न जॉब रही, न कार्टून बिक रहे… अब PM मोदी को कोस रहे: ट्विटर के मेल के सहारे वामपंथी मीडिया का प्रपंच

नेटवर्क18 के साथ मंजुल का कॉन्ट्रैक्ट खत्म होना एक साधारण प्रक्रिया है, न कि जैसा द वायर और न्यूजलॉन्ड्री बता रहे (फाइल फोटो )

भाजपा विरोधी कार्टूनिस्ट मंजुल ने 04 जून को ट्विटर के जरिए मोदी सरकार पर यह आरोप लगाया था कि सरकार उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने का प्रयास कर रही है। मंजुल ने ट्विटर के भेजे गए ईमेल का स्क्रीनशॉट पोस्ट करते हुए लिखा था कि अच्छा हुआ मोदी सरकार ने ट्विटर से उनका एकाउंट बंद करने के लिए नहीं कहा क्योंकि वह धर्म विरोधी हैं, नास्तिक हैं जो मोदी को भगवान नहीं मानते हैं। हालाँकि मंजुल को ट्विटर द्वारा भेजा गया ईमेल एक सामान्य ईमेल था जो अक्सर ऑपइंडिया और कई अन्य सोशल मीडिया एक्टिविस्ट को भी भेजा जाता है।

इसके तुरंत बाद यह खबर आई कि नेटवर्क-18 के द्वारा मंजुल के साथ किया गया कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया गया। बस फिर क्या था द वायर और न्यूजलॉन्ड्री जैसे वामपंथी प्रोपेगेंडा न्यूज पोर्टल ने इस खबर को अपने नैरेटिव के तहत पकड़ लिया। द वायर ने तो नेटवर्क 18 द्वारा कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने की खबर को ट्विटर से मिले ईमेल से जोड़ दिया। द वायर ने यह भी दावा किया कि नेटवर्क 18 के साथ 6 साल से काम कर रहे मंजुल को कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने की किसी योजना के बारे में नहीं बताया गया बल्कि यह अचानक से लिया गया एक फैसला है।  

https://twitter.com/AbhinandanSekhr/status/1403309502472998916?ref_src=twsrc%5Etfw

अब यदि द वायर के नैरेटिव के इतर भी इस पर तथ्यात्मक रूप से गौर करें तो यह समझ आएगा कि अक्सर कंपनियाँ फ्रीलांस तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट खत्म करती रहती हैं। इसके पीछे अपने खर्च को कम करना एक बड़ा कारण होता है अथवा कंपनी द्वारा यह समझना कि फ्रीलांस के तौर पर काम करने वाला एक कर्मचारी अब कंपनी के योग्य नहीं रहा। यह कंपनी का अपना फैसला होता है और इसे ट्विटर से मिले सिर्फ एक ईमेल से जोड़ना सही नहीं क्योंकि ट्विटर की लीगल टीम से ऐसे मेल सैकड़ों यूजर्स को मिलते रहते हैं।

हालाँकि, नेटवर्क 18 के साथ काम करने वाले एक फ्रीलांसर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसे भी तत्काल प्रभाव से हटाया गया है और संभवतः नेटवर्क 18 ने यह निर्णय इस महामारी के दौरान अपने खर्चों को कम करने के लिए लिया है।

https://twitter.com/GappistanRadio/status/1403585751422545927?ref_src=twsrc%5Etfw

मार्च 2021 में वामपंथी मीडिया पोर्टल बजफीड ने अमेरिका के अधिग्रहीत किए गए न्यूज पोर्टल हफपोस्ट के 47 पत्रकारों, एडिटर और प्रोड्यूसर को हटाने का निर्णय लिया था। बजफीड के सीईओ ने बताया था कि कंपनी को लाभ कमाने के लिए कुछ अलग उपाय करने होंगे जिनमें कर्मचारियों की छँटनी भी शामिल है।

चाइनीज कोरोना वायरस महामारी के चलते भारत में कई ऐसे निर्णय देखने को मिले जब मीडिया समूहों ने अपने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया हो। अप्रैल 2020 में ही इंडिया टुडे और वामपंथी प्रोपेगेंडा न्यूज पोर्टल द क्विंट ने ऐसे ही कुछ निर्णय लिए थे। द क्विंट ने जहाँ अपने 45 कर्मचारियों को अनिश्चितकालीन अवकाश पर जाने के लिए कह दिया था वहीं इंडिया टुडे ने अपने दिल्ली आधारित अखबार मेल टुडे को बंद करने की घोषणा कर दी थी।

इससे यह पता चलता है कि मीडिया समूह अक्सर अपने खर्चों को कम करने के लिए छँटनी करते रहते हैं और मंजुल के साथ नेटवर्क 18 द्वारा कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया जाना उसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है, न कि जैसा द वायर और न्यूजलॉन्ड्री ने बताया।

मंजुल के एक सहयोगी ने ऑपइंडिया को बताया कि मंजुल ने डीएनए से यही सोच कर इस्तीफा दिया था कि वह एक फ्रीलांसर के रूप में अपना करियर बेहतर ढंग से बना पाएँगे और महीने की तनख्वाह से अधिक पैसे कमा पाएँगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मंजुल के सहयोगी ने बताया कि मंजुल अपने इस गलत फैसले के लिए बाहरी कारणों को दोष दे रहे हैं और आशा है कि जो पब्लिसिटी उन्हें मिली है उससे अब वो ज्यादा पैसे कमा रहे होंगे। मंजुल पहले जी मीडिया समूह के मालिकाना वाले डीएनए में कार्टूनिस्ट थे लेकिन उन्होंने वहाँ से इस्तीफा देकर फ्रीलांसर के तौर पर काम करना शुरू किया था और अपने कार्टूनों के जरिए भाजपा विरोधी एजेंडा फैलाने लगे।  

हालाँकि मंजुल, द वायर और न्यूजलॉन्ड्री के दावे पूरी तरह गलत है और यह मोदी सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने का एक प्रयास ही है। ऐसे तो ऑपइंडिया को भी कई ईमेल ट्विटर की लीगल टीम भेज चुकी है तो क्या यह माना जाए कि भारत सरकार ऑपइंडिया को भी खत्म करना चाहती है? वामपंथी एजेंडाबाज अक्सर मोदी सरकार को घेरने के लिए माहौल बनाते रहते हैं और ट्विटर द्वारा ईमेल भेज कर आवाज दबाने का नैरेटिव भी उसी एजेंडे का एक हिस्सा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया