दिल्ली हाई कोर्ट ने वायर-क्विंट जैसों की याचिका को नहीं माना ‘अर्जेंट’, मोदी सरकार के IT नियमों को दी थी चुनौती

दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई टाली (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दिल्ली हाईकोर्ट ने नए सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 को चुनौती देने वाली मीडिया संस्थानों की याचिका को 4 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है। जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने गुरुवार (मई 26, 2021) को इस पर सुनवाई की थी। इससे पहले इस मामले में मार्च में हाई कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था।

मीडिया संस्थानों ने अपनी याचिका में इस मामले को मौलिक अधिकारों से जोड़ते हुए अर्जेंट बताया था। हाई कोर्ट ने कहा कि ये मामला अर्जेंट नहीं है, इसलिए इसकी सुनवाई 4 अगस्त तक के लिए स्थगित की जाती है है। मालूम हो कि आईटी मंत्रालय ने डिजिटल व सोशल मीडिया नियम 2021 को हाल ही में लागू किया है। कथित तौर पर ये नए अधिसूचित नियम ऑनलाइन मीडिया पोर्टलों और प्रकाशकों, ओवर-द-टॉप (ओटीटी प्लेटफॉर्म) और सोशल मीडिया मध्यस्थों के कामकाज को नियंत्रित करने वाले हैं। 

इसका हवाला देते हुए मीडिया गिरोह के टॉप नामी पोर्टल द क्विंट, द वायर समेत कई डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म ने इन नियमों को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इस याचिका को फाउंडेशन ऑफ इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म के तहत दायर किया गया है। इसी संस्थान के अंतर्गत द वायर वेबसाइट काम करती है। इस मामले में द क्विंट की सह संस्थापक ऋतु कपूर भी याचिकाकर्ता हैं। इनके अलावा द न्यूज मिनट के एडिटर इन चीफ डी राजेंद्र और द वायर के फाउंडिग एडिटर एमके वेणु भी इस केस के याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं।

इस केस में वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने पहले याचिकाकर्ताओं के लिए नियमों के भाग 3 (जो डिजिटल मीडिया से संबंधित है) के तहत कठोर कदमों से अंतरिम सुरक्षा की माँग की थी। लेकिन पीठ ने कहा कि वह ऐसा अभी नहीं कर सकते। इसके साथ पीठ ने ये भी कहा कि यदि कोई कठोर कदम उठाया जाता है, तो याचिकाकर्ता तत्काल सुनवाई की माँग करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

इस याचिका में नए नियमों को अनुच्छेद 19 (1) (ए) और अनुच्छेद 14 के विरुद्ध कहा गया और अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर कहा गया है कि प्रतिबंध केवल अनुच्छेद 19 (2) में उल्लेखित बातों के मुताबिक हो सकता है। द क्विंट जैसे न्यूज पोर्टल पहले ही इनके अधीन हैं, इसलिए ये नए नियम अनुच्छेद 19 (2) के हित में नहीं हो सकते। ये सब सिर्फ डिजिटल समाचार पोर्टलों की सामग्री को सीधे नियंत्रित करने की सरकार की एक चाल है।

बता दें कि सोशल मीडिया कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए भारत सरकार ने नए आईटी नियम बनाए हैं, जो 26 मई से प्रभावी हो गए हैं। भारत सरकार के नए आईटी नियमों के खिलाफ मैसेजिंग एप व्हाट्सएप ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया है। वहीं सरकार ने सभी कंपनियों को नोटिस भेजकर पूछा है कि नियम का पालन अब तक क्यों नहीं किया गया? केंद्र सरकार ने डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्मों को बुधवार से लागू हुए नए नियमों के अनुपालन पर ब्योरा देने के लिए 15 दिनों का समय दिया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया