उइगर मुस्लिम के कब्र की जगह लॉलीपॉप लिए पांडा: चीन ने 5 साल में तबाह कर दिए कई इस्लामी कब्रगाह

एक लोकप्रिय उइगर कवि के कब्र का कोई अता-पता नहीं है, उसकी जगह ये पांडा है जो लॉलीपॉप लिए खड़ा है

उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के लिए चीन हमेशा नए-नए तरीके अपनाता रहा है। अब चीन ने उइगर मुस्लिमों के मरने के बाद भी उनकी शांति छीनने वाला काम शुरू किया है। चीन में उइगर मुस्लिमों के कई कब्रगाहों को तबाह कर दिया गया है। ये वो कब्रगाह थे, जहाँ उइगर मुस्लिमों की कई पीढ़ियों के लोगों को मरने के बाद दफ़न किया जाता रहा है। मृतकों की हड्डियाँ बिखरी पड़ी हैं और कब्रों को तहस-नहस कर दिया गया है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन ने उइगर मुस्लिमों को पूरी तरह मिटाने की ठान ली है। शिनजियांग में केवल 2 सालों में ही कई दर्जन कब्रगाहों को तबाह कर दिया गया है।

सैटेलाइट इमेज के अनुसार हुए खुलासे से इस बात का पता चला है। एएफपी ने कई फोटो जारी किए हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि मृतकों की हड्डियाँ इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं और कब्रगाहों की ईंटें फैली हुई हैं। यह दिखाता है कि चीन ने इन कब्रगाहों को तबाह करने में जरा सी भी संवेदनशीलता का परिचय नहीं दिया और मृतकों तक को नहीं बख़्शा।

उइगर मुस्लिमों के कब्रगाह में चीन की तबाही का आलम: बिखरी पड़ी हड्डियाँ

चीन ने इन कब्रगाहों को विकास की आड़ में तबाह किया है। कई कब्रगाहों को तबाह करने के पीछे विकास और इंडस्ट्री बिठाने जैसे कारण आधिकारिक रूप से बताए गए। वहीं कई अन्य कब्रगाहों को तबाह करने के पीछे का कारण उन्हें मॉडर्न बनाने का प्रयास बताया गया। उइगर मुस्लिमों का कहना है कि चीन की सरकार उनके जीवन के हर एक क्षेत्र पर कब्ज़ा करना चाहती है। एक उइगर कार्यकर्ता ने बताया कि चीन उनके समाज की हर एक निशानी को मिटा रहा है ताकि कुछ दिनों बाद वे लोग ख़ुद के बारे में ही अनजान बन जाएँ।

एक उइगर कार्यकर्ता ने बताया कि उसके दादा के दादा जिस कब्रगाह में दफ़न किए गए थे, उस कब्रगाह को तबाह कर दिया गया है। उइगर कार्यकर्ताओं ने बताया कि उनके इतिहास, उनकी पहचान और उनकी पूर्वजों की हर एक निशानी मिटाई जा रही है। लगभग 10 लाख उइगर मुस्लिमों को पकड़ कर शिक्षा देने के नाम पर चीन के डिटेंशन कैम्पस में रखा गया है। वहाँ उन्हें अपने मजहब का कोई भी चीज प्रैक्टिस नहीं करने दिया जाता। अगर कुछ उइगर मुस्लिम बाहर भी हैं तो उन्हें वही सब करना होता है, जो चीन की सरकार चाहती है। खुले में नमाज पढ़ने से लेकर क़ुरान रखने तक, उन पर कई पाबंदियाँ हैं।

उइगर मुस्लिमों के कब्र की तबाही के बाद ऐसी हालत हो गई है

विश्व भर में चल रही आलोचना के बाद भी चीन अपनी हरकतों पर अडिग है। मानवाधिकार के मुद्दे को लेकर अमेरिका ने भी कई चीनी अधिकारियों को वीजा देने से इनकार कर दिया है। अगर आँकड़ों की बात करें तो 2014 से लेकर अब तक चीन ने 45 उइगर कब्रगाहों को तबाह कर दिया है। पिछले दो साल की बात करें तो यह आँकड़ा 30 हो जाता है। शिनजियांग के उइगर कार्यकर्ताओं ने बताया कि यह सिर्फ़ मजहब को लेकर अत्याचार नहीं है बल्कि इसकी जड़ें और भी गहरी हैं। एक उइगर कवि के कब्र का तो कोई अता-पता ही नहीं है। उनके कब्र की जगह वहाँ हाथ में लॉलीपॉप लिए एक पांडा की मूर्ति है।

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कई लोकप्रिय उइगर नेताओं या स्थानीय वरिष्ठ लोगों के मरने के बाद उनके कब्र पर उनका विवरण और तस्वीरें लगाई जाती हैं। चीन ने इन सब तक को भी तबाह कर दिया। चीन की सरकार ने कई उइगर कब्रगाहों को कहीं और शिफ्ट कर दिया है। हर कब्रगाह को तबाह करने के पीछे अलग-अलग आधिकारिक कारण गिनाए गए हैं। चीन ने जहाँ नए कब्रगाह बनाए हैं, वहाँ लिखा गया है कि ये कब्रगाह वातावरण को नुकसान नहीं पहुँचाता है और यहाँ सभ्य तरीके से अंतिम क्रिया संपन्न की जाएगी। इसका अर्थ यह है कि उइगर अब किस रीति-रिवाज से अपने समाज के मृतकों को दफ़नाएँगे, यह भी चीन ही तय करेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया