बंद किया गया पेरिस का मस्जिद, हमास समर्थित समूह भी भंग: शिक्षक सैमुअल की श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित रहेंगे राष्ट्रपति मैक्रों

मस्जिद पर ताला जड़ते सुरक्षा अधिकारी (फोटो साभार: Julien de Rosa/EPA/EFE)

फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक इतिहास के शिक्षक सैमुअल की सिर्फ इसीलिए हत्या कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने अभिव्यक्ति की आज़ादी की पढ़ाई के दौरान छात्रों को पैगम्बर मुहम्मद का कार्टून दिखाया था। इस वारदात के बाद घृणा फैलाने वालों और इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई के बीच फ्रांस ने पेरिस के बाहर स्थित एक मस्जिद को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। ‘The Grand Mosque of Pantin’ पर ताला जड़ दिया गया है।

ये मस्जिद फ्रांस की राजधानी पेरिस के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक सबअर्ब में स्थित है, जो बाकी इलाकों से थोड़ा पिछड़ा हुआ है। इस मस्जिद ने अपने फेसबुक पेज पर शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या से पहले एक वीडियो जारी कर उनके खिलाफ घृणा फैलाई थी। प्रशासन ने मस्जिद के बाहर इसे बंद किए जाने का नोटिस चस्पा दिया है। फ्रांस में मजहब के आधार पर कट्टर शिक्षा देने वालों और देश की सुरक्षा में संभावित खतरा पैदा करने वाले विदेशियों पर कार्रवाई हो रही है।

इस मस्जिद को 6 महीने के लिए बंद किया गया है और बताया गया है कि ‘आतंकवादी घटनाओं से बचाव के एकमात्र कारण’ के लिए ऐसा किया गया है। फ्रांस के ‘Seine-Saint-Denis’ विभाग ने ये नोटिस जारी किया। ये भी पता चला है कि हत्यारा उस अभिभावक से संपर्क में था, जो शिक्षक के खिलाफ घृणा अभियान चला रहा था। साथ ही हमास के पक्ष में आए हुए पहले के एक आदेश को भी रद्द कर दिया गया है।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि देशवासी कार्रवाई चाहते हैं और सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है। हत्यारे ने व्हाट्सप्प पर उस अभिभावक से चैट किया था, जिसकी बेटी ने पैगम्बर मुहम्मद का कार्टून दिखाने वाले शिक्षक की शिकायत की थी। इसके बाद उस अभिभावक ने इसे ‘पोर्नोग्राफी’ बताते हुए उन्हें बरखास्त करने की माँग के साथ विरोध में समर्थन जुटाना शुरू कर दिया था। हत्यारा अब्दुल्लाख भी पुलिस की गोली से मारा गया।

इस हत्याकांड के कुछ ही सप्ताह पहले फ्रेंच राष्ट्रपति ने ‘इस्लामी अलगाववाद’ के कारण चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस्लाम एक ऐसा मजहब है, जो पूरी दुनिया में ही संकटकाल से गुजर रहा है, सिर्फ फ्रांस में ही ऐसा नहीं है। फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड ने कहा कि देश ‘अंदर के दुश्मनों’ से लड़ रहा है। फ्रांस में सक्रिय हमास का समर्थन करने वाले समूह को भंग कर दिया गया है। उसके मुखिया अब्देलहकीम से पुलिस पूछताछ कर रही है।

वहीं अब मस्जिद के प्रबंधक मोहममद हेंनीचे ने अब वीडियो शेयर करने को लेकर खेद जताया है। उन्होंने कहा कि ये वीडियो सिर्फ मुस्लिम छात्रों की चिंताओं के लिए शेयर किया गया था। साथ ही दावा किया कि इस्लाम में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। अब ‘Sorbonne’ विश्वविद्यालय में बुधवार (अक्टूबर 21, 2020) को उक्त शिक्षक को श्रद्धांजलि दी जाएगी, जिसमें राष्ट्रपति मैक्रों, पीड़ित परिवार और 400 अतिथि उपस्थित रहेंगे।

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मंगलवार को संसद में भी इस घटना के कारण एक मिनट का मौन रखा गया। ‘Conflans-Sainte-Honorine’ में उसी दिन शाम को हजारों लोगों ने जमा होकर ‘मैं भी सैमुअल’ का नारा लगा आकर इस्लामी कट्टरपंथियों का विरोध किया। ‘शार्ली हेब्दो’ के अगले अंक में ‘सिर कटा हुआ गणतंत्र’ नाम से एक शीर्षक भी आने वाला है। इसके संपादकीय में बताया जाएगा कि कैसे ये हत्यारे लोकतंत्र का गला काटना चाहते हैं।

ज्ञात हो कि उधर वहाँ के 4 NGO ने ट्विटर के खिलाफ भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हेट स्पीच पर लगाम लगाने में विफल रहने के कारण उसे कोर्ट में घसीटा गया है। हत्यारे का सन्देश और शिक्षक के मृत शरीर के साथ तस्वीर ट्विटर पर डाली गई थी, जिससे वहाँ के कई संगठन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से खफा हैं। हत्यारे ने अपने ट्विटर अकाउंट से भी आपत्तिजनक चीजें डाली थीं। वहाँ के ये NGO सरकार के साथ खड़े हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया