‘सुरक्षा परिषद ने कहा- हम नहीं डालेंगे कश्मीर के मामले में हाथ, ये भारत का आतंरिक मामला’

सुरक्षा परिषद (काउन्सिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स से साभार)

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कश्मीर के मुद्दे पर इस महीने कोई चर्चा नहीं करेगा। यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ब्रिटेन की संयुक्त राष्ट्र में स्थाई प्रतिनिधि और नवंबर माह की अध्यक्षा करेन पियर्स ने कहा कि परिषद इस मुद्दे को नहीं उठाएगा, और दुनिया में और भी बहुत सारे मुद्दे पड़े हैं उठाने के लिए। उन्होंने यह बयान ब्रिटेन में शुक्रवार (1 नवंबर, 2019) को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में दिया।

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टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकशित एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद ने हाल ही में इस मुद्दे को डिस्कस किया था और इस महीने सुरक्षा परिषद के किसी भी सदस्य ने इस मुद्दे पर मीटिंग की माँग नहीं की है

सुरक्षा परिषद में इसके पहले भी पाकिस्तान को किसी ने भाव नहीं दिया था- सुरक्षा परिषद ने 5 अगस्त के बाद केवल एक अनौपचारिक, अनाधिकारिक बैठक बुलाई थी, वह भी इसलिए कि हिन्दुस्तानी कार्रवाई लद्दाख में भी हुई, और लद्दाख पर चीन अपना दावा करता है। सुरक्षा परिषद की उस बैठक में भी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार स्थायी सदस्यों में 5 में से 4 और अस्थायी सदस्यों में 10 में से 9 ने हिंदुस्तान का पक्ष लिया।

हिंदुस्तान ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह हिदायत दे दी थी कि कश्मीर उसका आंतरिक मसला है। अतः चाहे उसे पूर्ण राज्य से केंद्र-शासित प्रदेश में बदलना हो, या अनुच्छेद 370 के ज़रिए उसे मिले विशेष प्रावधानों को खत्म करना, हिंदुस्तान पूरे कश्मीर (POK और अक्साई चिन सहित) में किसी भी बाहरी शक्ति का हस्तक्षेप सहन नहीं करेगा। 

इसके पहले भारत द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने के लिए किए गए फैसले के बाद से पाकिस्तान लगातार संयुक्त राष्ट्र (UN) तक मामले को ले जाने की बात कर रहा था। जिसके संबंध में उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष को दखल देने के लिहाज से पत्र भी लिखा, लेकिन तत्कालीन अध्यक्षा जोअन्ना व्रोनेका ने पाकिस्तान के इस पत्र पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया था।

सुरक्षा परिषद की तत्कालीन अध्यक्षा ने न्यूयॉर्क में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पाकिस्‍तान द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के संबंध में लिखे गए पत्र पर पूछे गए सवाल को गंभीरता से सुनने के बाद ‘नो कमेंट्स’ में जवाब दिया था। साथ ही यूएन ने भी पाकिस्तान को 1972 के शिमला समझौते का रास्ता दिखा कर टरका दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया