फेक TRP स्कैम में मुंबई पुलिस द्वारा गवाहों पर दबाव बनाने वाले ऑपइंडिया के ऑडियो टेप स्टोरी पर CBI ने दी प्रतिक्रिया

अर्नब गोस्वामी-परमबीर सिंह (फाइल फोटो)

‘ऑपइंडिया’ ने एक कॉल रिकॉर्डिंग से इस बात की पुष्टि की थी कि रिपब्लिक टीवी को फँसाने के लिए मुंबई पुलिस गवाहों पर भी दबाव बना रही है। जिस गवाह ने यह खुलासा पने पड़ोसी के सामने किया था, उसके घर में एक बार-ओ-मीटर लगाया गया था। अब केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने ऑपइंडिया के इस खबर पर प्रतिक्रिया दिया है।

ऑपइंडिया ने 23 अक्टूबर को पहली बार केंद्रीय जाँच ब्यूरो को ऑडियोटेप के बारे में ईमेल किया था, जिसमें दो लोगों को बात करते हुए सुना गया था। जिसके घर में बार-ओ-मीटर लगाया गया था, उसने अपने पड़ोसी से बात करते हुए आरोप लगाया था कि उसे टीआरपी घोटाले की जाँच में रिपब्लिक टीवी को फँसाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। 

ऑपइंडिया ने यह कहते हुए सीबीआई को इस टेप के बारे में सूचित किया था कि स्वतंत्र पत्रकार के रूप में, यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस जानकारी को जनता के लिए जारी करें, हम उस पेन-ड्राइव को सौंपने के इच्छुक हैं, जिसमें ऑपइंडिया को यह ऑडियो मिला था।

सीबीआई ने अब जवाब दिया है। उत्तर प्रदेश में दायर एक अलग एफआईआर में टीआरपी घोटाले की जाँच कर रहे सीबीआई के अधिकारी ने ऑपइंडिया को 23 तारीख को भेजे गए ईमेल का हवाला देते हुए ईमेल किया। अधिकारी ने कहा है कि वह टीआरपी घोटाले से संबंधित एक मामले की जाँच कर रहे हैं। उन्होंने ऑपइंडिया से ‘आगे की कार्रवाई’ के लिए सबूत सौंपने का अनुरोध किया।

सूत्रों ने ऑपइंडिया को यह भी बताया कि सीबीआई सबूतों की जाँच करेगी और जाँच अभी प्रारंभिक चरण में है। ऑपइंडिया ने सीबीआई को विधिवत सूचित किया है कि वह अधिकारियों को पेन-ड्राइव सौंप देगी।

ऑडियो में क्या है?

बता दें कि ऑपइंडिया के पास यह रिकॉर्डिंग बेहद विश्वसनीय स्रोत्र के जरिए आई। इससे पता चल रहा था कि व्यक्ति अपने परिवार व अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता में था क्योंकि कॉल रिकॉर्डिंग के अनुसार, मुंबई पुलिस उसके घर में रात 3:00 -3:30 बजे घुस गई। दोनों के बीच की बातचीत से स्पष्ट होता है कि मुंबई पुलिस ‘रिपब्लिक टीवी’ के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव बना रही है, जिसके कारण गवाह अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर काफी डरा हुआ है। 

ऑडियो में पहला व्यक्ति अपने पड़ोसी को बताता है कि मुंबई पुलिस उनके घर में मशीन (बार ओ मीटर) की जानकारी जुटाने आई थी और उनसे कहा कि उन्होंने किसी को अरेस्ट किया है जिसने पूछताछ में उन लोगों का नाम लिया है। इसके बाद उन्होंने मशीन के बारे में पूछा। साथ ही ये भी जानना चाहा कि उन्हें पैसे कैसे मिलते हैं, उन्हें कौन पैसे देता है, और कहाँ से उन्हें पैसे मिलते हैं।

कॉल पर पड़ोसी से बात करते हुए व्यक्ति बेहद घबराया हुआ प्रतीत होता है और बार-बार कहता है कि 10-12 पुलिस वाले आए थे, अगर ऐसे ही आते रहे तो उसके आस पड़ोस के लोग क्या बोलेंगे। वह कहता है कि पुलिस ने उन्हें बताया कि गिरफ्तार हुए शख्स ने उसके परिवार का नाम लेकर कहा है कि उसने यहाँ 500 रुपए दिए हैं और 200 रुपए अकॉउंट में भेजे हैं। पड़ोसी को व्यक्ति ने यह भी बताया कि जब उसके घर में पुलिस आई तब वह ड्यूटी पर था और पुलिस उसके घरवालों से उससे जुड़ी सारी जानकारी लिख कर ले गई।

फोन पर घबराई आवाज में व्यक्ति साफ कहता है कि पुलिस ने ‘रिपब्लिक भारत’ का नाम लिख लिया है। इस पर दूसरा व्यक्ति कहता है कि पुलिस ये सब उन्हें (अनुमान के मुताबिक रिपब्लिक टीवी) फँसाने के लिए कर रही है। इस पर व्यक्ति और ज्यादा चिंता में पड़ जाता है और कहता है कि पुलिस उसके ख़िलाफ़ भी झूठे आरोप लगा देगी।

TRP स्कैम में इंडिया टुडे का नाम

गौरतलब है कि TRP स्कैम का मुद्दा गर्माने के बाद से मुंबई पुलिस की भूमिका लगातार शक के घेरे में है। पहले इस बात का खुलासा हुआ कि मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में निराधार ही Republic TV का नाम पूरे घोटाले में लिया, जबकि दर्ज शिकायत में समाचार चैनल ‘इंडिया टुडे’ का नाम था, और अब ताजा खुलासे में यह पता चला है कि कैसे मुंबई पुलिस अपनी मनमर्जी से गवाह के बयान को तोड़-मरोड़ कर ‘Republic TV’ को इस पूरे घोटाले का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया