‘मर चुकी’ माँ के कोख से पैदा हुए थे पुतिन, हिलेरी क्लिंटन की किताब से खुलासा: ऐसी कहानी, जो रूसी राष्ट्रपति ने खुद सुनाई

रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपनी बेटियों के साथ (फोटो साभार: रसियन आर्काइव्स)

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के माता-पिता को लेकर एक अनोखी कहानी वायरल हो रही है। कई सारे सोशल मीडिया साइटों पर तेजी से वायरल हो रही पोस्ट में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पुतिन के माता-पिता के बारे में बताया गया है। साथ ही, इस पोस्ट में पुतिन अपनी माँ मारिया इवानोव्ना पुतिना की गोद में बैठे दिखाई दे रहे हैं।

इस वायरल पोस्ट को लेकर कहा जा रहा है कि अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने एक किताब लिखी थी, उसी में इस बात का खुलासा किया गया है। वायरल पोस्ट में देखा जा सकता है कि अपने बालपन में पुतिन अपनी माँ की गोद में बैठे हैं। इसमें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके माता-पिता के जीवन को लेकर जानकारी साझा की गई है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट

हिलेरी क्लिंटन की किताब ‘हार्ड च्वॉइस’ 2014 में रिलीज हुई थी। इसमें क्लिंटन ने एक घटना को लेकर दावा किया है कि उन्हें पुतिन ने बताया था कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लेनिनग्राद की घेराबंदी के दौरान उनकी माँ को गलती से मरा मना लिया गया था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें बचा लिया था।

किताब में क्लिंटन लिखती हैं, “उन्होंने अपने माता-पिता को लेकर ऐसी कहानी बताई, जिसके बारे में मैंने कभी नहीं सुना या पढ़ा था। युद्ध के दौरान एक छोटी-सी छुट्टी पर पुतिन के पिता अपने घर आए थे। जैसे ही वो उस अपार्टमेंट में पहुँचे तो उन्हें लाशों का एक ढेर दिखा। लोग उन लाशों को ट्रकों में लाद रहे थे। जैसे ही वो पास गए तो उन्हें एक महिला का जूता दिखा और उसे देखकर वे अपनी पत्नी को पहचान गए। वो दौड़कर गए और अपनी पत्नी की बॉडी की माँग की। पुतिन के पिता ने अपनी पत्नी को अपनी बाहों में लेकर देखा तो वो जिंदा मिलीं। इसके बाद पत्नी को लेकर वो अपार्टमेंट में गए और उनका इलाज किया। उस घटना के 8 साल बाद 1952 में व्लादिमीर पुतिन का जन्म हुआ।”

क्लिंटन ने किताब में कहा कि उन्होंने रूस में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत माइक मैकफॉल को ये कहानी सुनाई थी, जिसको लेकर उन्होंने कहा कि इससे पहले उन्होंने ये नहीं सुना था। वो आगे लिखती हैं, “निश्चित रूप से मेरे पास पुतिन की कहानी को सत्यापित करने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन मैंने इसके बारे में अक्सर सोचा।”

पुतिन की आत्मकथा अलग ही किस्सा बयाँ कर रही

हिलेरी ने भले ही पुतिन के हवाले से ये दावे किए हों, लेकिन साल 2000 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘फर्स्ट पर्सन: एन एस्टोनिशिंगली फ्रैंक सेल्फ-पोर्ट्रेट बाय रशियाज प्रेसीडेंट’ में पुतिन ने अन्य बातों के अलावा अपने परिवार, अपने बचपन और केजीबी में अपने करियर के बारे में संक्षेप में बात की है।

पुतिन ने इसमें कहा था कि उनकी माँ भूख के कारण बेहोश हो गई थी और लोगों ने उन्हें लाशों के पास लेटा दिया था। इसके अलावा उन्होंने ये भी दावा किया था कि उनके पिता युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहे थे न कि वो घर में थे। अपनी आत्मकथा में पुतिन ने दावा किया था कि पूरे समय उनके पिता युद्ध के मैदान में थे।

पुतिन अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, “मेरे चाचा ने उनकी मदद की। वह उन्हें अपना भोजन खिलाते थे। एक बार कुछ समय के लिए चाचा का ट्रांसफर कहीं और कर दिया गया था, जिसके कारण माँ भुखमरी की शिकार हो गई थीं। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि एक बार मेरी माँ भूख से बेहोश हो गई। लोगों ने सोचा कि वह मर गई हैं और उन्हें लाशों के साथ बाहर कर दिया। सौभाग्य से माँ समय पर जाग गईं और कराहने लगीं। किसी चमत्कार से वह जीवित रहीं। ये उन्होंने लेनिनग्राद की पूरी नाकाबंदी के दौरान किया। ”

वहीं एक अन्य किस्सा यह भी है कि पुतिन के पिता ने भूख से बेहाल अपनी पत्नी के साथ अस्पताल में भर्ती होने पर अपने पास रखे थोड़े से खाना को उनके साथ साझा किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया