जाँच होनी चाहिए। हालाँकि मुस्लिम नेताओं ने इससे इंकार किया है। श्री लंका की जनता और अत्यधिक राजनैतिक दबाव के कारण मुस्लिम गवर्नरों को इस्तीफा देना पड़ा।

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सांसद रतना तेरो के आमरण अनशन और माँग के आगे आखिरकार मुस्लिम गवर्नरों को झुकना पड़ा और और हिज़्बुल्लाह और सैली को इस्तीफा देना पड़ा। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने दोनों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। गौरतलब है कि रतना तेरो सत्ताधारी दल यूनाइटेड नेशनल पार्टी के सांसद हैं। श्री लंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे भी इसी पार्टी के सदस्य हैं।

रतना तेरो कैंडी स्थित दालदा मालिगावा मंदिर के सामने शुक्रवार से अनशन पर थे। यह मंदिर कैंडी में स्थित है। सोमवार को रतना तेरो के समर्थन में भारी भीड़ वहाँ तक पहुँची। इस बीच सभी दूकाने बंद रहीं और अनशन के समर्थन में क्षेत्र में हड़ताल रही। मुस्लिम गवर्नरों के इस्तीफा देने के बाद आज करीब 3 बजे रतना तेरो ने अनशन समाप्त कर दिया।

इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने मंत्री बतीउद्दीन के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव रखा था जिसपर इस महीने के अंत में चर्चा होनी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया