जिस DFRL को अमेरिकी सरकार देती है पैसा, वह 40 हजार ट्विटर अकाउंट करवाना चाहता था सेंसर: कपिल मिश्रा से लेकर वाराणसी एयरपोर्ट तक का नाम

बीजेपी समर्थकों का ट्विटर अकाउंट था टारगेट

अटलांटिक काउंसिल का डिजिटल फॉरेंसिक रिसर्च लैब (DFRL) 40 हजार ट्विटर अकाउंट सेंसर करवाना चाहता था। इस लैब को अमेरिकी सरकार से फंड मिलता है। स्वतंत्र पत्रकार और लेखक मैट टैबी (Matt Taibbi) ने अपने ट्विटर फाइल्स के नए संस्करण में इसका खुलासा किया है। इन अकाउंट्स को हिंदू राष्ट्रवाद और विशेष तौर पर बीजेपी से जुड़ा बताते हुए DFRL ने कार्रवाई को कहा था।

DFRL ने इन अकाउंट्स को बैन या शैडो बैन करने के लिए ट्विटर को ईमेल भेजा था। इससे DFRL की बीजेपी और राष्ट्रवादियों के प्रति घृणा का पता चलता है। टैबी ने दावा किया है कि वर्ष 2021 में डीएफआरएल के मैनेजिंग एडिटर एंडी गारविन ने 40 हजार भारतीय ट्विटर हैंडल्स की लिस्ट जारी कर उन पर भाजपा के वर्कर या पेड कर्मचारी होने और हिंदू राष्ट्र के समर्थक होने का आरोप लगाते हुए बैन या शैडो बैन (पहुँच कम करना) करने की माँग की थी।

टैबी के अनुसार लिस्ट में कुछ ऐसे अमेरिकियों के भी नाम थे, जिनमें से कई का भारत से कोई संबंध नहीं था और भारतीय राजनीति के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। हालाँकि ट्विटर ने उस वक्त इन अकाउंट्स पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। ट्विटर उस वक्त के ट्रस्ट एंड सेफ्टी प्रमुख योएल रोथ ने यह कहते हुए ट्विटर अकाउंट्स पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया कि अकाउंट वास्तविक लोगों के हैं।

40 हजार की लंबी लिस्ट में से ऑपइंडिया को 66 ऐसे भारतीयों के अकाउंट की जानकारी मिली है, जिस पर अमेरिकी वित्त पोषित संस्था द्वारा कार्रवाई की माँग की गई थी। इनमें अशोक गोयल, बेबी कुमारी बीजेपी, कपिल मिश्रा, किशोर अजवानी, नवीन कुमार जिंदल, पीयूष गोयल ऑफिस, तजिंदर पाल सिंह बग्गा जैसे भाजपा कार्यकर्ता और राष्ट्रवादियों के नाम शामिल हैं।

दिलचस्प बात यह है कि डीएफआर लैब वाराणसी हवाई अड्डे (@AAIVNSAIRPORT), उत्तर प्रदेश सरकार के एमएसएमई विभाग (@upmsme) और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को भी सेंसर करने की माँग कर रहा था। बता दें अमेरिकी विदेश विभाग की इकाई के रूप में सूचीबद्ध DFR Lab को अमेरिकी सरकार और ग्लोबल एंगेजमेंट सेंटर (GEC) द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। GEC को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के अंतिम वर्षों में बनाया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया