उच्च कोटि का मादक पदार्थ लेते हैं The Print वाले, सुषमा स्वराज की तुलना सुब्रमण्यम स्वामी से करने पर कम से कम यही महसूस होता है

The Print ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की आलोचना की तुलना सुषमा स्वराज से की है

सुशांत सिंह आत्महत्या के सिलसिले में हाई-प्रोफाइल ड्रग एंगल निकलने का बाद गिरफ्तार रिया चक्रवर्ती, शोविक और अन्य ने गाँजा (मारिजुआना) के सेवन की बात कबूली। लेकिन ऐसा लगता है कि शेखर गुप्ता के The Print में काम कर रहे लोग भी किसी उच्चतम क्वालिटी के मादक पदार्थ का सेवन करते हैं। शेखर गुप्ता की वेबसाइट The Print पर हाल ही में प्रकाशित हुए लेख इस बात के प्रमाण हैं।

इससे पहले कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो उनके कार्यालय में जाकर The Print के साथ काम करने वाले कर्मचारियों का परीक्षण करने लगें, हम शुरुआत में ही यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि हमारे द्वारा शेखर गुप्ता के ‘दी प्रिंट’ के पत्रकारों द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले वीड के नशे लेने की बात पूरी तरह से आलंकारिक है।

क्योंकि अगर ऐसा यह उच्च-गुणवत्ता वाले वीड का सेवन नहीं कर रहे हैं, तो फिर ‘दी प्रिंट’ ने क्यों एक ऐसा लेख प्रकाशित किया, जिसमें कहा गया है कि भाजपा आईटी सेल अपने ही नेताओं के साथ निष्ठुरता से पेश आ रही है?

‘दी प्रिंट’ ने सुब्रमण्यम स्वामी की आलोचना की तुलना सुषमा स्वराज से की है

‘दी प्रिंट’ के इस लेख ने भाजपा के दो नेताओं द्वारा ऑनलाइन आलोचना को एक समान बताने की कोशिश की है। लेखक के अनुसार, इन दोनों नेताओं को बीजेपी आईटी सेल के उपहास और आलोचना का शिकार होना पड़ा।

लेख में कहा गया है कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी पर भाजपा आईटी सेल के सदस्यों द्वारा उसी तरह से हमला किया जा रहा है, जैसे पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 2018 में एक हिंदू-मुस्लिम दंपति को पासपोर्ट देने के फैसले के लिए ऑनलाइन मजाक उड़ाया गया था।

सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि उन्हें भाजपा आईटी सेल के सदस्यों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उन्हें ऑनलाइन ट्रोल किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने JEE-NEET परीक्षा को स्थगित करने के समर्थन में बात की है, जो कि इस पर सरकार के रुख के विपरीत है। दी प्रिंट के इस लेख का कहना है कि भाजपा आईटी सेल के सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी पर अमित मालवीय के इशारे पर हमला कर रहे हैं।

2018 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को हिंदू-मुस्लिम दंपति को पासपोर्ट देने के उनके फैसले पर आलोचना का सामना करना पड़ा था। इस दंपति ने आरोप लगाया था कि चूँकि वह शादी के बाद भी अलग-अलग धर्म को मानते हैं, इसलिए उन्हें पासपोर्ट ऑफिस द्वारा पासपोर्ट जारी नहीं किया गया और उन्हें तंग भी किया जा रहा है। तन्वी सेठ नामक महिला ने आरोप लगाया था कि लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय में तैनात अधिकारी विकास मिश्र ने उनके साथ धर्म के आधार पर भेदभाव किया। तन्वी सेठ और अनस सिद्दिकी ने 2007 में शादी की थी और इसके बाद उन्होंने अपना धर्म नहीं बदला था।

वहीं, महिला के पति सिद्दिकी ने बताया कि पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारी विकास मिश्र ने उनसे अपना नाम और धर्म बदलने को कहा था। हालाँकि इस मामले के सामने आने के बाद संबंधित अधिकारी का तबादला कर दिया गया था। अधिकारी के तबादले के बाद कुछ लोगों ने विदेश मंत्रालय के इस फैसले पर सवाल खड़े किए थे। यहाँ गौर करने वाली बात है कि सुषमा स्वराज की आलोचना आईटी सेल द्वारा नहीं, बल्कि आम लोगों द्वारा किया गया था।

भाजपा के दोनों नेताओं की आलोचना के बीच अंतर बहुत गहरा है। लेकिन उस अंतर को समझने के लिए, यह आवश्यक है कि यह शांति और मर्यादा बनी रहे। हालाँकि, प्रतीत तो ये होता है कि मोदी घृणा से ओत-प्रोत ये पत्रकार अच्छी क्वालिटी का गाँजा लेने के बाद इससे कोसों दूर रहते हैं।

राजनाथ सिंह को भी किया गया था ट्रोल

यह लेख उस ट्रोलिंग का भी उल्लेख करता है, जिसे भारत के वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों पर हमले के बाद उनके द्वारा किए गए ट्वीट के बाद सहना पड़ा था। तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया था कि कश्मीर के लोगों ने अमरनाथ यात्रियों पर हमले की निंदा की थी, यह दर्शाता है कि कश्मीरियत की भावना अभी भी जीवित है।

‘दी प्रिंट’ सुशांत सिंह के बहाने बिहारी परिवारों को भी कर चुका है अपमानित

लेकिन यह एकमात्र उदाहरण नहीं है जो दर्शाता है कि ‘द प्रिंट’ के लोग संभवतः मादक पदार्थ गाँजे के प्रभाव में हैं। कुछ दिनों पहले शेखर गुप्ता की वेबसाइट ‘दी प्रिन्ट’ के एक लेख में कहा गया था कि ‘टॉक्सिक’ बिहारी परिवारों में बच्चों पर ‘श्रवण कुमार’ बनने की जिम्मेदारी होती है। इस कथित लेख में सुशांत सिंह राजपूत के बहाने लिखा गया था कि सासें अपनी बहुओं को ‘डायन’ और ‘गोल्ड डिगर’ तक कहती हैं। साथ ही, दावा किया गया है कि युवाओं की शहरी गर्लफ्रेंड को सभी घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

इस लेख में बताया गया था कि परिवार के लोग बड़े होने पर भी युवाओं को ‘मेरा लाड़ला’ समझते हैं और शादी के मामले में उसके विचारों को नहीं मानते। लिखा गया था कि गर्लफ्रेंड या पत्नी पुरुष को उसके परिवार से अलग कर देती है, बिहार में ऐसी धारणा है। साथ ही इसमें बिहारी लोकगीतों को भी लपेटा गया था और बाद में इसका दायरा बढ़ा कर उत्तर बिहार कर दिया गया। सुशांत सिंह राजपूत के परिवार को भी बदनाम किया गया।

सुशांत सिंह राजपूत एक बिहारी थे और इस हिसाब से बॉलीवुड में ‘आउटसाइडर’ थे। यही कारण है कि बिहार में उनकी मौत एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है। विवाद में सलमान खान का नाम आने पर उन्हें गाली देते हुए भोजपुरी गाने भी बने और राज्य में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। ये सब इसके बावजूद हुआ कि बिहार सलमान खान के बड़े बाजारों में से एक है।

इसलिए जिस स्तर तक गिरकर शेखर गुप्ता का दी प्रिंट ख़बरें प्रकशित कर रहा है, हर कोई एक बार के लिए यही संदेह करने पर विवश है कि कहीं दी प्रिंट के कर्मचारी किसी उच्चकोटि के भाँग का नशा तो नहीं करते हैं!

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया